रमेश सर्राफ धमोरा
राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस पार्टी का तीन दिवसीय चिंतन शिविर संपन्न हो गया है। एक लंबे अरसे के बाद कांग्रेस पार्टी द्वारा आयोजित इस चिंतन शिविर में पार्टी के 400 से अधिक वरिष्ठ नेताओं ने भाग लेकर लगातार तीन दिनों तक इस बात का चिंतन मनन किया की पार्टी को भविष्य में आम मतदाताओं से कैसे जोड़ा जाए। कांग्रेस के गिरते जनाधार को लेकर पार्टी नेता बहुत अधिक चिंतित नजर आ रहे हैं। 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद कांग्रेस पार्टी 2014 व 2019 में दो बार लोकसभा चुनाव हार चुकी है। इसके साथ ही कांग्रेस राज्य विधानसभाओं के चुनाव भी लगातार हारती जा रही है।
कभी देश पर एकछत्र राज करने वाली कांग्रेस पार्टी के पास इस समय लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद भी नहीं है। अपने बूते पार्टी सिर्फ राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ही सरकार चला रही है। महाराष्ट्र, झारखंड में कांग्रेस छोटे दल के रूप में गठबंधन की सरकार में शामिल है। राज्यसभा में भी कांग्रेस की स्थिति लगातार कमजोर होती जा रही है। ऐसी परिस्थितियों में पार्टी नेताओं का चिंतित होना स्वाभाविक ही है। कुछ समय से कांग्रेस पार्टी में कई वरिष्ठ नेता जी-23 नामक समूह बनाकर गांधी परिवार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। ऐसे में चिंतन शिविर का आयोजन कर कांग्रेस पार्टी ने अपने संगठन को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है।
इस चिंतन शिविर से निकले विमर्श के बाद कांग्रेस पार्टी में कई बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। चिंतन शिविर में नेताओं के आपसी विचार विमर्श के बाद सभी ने एक सुर में गांधी परिवार के प्रति आस्था जतायी। जो पार्टी नेतृत्व पर गांधी परिवार की पकड़ को दर्शाता है। चिंतन शिविर में जुटे सभी नेता इस बात से चिंतित नजर आ रहे थे कि यदि कांग्रेस का जनाधार इसी तरह कम होता गया तो आने वाले समय में पार्टी हाशिए पर चली जाएगी। ऐसी ऐसी स्थिति से बचने के लिए सभी को एक साथ मिलकर जनाधार बढ़ाने के प्रयास करने होंगे।
उदयपुर के चिंतन शिविर में पार्टी नेतृत्व कई कड़वी सच्चाई से अवगत भी हुआ और उन्हें सार्वजनिक रूप से स्वीकार भी किया। शिविर के खत्म होने पर अपने भाषण में राहुल ने साफ तौर पर कहा कि जनता से हमारा सम्पर्क टूट गया है। हमें बिना सोचे जनता के बीच जाकर बैठ जाना चाहिए। हमें उस सम्पर्क को हमें फिर से बनाना पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी को आम लोगों से अपने संवाद के तरीके में भी बदलाव करना पड़ेगा।
अपने उदयपुर दौरे से राहुल गांधी ने अपनी बॉर्न विद द् सिल्वर स्पून इन माउथ यानि कि चांदी का चम्मच लेकर पैदा होने वाली इमेज को खत्म करने की कोशिश की है। इसी के चलते आमतौर पर हवाई जहाज से सफर करने वाले राहुल गांधी पार्टी के अन्य नेताओं के साथ इस बार दिल्ली से उदयपुर तक रेल से यात्रा की। राहुल गांधी हर स्टेशन पर ट्रेन से निकलकर कार्यकर्ताओं से मिले। ताकि खुद का लोगों से जुड़ाव दिखा सके। इस दौरान उन्होंने स्टेशन पर कुलियों से भी मुलाकात की। उदयपुर पहुंचने के बाद रेलवे स्टेशन से होटल तक जिस बस में अन्य नेताओं को जाना था उसी बस में राहुल भी सवार होकर गए। उदयपुर के होटल ताज अरावली में राहुल गांधी के लिए लग्जरी प्रेजिडेंशियल सुईट बुक था। मगर राहुल गांधी सामान्य कमरे में रुके। जहां कांग्रेस के अन्य दूसरे नेता रूके थे। इस दौरान डिनर टेबल और मीटिंग्स में भी राहुल गांधी काफी सहज नजर आए। राहुल गांधी ने दिल्ली वापसी के दौरान भी चार्टर प्लेन के स्थान पर नियमित विमान से ही यात्रा की।
