
अजय कुमार
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए सियासी हलचल तेज़ हो चुकी है। यह चुनाव भारतीय राजनीति में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है, खासकर दिल्ली के सन्दर्भ में। पिछले 11 वर्षों से सत्ता से बाहर रही कांग्रेस अब एक बार फिर दिल्ली में अपनी खोई हुई जमीन वापस लेने के लिए मैदान में उतर आई है। 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में बुरी तरह हारने के बाद कांग्रेस ने यह समझ लिया है कि दिल्ली में सिर्फ आम आदमी पार्टी (AAP) के खिलाफ खड़ी होकर वह अपनी राजनीतिक वापसी कर सकती है। पार्टी की रणनीति अब पूरी तरह से कांग्रेस के अस्तित्व को फिर से स्थापित करने और दिल्ली की सत्ता में अपनी दावेदारी मजबूत करने पर केंद्रित है।
दिल्ली में कांग्रेस का शासन इतिहास में महत्वपूर्ण रहा है। कांग्रेस ने 1993 से लेकर 2013 तक दिल्ली में अपनी धाक जमा रखी थी। शीला दीक्षित के नेतृत्व में पार्टी ने 15 वर्षों तक दिल्ली की मुख्यमंत्री के तौर पर राज किया था। लेकिन जब से अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने राजनीति में कदम रखा, कांग्रेस को दिल्ली की सत्ता से बाहर कर दिया। 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को एक भी सीट हासिल नहीं हो सकी, और आम आदमी पार्टी ने लगातार जीत दर्ज की। हालांकि अब कांग्रेस ने 2025 के विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पूरी तैयारी शुरू कर दी है। इस बार कांग्रेस की योजना केवल सत्ता की वापसी की नहीं, बल्कि दिल्ली की राजनीति में अपनी खोई हुई पहचान और जनाधार को वापस पाना है।
कांग्रेस के नेताओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इस बार वह अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी को किसी भी स्थिति में वॉकओवर नहीं देने वाली। इसके लिए पार्टी ने अपनी ताकतवर रणनीति बनाई है। कांग्रेस ने जहां एक ओर दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में अपने दिग्गज नेताओं को मैदान में उतारने की योजना बनाई है, वहीं दूसरी ओर पार्टी ने आम आदमी पार्टी और बीजेपी दोनों के खिलाफ खुली जंग छेड़ी है। खासकर कांग्रेस ने केजरीवाल सरकार की नीतियों और उनके प्रभाव को लेकर हमला बोलना शुरू कर दिया है।
कांग्रेस ने दिल्ली में प्रमुख रूप से चुनावी मैदान में उतरने के लिए कुछ बड़े चेहरों को चुना है, जो पार्टी की तरफ से आम आदमी पार्टी के दिग्गज नेताओं के खिलाफ चुनौती पेश करेंगे। सबसे पहले कांग्रेस ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ नई दिल्ली सीट से संदीप दीक्षित को उम्मीदवार बनाया है। संदीप दीक्षित, दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे हैं, और उनका नाम खुद में दिल्ली राजनीति का एक बड़ा चेहरा है। शीला दीक्षित दिल्ली से तीन बार विधायक रह चुकी हैं और संदीप दीक्षित भी लोकसभा सांसद रह चुके हैं। संदीप दीक्षित को नई दिल्ली सीट से उतारकर कांग्रेस ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि वह इस बार केजरीवाल के खिलाफ मजबूत चुनौती पेश करेगी।
कांग्रेस ने न केवल अरविंद केजरीवाल, बल्कि मनीष सिसोदिया जैसे प्रमुख नेताओं के खिलाफ भी अपने उम्मीदवार उतारे हैं। जंगपुरा सीट से कांग्रेस ने फरहाद सूरी को प्रत्याशी बनाया है, जो इस सीट के तहत आने वाले निजामुद्दान वार्ड से 1996 से पार्षद रहे हैं। सूरी की मुस्लिम और पंजाबी वोटों पर मजबूत पकड़ मानी जाती है। इसके अलावा, कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव को बादली सीट से मैदान में उतारा है। पटपड़गंज सीट पर कांग्रेस ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और विधायक चौधरी अनिल कुमार को अवध ओझा के खिलाफ प्रत्याशी बनाया है। दिल्ली सरकार में मंत्री इमरान हुसैन के खिलाफ बल्लिमरान सीट पर कांग्रेस ने हारून युसूफ को उतारा है। सुल्तानपुर माजरा सीट से कांग्रेस ने जय किशन को उम्मीदवार बनाया है, जो दिल्ली में पार्टी के प्रमुख दलित चेहरा माने जाते हैं। मटियामहल सीट पर शोएब इकबाल के बेटे के खिलाफ कांग्रेस ने मो. आसिम को उतारा है, वहीं बाबरपुर सीट पर गोपाल राय के खिलाफ कांग्रेस ने हाजी इशराक को टिकट देकर मुस्लिम वोटों पर जोर दिया है।
