रावेल पुष्प
कोलकाता : पद्मश्री साहित्यकार डॉ. कृष्ण बिहारी मिश्र की स्मृति में प्रसिद्ध छायाकार प्रशांत अरोड़ा के छविघर में कुछ खास साहित्यकारों और संस्कृति कर्मियों द्वारा एक शोक सभा का आयोजन किया गया, जिसमें उनके सबसे बड़े पुत्र कमलेश मिश्रा की विशेष उपस्थिति रही।
युवा कवियित्री नीता अनामिका द्वारा किए जा रहे संचालन में साहित्यकार मृत्युंजय श्रीवास्तव ने कहा कि उन्होंने अपना भरपूर जीवन जिया वह चाहे परिवार में हो या साहित्य की दुनिया में। वे पूरी आस्था के साथ अपना साहित्य कर्म करते थे और बड़े सलीके के परिधान में रहते भी थे। कवि रावेल पुष्प ने अपनी भ्रमण पुस्तक मेरी बांग्लादेश यात्रा में उनके द्वारा लिखी भूमिका के सिलसिले में हुए घटनाक्रम की चर्चा की और अपनी लिखी ताज़ा-तरीन काव्यांजलि भेंट की। निशा कोठारी ने जहां अपने पहले काव्य संग्रह में उनकी लिखी भूमिका के बारे में बात की, वहीं वरिष्ठ रंगकर्मी प्रताप जायसवाल ने बताया कि मिश्र जी का उनकी प्रति विशेष स्नेह था और नटी विनोदनी का मंचन भी उनकी प्रेरणा द्वारा ही संभव हो पाया था।
उनके सबसे बड़े सुपुत्र कमलेश मिश्रा ने उनकी अमर कृति-कल्पतरु की उत्सव लीला के दौरान आई कई अड़चनों की चर्चा की जिसमें उनकी धर्मपत्नी का निधन भी शामिल था।
इसके अलावा सर्वश्री पुरुषोत्तम तिवारी, विद्या भंडारी, आशुतोष, रामनाथ महतो,नीलू मेहरा, विमल शर्मा, खुर्शीद एकराम मान्ना, ब्रह्मानंद, पूजा अरोड़ा ने अपनी उपस्थिति तथा संस्मरणों के माध्यम से उनके प्रति श्रद्धा निवेदित की।
इस मौके पर प्रशांत अरोड़ा ने कृष्ण बिहारी मिश्र के उनके द्वारा समय-समय पर लिए गए दुर्लभ चित्रों का स्लाइड शो प्रदर्शित किया , जिसकी सभी ने भरपूर प्रशंसा की।
गौरतलब है कि कुछ वर्ष पूर्व इस छवि घर का उद्घाटन कृष्ण बिहारी मिश्र जी ने ही किया था और मृत्यु से कुछ समय पूर्व भी आकर इस छविघर का परिदर्शन किया था।