कांग्रेस और भाजपा में अगली सूचियों को लेकर असमंजस्य बरकरार

गोपेंद्र नाथ भट्ट

राजस्थान विधान सभा चुनाव के लिए 25 नवम्बर को होने वाले चुनाव के लिए सोमवार को चुनाव अधिसूचना जारी हों गई । इसके साथ ही चुनाव की विधिवत प्रक्रिया भी शुरू हों गई है लेकिन प्रदेश में सत्ताधारी कांग्रेस और प्रतिपक्ष भाजपा ने अभी तक राजस्थान विधान सभा की दौ सौ सीटों के लिए अपने सभी उम्मीदवारों की घोषणा नही कर पाई है जबकि छह नवम्बर नामांकन पत्र दाखिल करने की आखिरी तारीख है। कांग्रेस और भाजपा ने अब तक क्रमशः 95 एवं 124 सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी हैं लेकिन शेष उम्मीदवारों को लेकर अभी भी असमंजस्य बना हुआ है जबकि क्षेत्रीय पार्टियों ने भी अपने अधिकांश उम्मीदवारों की घोषणा कर दी गई है।राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के राजनीतिक सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार दोनों प्रमुख पार्टियाँ कांग्रेस अपने 105 और भाजपा भी अगले 74 शेष उम्मीदवारों के नामों की सूचियाँ उनकी केन्द्रीय चुनाव समिति की सोमवार को और उसके बाद होने वाली बैठक के एक दिनों में जारी हों जायेंगी। कांग्रेस अपने सहयोगी दलों आरएलडी और सीपी एम के साथ चुनाव पूर्व समझोते पर भी विचार कर रही है। इधर भाजपा का भी जे पी जनता पार्टी और अन्य के साथ कोई समझौता नही हुआ है। बसपा, आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आर एल पी ),सी पी एम, आरएलडी, जेपी जनता पार्टी और अन्य दलों के उम्मीदवार भी चुनाव में ताल ठोकनें के लिए तैयार है।

यें पार्टियाँ नौ नवम्बर को नाम वापस लेने की अन्तिम तिथि के बाद पूरी तरह से चुनाव प्रचार अभियान के लिए चुनावी मैदान में उतर जायेंगी।

नई दिल्ली में रविवार को कांग्रेस के 15 रकाब गंज (जीआरजी) स्थित वार रूम में कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष गौरव गोगोई की अध्यक्षता में बैठक हुई।

बताया जाता है कि इस बैठक में शेष 105 उम्मीदवारों की सूची के प्रस्तावित पेनल पर चर्चा हुई । इस बैठक में वरिष्ठ पर्यवेक्षक मधुसूदन मिस्त्री के साथ ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश प्रभारी सुखजिंद्र सिंह रंधावा, प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा,विधान सभा अध्यक्ष डॉ सी पी जोशी, पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और प्रदेश के तीनों सह प्रभारी अमृता धवन,काजी निजामुद्दीन और वीरेंद्र सिंह भी शामिल हुए ।

स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में मुख्य रूप से प्रदेश के स्वायत शासन शासन मंत्री धारीवाल,पीएचडी मंत्री डॉ.महेश जोशी और राजस्थान पर्यटक विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ के नामों पर पर भी चर्चा हुई । गत वर्ष 25 सितंबर की घटना के कारण इनके टिकट अटके हुए बताए जा रहें है।अंदरूनी सूत्रों के अनुसार इन तीनों नेताओं को टिकट देने को लेकर आपसी सहमति बनाए जाने और पार्टी अनुशासन समिति के नोटिस को वापस लेने की चर्चाएँ भी है लेकिन अभी तक कोई अन्तिम निर्णय नही हों पाया है। अनुशासन समिति के नोटिस को वापस लेने और इन नेताओं को टिकट देने पर कांग्रेस हाई कमान के उच्च स्तर पर ही कोई फैसला होंगा।

बैठक में गहलोत मंत्रिपरिषद के मंत्री हेमाराम चौधरी ,प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नारायण सिंह के पुत्र वीरेंद्र सिंह चौधरी को दातारामगढ़ और पूर्व विधान सभा अध्यक्ष श्रीमाधोपुर से विधायक दीपेंद्र सिंह शेखावत के पुत्र बालेंद्र शेखावत तथा नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल के पुत्र अमित धारीवाल और अन्य नेताओं के परिजनों को टिकट दिए जाने पर चर्चा हुई । हेमाराम चौधरी इस बार चुनाव नही लड़ने के निर्णय से हाई कमान को अवगत कराया है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत रविवार को दिल्ली में बहुत सक्रिय रहें और उन्होंने हाई कमान के नेताओं से राजस्थान के कांग्रेस उम्मीदवारों के नाम अन्तिम रूप से तय करने और चुनावी व्यूह रचना,प्रचार तथा रणनीति के बारे में विचार विमर्श किया। गहलोत का प्रयास है कि वर्तमान किसी विधायक का टिकट नही कटे और कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गाँधी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी कांग्रेस महामंत्री प्रियंका गाँधी के अलावा अन्य नेताओं के अधिक से अधिक संख्या में प्रदेश चुनावी दौरें होवें ।

इधर जानकारी मिल रही है कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के राजस्थान में तीन यात्राओं की तिथियाँ लगभग तय हों गई है और वे बारह,उन्नीस और बाईस नवंबर को प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में चुनावी रैलियाँ करेंगे।

बताया जा रहा है कि कांग्रेस एक और मुद्दा बनाने का प्रयास कर रही है जिसमें भाजपा द्वारा जाटों के प्रति दुर्भावना का आरोप लगाने की रणनीति बनाई जा सकती है। इसके अन्तर्गत कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा के वहाँ ईडी के छापे डलवाना और डॉ सतीश पूनिया को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष से हटा कर जाटों के प्रति किए जा रहे सलूक तथा भाजपा द्वारा जाटों से अधिक राजपूत नेतृत्व को वरियता देने आदि विषयों को मुद्दा बनाया जा सकता है ।देखना है राजस्थान के रण में यें मुद्दे कितने कारगर साबित होंगे।