रावेल पुष्प
हिंदी पत्रकारिता या फिर हिंदी साहित्य की अन्य विधाओं में भी बंगाल का अवदान एक खास मायने रखता है। वैसे इस विषय पर सामग्री कई स्रोतों से उपलब्ध की जा सकती है, लेकिन समग्र रूप से इस तरह के संग्रह का एक प्रयास 1983 में श्री रामव्यास पाण्डेय द्वारा डॉ. कृष्ण बिहारी मिश्र के संपादन में हुआ था- हिंदी साहित्य: बंगीय भूमिका और फिर उसके द्वितीय संस्करण का प्रकाशन भारतीय विद्या मंदिर ने 2014 में किया था।वो मात्र संस्करण ही नया था और उसके अद्यतन करने की खासी जरुरत थी। उसी को ध्यान में रखते हुए एक प्रचेष्टा भारतीय विद्या मंदिर ने की और 12- 13 मार्च 2016 को द्विदिवसीय राज्य स्तरीय सेमिनार का आयोजन करवाया, जिसमें साहित्य के विभिन्न विषयों पर बंगाल के विद्वानों से लिखवाए गए आलेखों का पाठ करवाया गया।उन आलेखों को ग्रंथ के रूप में प्रकाशन की योजना उसी समय थी, लेकिन ये किन्हीं कारणों से संभव नहीं हुआ और अब डॉ. बाबूलाल शर्मा के संपादन में “हिंदी साहित्य में बंगालेर अवदान” नाम से ग्रंथ का प्रकाशन 2023 में संभव हो पाया।वैसे तो इन आलेखों को भी पुनः अद्यतन करने की जरूरत थी, लेकिन ऐसा करना फिर एक लम्बी प्रक्रिया होता, इसलिए इस प्रकार प्रकाशित हो जाना ही उचित था।
अब इस ग्रंथ में प्रकाशित कुछ आलेखों के शीर्षकों पर हम जरा दृष्टि डालें- हिंदी और बंगाल: प्रारंभिक परिदृश्य, बंगाल में हिंदी मुद्रण, बंगाल के हिंदी समाचार पत्र, बंगाल में हिंदी पत्रकारिता के आयाम,इसके अलावे बंगाल में हिंदी कहानी, कविता, नाटकों पर कई आलेख एवं हिंदी साहित्य में बांग्ला का प्रभाव वगैरह शामिल हैं। इन आलेखों को तैयार करने में जिन लेखकों का योगदान है, उनमें कुछ हैं – सर्वश्री ओम प्रकाश पाण्डेय, डॉ कमला प्रसाद द्विवेदी, श्यामलाल उपाध्याय,श्रीनिवास शर्मा, जितेंद्र धीर, रेशमी पांडा मुखर्जी, गीता दुबे, सूफ़िया यास्मीन,जलज भादुड़ी, डॉ इतु सिंह, रावेल पुष्प, सिद्धेश, गीतेश शर्मा, वसुंधरा मिश्र,मंजू रानी सिंह तथा और भी कई।
इन सबके अलावा परिशिष्ट में बंगाल की हिंदी सेवी संस्थाओं और हिंदी की पत्र- पत्रिकाओं की भी संक्षिप्त टिप्पणियों के साथ एक सूची प्रकाशित की गई है, जिन्हें अद्यतन करने की कोशिश की गई है।
इस ग्रंथ का शीर्षक – बंगाल में हिंदी भाषा – साहित्य में बंगालेर अवदान की जगह सीधे-सीधे बंगाल का अवदान ही रखा जाता तो ज्यादा बेहतर होता,वैसे भले ही इस ग्रंथ के पिछले कवर पर कहा गया है कि ये हिंदी भाषियों को अन्य भारतीय भाषाओं को जानने समझने का अभिप्रेरक है।
भारतीय विद्या मंदिर कोलकाता द्वारा लगभग 350 पृष्ठों के इस ग्रंथ का मूल्य ₹800 रखा गया है, जो कुछ अधिक जान पड़ता है। वैसे इसे देश के हर पुस्तकालय, हिंदी लेखकों,साहित्य सेवियों तथा शोधकर्ताओं के पास तो अवश्य ही होना चाहिए।
हिंदी भाषा- साहित्य में बंगालेर अवदान
संपादक : डॉ. बाबूलाल शर्मा
प्रकाशक: भारतीय विद्या मंदिर
12/1, नेली सेनगुप्ता सरणी,
कोलकाता- 700087.