कांग्रेस ने अपनी पूरी रणनीति में यह सुनिश्चित किया है कि वह दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार के खिलाफ विपक्ष की सबसे बड़ी ताकत बने। इस मकसद को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने एक श्वेत पत्र भी जारी किया, जिसमें केजरीवाल सरकार की विफलताओं को उजागर किया गया। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि दिल्ली की जनता को केजरीवाल और केंद्र दोनों ने धोखा दिया है। पार्टी ने इस श्वेत पत्र में दिल्ली के स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़कें, और अन्य आधारभूत संरचनाओं के मामले में सरकार की नाकामी का खुलासा किया।
कांग्रेस के नेता अजय माकन ने श्वेत पत्र जारी करते हुए एक कविता भी पढ़ी, जो केजरीवाल सरकार के खिलाफ उनके गुस्से का इज़हार थी। माकन ने कविता में कहा, “मौका-मौका हर बार धोखा, कोरोना काल में लगा रहा लाशों का अंबार, बस सेंट्रल विस्टा और शीश महल पर बरसा प्यार, 1780 करोड़ की पेंशन बुजुर्गों की भुलाई, झुग्गियों पर बुलडोजर, 2.80 लाख हुए बेघर…” इस कविता के जरिए कांग्रेस ने यह दर्शाया कि केजरीवाल सरकार ने दिल्ली की जनता के मुद्दों को नजरअंदाज किया है।
कांग्रेस ने दिल्ली पुलिस में एफआईआर भी दर्ज कराई है। यूथ कांग्रेस ने अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के खिलाफ शिकायत की, जिसमें आरोप लगाया गया कि आम आदमी पार्टी ने अपनी दो प्रमुख योजनाओं – संजीवनी योजना और महिला सम्मान योजना में धोखाधड़ी की है। यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अक्षय लाकरा ने कहा कि जब संबंधित विभाग इन योजनाओं से इनकार कर रहे हैं, तो आम आदमी पार्टी ऐसा कैसे दावा कर सकती है? इसके बाद कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच तल्खी और भी बढ़ गई है।
अजय माकन ने यह भी कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी का समर्थन करना कांग्रेस की सबसे बड़ी भूल थी, जिसकी सजा आज दिल्ली वाले भुगत रहे हैं। माकन ने 2013 में केजरीवाल सरकार के 40 दिन के समर्थन को पार्टी की सबसे बड़ी गलती बताया। उन्होंने कहा कि इसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने केजरीवाल के साथ गठबंधन किया था, जो पार्टी के लिए एक भारी गलती साबित हुआ। माकन ने केजरीवाल की आलोचना करते हुए कहा कि वह किसी भी राजनीतिक दल के साथ मिलकर अपनी सियासी महत्वाकांक्षाओं को पूरा कर सकते हैं, और उनका कोई स्थिर राजनीतिक विचार नहीं है। माकन ने यह भी आरोप लगाया कि केजरीवाल ने बीजेपी के साथ कई मामलों में समर्थन किया है, जैसे कि अनुच्छेद 370, यूनिफॉर्म सिविल कोड, और सीएए।
बहरहाल, कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत और रणनीति को 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए तैयार किया है। पार्टी के नेताओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इस बार वह किसी भी हाल में केजरीवाल को दिल्ली की सत्ता पर काबिज नहीं होने देंगे। कांग्रेस ने सभी रणनीतिक मोर्चों पर अपने कदम बढ़ा दिए हैं और इस बार उसका उद्देश्य सिर्फ चुनाव जीतना नहीं, बल्कि दिल्ली की राजनीति में अपनी खोई हुई पहचान को फिर से स्थापित करना है। पार्टी का पूरा ध्यान अब अपनी खोई हुई ताकत को वापस पाने और दिल्ली की राजनीति में फिर से सक्रिय रूप से अपनी भूमिका निभाने पर है।