सुरेश हिन्दुस्थानी
पिछले दो साल से कोरोना का कहर झेल चुके कई देश अब तक पटरी पर नहीं आ सके थे, उनके समक्ष फिर से कोरोना वायरस का खतरा दिखने लगा है। जिसकी शुरूआत अब तक अविश्वसनीय प्रमाणित हो चुके चीन से हो गई है। कोरोना की तीसरी लहर के चलते चीन की स्थिति ऐसी हो चुकी है, जिसके सामने वहां की सरकार भी असहाय होती जा रही है। चीन में अकाल मौत की भयावहता का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि वहां अंतिम संस्कार करने के लिए परिजन अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। एक रिपोर्ट को मानें तो चीन में 80 करोड़ लोग इस संक्रमण का शिकार हो सकते हैं। अभी तक इस संक्रमण का घातक असर जिन देशों में हो रहा है, उनमें चीन के अलावा जापान, ब्राजील, दक्षिण कोरिया और फ्रांस शामिल हैं। जहां लगातार मौत के मामले बढ़ते जा रहे हैं।
हम यह भली भांति जानते हैं कि कोरोना संक्रमण की समस्या एक स्थायी अंतरराष्ट्रीय समस्या के रूप में स्थापित हो चुकी है। इसके लिए जहां एक ओर अनियमित खानपान को जिम्मेदार माना जा रहा है, वहीं लोगों की लापरवाही भी एक कारण है। जहां तक भारत की बात है तो इसे स्वीकार करना ही होगा कि भारत सरकार ने कोरोना के मामले में दूरदर्शी उपचार किया है। भारत में सफल टीकाकरण के चलते इसका प्रभाव बहुत कम हो रहा है और विशेषज्ञों ने भी विश्वास व्यक्त किया है भविष्य में भी इसका प्रभाव अन्य देशों की अपेक्षा कम ही होगा, लेकिन इसका आशय यह कतई नहीं है कि हम लापरवाह हो जाएं। लापरवाही समस्या को बढ़ाने का कार्य ही करती है। सरकार ने सावधानी बरतना प्रारंभ कर दिया है, अब आम जनता की बारी है कि वह पूर्व की भांति ही सरकार का साथ देकर देश को बचाने का कार्य करें। कोरोना की द्वित्तीय लहर के दौरान वीभत्स दृश्य हमने देखे हैं, जो लोग इस दौरान असमय काल के ग्राह्य बने थे, उनमें से कई ऐसे थे जिनकी कमी कई परिवारों में खल रही है।
वैश्विक धरातल पर कोरोना वायरस ने जो सबक दिया है, उससे कई देश आज भी सबक लेने को तैयार नहीं है। अगर सबक लिया होता तो चीन में आज हालात नहीं बनते। कोरोना संक्रमण जिस तरह से बढ़ रहा है, वह बेहद डरावना है। अभी तक चीन से जो खबरें आ रही हैं, हो सकता है कि हालात उससे भी ज्यादा खराब हों, क्योंकि चीन में मीडिया पर अनेक प्रकार के प्रतिबंध हैं, जिसके कारण वहां घटना की सही स्थिति सामने नहीं आ पाती। चीन के बारे में यह जगजाहिर हो चुका है कि चीन अपनी खबरों को छुपाता है। कोरोना की पहली लहर के दौरान भी चीन ने यही किया था। चीन की वही बात बाहर आ पाती है, जिसे वहां की सरकारी एजेंसियों जारी करती हैं। लेकिन इस बार सोशल मीडिया में चीन में कोरोना महामारी से बिगड़े हालातों के कुछ वीडियो वायरल हो गए हैं। जिससे वहां की स्थिति का अंदाजा लग जाता है। कोरोना से वहां इतने लोग संक्रमित हो गए हैं कि अस्पतालों में इलाज के लिए जगह नहीं है। मौतों की संख्या भी ऐसी बताई जा रही है कि लाशों का अम्बार लगा है और उन लाशों को दफनाने या जलाने के लिए संसाधन कम पड़ गए हैं।
याद दिलाना जरूरी है कि कोरोना की शुरूआत चीन से ही हुई थी और सतर्कता न बरतने के कारण उसका परिणाम पूरी दुनिया को भुगतना पड़ा । कोरोना की दो लहरों का घातक प्रभाव भारत ने भी देखा और भुगता है। भारत ने इसका प्रभाव कम करने के लिए दुनिया के कई देशों का सहयोग किया। इतना ही नहीं दुनिया के कई देशों ने भारत से सहयोग मांगा यानी भारत अब दुनिया की समस्या को समाप्त करने के लिए समाधान करने वाले देश की श्रेणी में आ चुके हैं।
कोरोना की तीसरी लहर का प्रभाव भारत में भी रहेगा, लेकिन इसका प्रभाव कम ही रहेगा। जबकि विदेश के कई देश इसके घातक परिणाम को झेलेंगे। जानकार अनुमान लगा रहे है कि कोरोना के नए वैरियंट से जिस तेजी से संक्रमण फैल रहा है उससे चीन की 60 प्रतिशत और दुनिया की 10 प्रतिशत आबादी जल्द ही संक्रमण की चपेट में आ सकती है। अमेरिका, दक्षिण कोरिया, जापान, ब्राजील आदि कई देशों में एकाएक कोरोना के मामले बढ़ गए हैं। ऐसे में भारत में इसलिए भी बहुत सावधानी रखने की आवश्यकता है कि भारत जनसंख्या के मामले दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। यहां जनसंख्या का घनत्व बहुत ज्यादा है। इसलिए कोई भी संक्रमण बहुत तेजी से फैल सकता है। इसलिए सुरक्षा उपायों का पूर्णतः पालन किए जाने की आवश्यकता है।
(लेखक राष्ट्रीय चिंतक और विचारक हैं)