कांग्रेस के सहयोगी दल ही खेल बिगाड़ने में जुटे

गोविन्द ठाकुर

” समाजवादी पार्टी के हालिया कारगुजारी से अब साफ हो गाया है कि इंडिया गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं है.. जहां सबको मिलकर बीजेपी को हराना था वहां वे खुद अपने की जड़ें खोदने में जुट गये हैं…पिछे हुई बैठकों में लगभग तय हो गया था कि जो सीधे बीजेपी को फाईट देगा वहां बांकी दल उसे सहयोग करेगी मगर मध्यप्रदेश, राजस्थान , छतीशगढ में सपा, आप, रालद, एनसीपी ने कांग्रेस के सहयोग के बजाय खुद अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं जो कांग्रेस का वोट काट कर कांग्रेस का ही खाल बिगाड़ रही है…”

पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों से पहले विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के अंदर जिस तरह का विवाद शुरू हुआ है वह अनायास नहीं है। ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस की सहयोगी पार्टियां इन चुनावों में उसका खेल बिगाड़ने के लिए खेल कर रही हैं। चाहे अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी हो या नीतीश कुमार की पार्टी जदयू हो या शरद पवार की पार्टी एनसीपी या अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी सब किसी न किसी रूप में कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने के लिए काम कर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी के नेता इस बात को समझ रहे हैं लेकिन इस समय उनको पता है कि झगड़ा बढ़ाने से कांग्रेस को नुकसान होगा। इसके बावजूद मध्य प्रदेश में कमलनाथ की झल्लाहट से साफ हो गया कि वे समाजवादी पार्टी का खेल समझ गए हैं।

मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सीधी लड़ाई भाजपा के साथ है। हर बार ऐसा ही होता है। लेकिन इस बार समाजवादी पार्टी गठबंधन की दुहाई देकर सीटों की मांग करने लगी और कांग्रेस से बात किए बगैर उम्मीदवारों की घोषणा शुरू कर दी। इसे देखते हुए कांग्रेस ने भी बात नहीं कि और उम्मीदवार घोषित कर दिए। इससे सपा को बहाना मिल गया और उन्होंने कांग्रेस का खेल बिगाड़ना शुरू कर दिया। सपा ने 33 सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए। सबको पता है कि राज्य में भाजपा और कांग्रेस के बीच बहुत नजदीकी मुकाबला है। पिछले विधानसभा चुनाव में 84 सीटों का फैसला 10 हजार से कम वोट से हुआ था, जिसमें 44 भाजपा ने और 40 कांग्रेस ने जीती थी। ऐसी सीटों पर सपा के उम्मीदवारों के वोट काटने से खेल बिगड़ सकता है। इसके अलावा अखिलेश यादव के अपमान का मुद्दा बना कर सपा पिछड़ी जाति में कांग्रेस को नुकसान पहुंचा रही है।

इसी तरह आम आदमी पार्टी ने भी सभी राज्यों में उम्मीदवार उतार दिए हैं। हालांकि उनके उम्मीदवार ज्यादा वोट लेने की स्थिति में नहीं हैं लेकिन कुछ सीटों पर वोटकटवा की भूमिका निभा कर कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इस बीच एनसीपी प्रमुख शरद पवार और उनकी बेटी सुप्रिया सुले की नजदीकी आम आदमी पार्टी के नेताओं से बढ़ी है। शराब घोटाला मामले में गिरफ्तार संजय सिंह का सबसे ज्यादा समर्थन एनसीपी ने किया है। कांग्रेस का समर्थन सशर्त था लेकिन एनसीपी ने बिना शर्त समर्थन किया। दोनों में अंदरखाने तालमेल होने की बात है। उधर बिहार में नीतीश कुमार ने भाजपा नेताओं को दोस्त बता कर कांग्रेस की पिछली सरकार पर निशाना साधा और उसके बाद सपा ने विपक्षी गठबंधन बनाने का श्रेय नीतीश कुमार को पटेल बताते हुए दिया। इसका मकसद भी कांग्रेस को नुकसान पहुंचाना था।

असल में गठबंधन में शामिल विपक्षी पार्टियां नहीं चाहती हैं कि कांग्रेस की स्थिति मजबूत हो। अगर पांच राज्यों के चुनाव में कांग्रेस मजबूत होती है तो लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे में कांग्रेस बेहतर मोलभाव करने की स्थिति में रहेगी। ऐसे में सहयोगी पार्टियों को कांग्रेस के लिए ज्यादा सीटें छोड़नी होंगी। इसलिए कई सहयोगी पार्टियां चाहती हैं कि पांच राज्यों में कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन नहीं करे। इससे कांग्रेस बैकफुट पर आएगी और सीट बंटवारे की बातचीत में सहयोगी पार्टियां उसको दबा लेंगी।