कांग्रेस के इस चिंतन शिविर के समापन पर पार्टी में होने वाले कई बड़े सुधारों की भी घोषणा की गई थी। जिसमें मुख्य रूप से पार्टी में युवाओं की भूमिका बढ़ाने पर जोर दिया गया है। पार्टी में एक परिवार एक टिकट का फार्मूला लागू करने, संगठन में हर स्तर पर युवाओं को 50 प्रतिशत प्रतिनिधित्व देने और अगले लोकसभा चुनाव से 50 प्रतिशत टिकट 50 साल से कम उम्र के लोगों को देने पर का भी फैसला किया गया है। इस चिंतन शिविर के समापन के बाद कांग्रेस पार्टी की तरफ से उदयपुर नव संकल्प जारी किया गया। जिसमें राजनीतिक मुद्दों, संगठन से जुड़े विषयों, पार्टी के भीतर सुधारो, कमजोर तबकों को फिर से साथ जोड़ने, युवाओं, छात्रों और आर्थिक मुद्दों पर पार्टी का नजरिया रखा गया। साथ ही आगे के कदमों का भी स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया।
कांग्रेस के चिंतन शिविर के समापन के अवसर पर कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस शिविर को बहुत सार्थक और उपयोगी बताया। उन्होंने कहा कि हम 2 अक्टूबर गांधी जयंती से कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत करेंगे। हम सब लोग इसमें भाग लेंगे। यात्रा का मकसद सामाजिक सद्भाव को मजबूत करना और संविधान के उन बुनियादी मूल्यों की रक्षा करना है जिस पर हमला हो रहा है। उन्होंने बताया कि 15 जून से जिला स्तर पर ‘जन जागरण अभियान’ का दूसरा चरण आरंभ होगा जिसमें बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दों को पुरजोर ढंग से उठाया जाएगा।
चिंतन शिविर के समापन के मौके पर सोनिया गांधी ने घोषणा की कि कांग्रेस कार्य समिति के कुछ सदस्यों को लेकर अब एक सलाहकार समूह बनाया जाएगा। सोनिया गांधी ने कहा कि एक समग्र कार्य बल बनेगा जो उन आंतरिक सुधारों की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगा। जिन पर इस चिंतन शिविर में चर्चा हुई है। यह सुधार 2024 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर किए जाएंगे और इसमें संगठन के सभी पहलुओं को शामिल किया जायेगा। शिविर में पार्टी ने पब्लिक इनसाइट विभाग, राष्ट्रीय प्रशिक्षण संस्थान और चुनाव प्रबंधन विभाग का गठन करने और स्थानीय स्तर पर मंडल समितियां बनाने का भी फैसला किया है।
कांग्रेस पार्टी ने इससे पूर्व 1998 में मध्य प्रदेश के पचमढ़ी में पहला चिंतन शिविर का आयोजन किया था। उस दौरान भी पार्टी केंद्रीय सत्ता से बाहर थी और आज की तरह कई चुनौतियों का सामना कर रही थी। उस शिविर में कांग्रेस पार्टी ने फैसला किया था कि उन्हें चुनाव जीतने के लिए किसी पार्टी से गठबंधन की जरूरत नहीं है। पार्टी को भरोसा था कि पार्टी अपने नेताओं के बल पर चुनाव जीतेगी। 2003 में पार्टी ने शिमला में चिंतन शिविर का आयोजन किया था। इस शिविर में कांग्रेस पार्टी ने गठबंधन की अहमियत को समझा और गठबंधन की राह पर जाने का फैसला किया। जिसकी बदौलत 2004 में कांग्रेस केंद्र में सरकार बनाने में सफल रही और लगातार 10 वर्ष तक केंद्र में शासन किया।
कांग्रेस का तीसरा चिंतन शिविर 2013 में जयपुर में आयोजित किया गया था। जिसमें राहुल गांधी को नेता प्रोजेक्ट करना मुख्य उद्देश्य था। उस शिविर के बाद राहुल गांधी को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया था। हालांकि 2013 के चिंतन शिविर के बाद कांग्रेस पार्टी की हालत लगातार कमजोर होती चली गई। जिसके चलते पार्टी ने इस बार फिर उदयपुर में चिंतन शिविर का आयोजन किया है। ऐसा लगता है कि इस चिंतन शिविर के बहाने कांग्रेस पार्टी अपनी आंतरिक कमजोरियों को दूर करेगी और 2024 का लोकसभा चुनाव पूरी ताकत लगा लगा कर लड़ेगी। इस चिंतन शिविर के बाद राहुल गांधी को एक बार फिर पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा सकता है। ताकि उनके नेतृत्व में 2024 के लोकसभा चुनाव लड़ा जा सके।
यदि चिंतन शिविर में लिए गए प्रस्तावों व संकल्पो पर पार्टी दृढ़ निश्चय रहकर आगे बढ़ती है तो आने वाले समय में कांग्रेस को निश्चित तौर उसका पर लाभ मिलेगा। फिलहाल कांग्रेस पार्टी को अपना पूरा ध्यान आम मतदाता से जुड़ने पर लगाना होगा। तभी 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी बेहतर प्रदर्शन कर पाएगी।