भ्रष्टाचार : लोकतंत्र की नींव को खोखला करती दीमक

Corruption: The termite eroding the foundations of democracy

दिलीप कुमार पाठक

“अगर किसी देश को भ्रष्टाचार मुक्त होना है तो समाज के तीन प्रमुख सदस्य माता, पिता और शिक्षक मिलकर काम कर सकते हैं” – अबुल कलाम आज़ाद

भ्रष्टाचार का मतलब है कि कोई व्यक्ति अपनी शक्ति या पद का इस्तेमाल खुद के फायदे के लिए करता है। इससे लोगों का सरकार और संस्थानों पर भरोसा कम हो जाता है। लोकतंत्र कमजोर पड़ता है, आर्थिक विकास धीमा हो जाता है, और गरीबी, असमानता, सामाजिक झगड़े और पर्यावरण की समस्याएँ बढ़ती हैं। भ्रष्टाचार किसी भी देश या समुदाय पर वही असर डालता है जो लकड़ी में घुन डालता है—शनै शनै वह देश को खोखला कर देता है। आम शब्दों में कहे तो जायज या नाजायज काम कराने के लिए दिया जाने वाला अनुचित लाभ ही भ्रष्टाचार कहलाता है l हर साल 9 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस मनाया जाता है l यह दिवस 31 अक्टूबर 2003 को भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के पारित होने के बाद से मनाया जाता है l इसका उदेश्य लोगों को जगाना एवं जागरूक करना है, इसलिए आइए आज इसका अध्ययन करते हैं l

धनी देशों के कई लोग शायद यह मानते हैं कि भ्रष्टाचार उन्हें व्यक्तिगत रूप से प्रभावित नहीं करता, और सोचते हैं कि यह केवल विकासशील देशों की समस्या है। हालाँकि, भ्रष्टाचार इतना घातक है कि यह वैश्विक वित्तीय प्रणाली के सभी हिस्सों में अपनी पैठ बना रहा है और अर्थव्यवस्था, राजनीति और सामाजिक ताने-बाने को विकृत कर रहा है। हर साल लगभग 1 लाख करोड़ डॉलर रिश्वत के रूप में दिया जाता है, जबकि लगभग 2.6 लाख करोड़ डॉलर भ्रष्टाचार के कारण चोरी हो जाते हैं। यह कुल राशि पूरी दुनिया के कुल आर्थिक उत्पादन के 5 प्रतिशत से भी अधिक है। विकासशील देशों में भ्रष्टाचार से हुए नुकसान का अनुमान, उन देशों को मिलने वाली आधिकारिक सहायता की राशि से 10 गुना अधिक है। बहुत बड़ी रकम रिश्वत में जाती है, और उससे भी बड़ी रकम भ्रष्टाचार के कारण खो जाती है—जो दुनिया की कुल आय का एक बड़ा हिस्सा है, और गरीब देशों को मिलने वाली मदद से कई गुना अधिक नुकसान पहुँचाती है।

विश्व आर्थिक मंच का कहना है कि हर साल भ्रष्टाचार की वजह से दुनिया की अर्थव्यवस्था को लगभग 3.6 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान होता है। अगर इस पैसे का थोड़ा‑सा हिस्सा भी सही जगह इस्तेमाल किया जाए तो गरीबी हटाने, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और अन्य जरूरी सुविधाएँ बहुत बेहतर हो सकती हैं। हम सब एक ही धरती पर रहते हैं, इसलिए जब कुछ लोगों को ज़रूरत की चीज़ें नहीं मिलतीं, तो इसका असर हम सभी पर पड़ता है। ब्राज़ील के किसान खाने के लिए अमेज़न के जंगल काट रहे हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन तेज़ हो रहा है। संसाधनों की कमी के कारण युद्ध शुरू हो रहे हैं, जिससे बहुत सारे लोग शरणार्थी बन रहे हैं। असमानता और अन्याय की वजह से आतंकवादी गतिविधियाँ भी बढ़ रही हैं। भ्रष्टाचार से बहुत सारा पैसा बर्बाद हो रहा है, जबकि वही पैसा गरीबी, बीमारी, शिक्षा और पर्यावरण जैसी बड़ी समस्याओं को हल कर सकता है। जब हम इन समस्याओं को नज़रअंदाज़ करते हैं, तो पूरे दुनिया पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अधिक धन से नकारात्मक परिणाम ज़्यादा निकलते हैं, जब बहुत सारा पैसा राजनैतिक नेताओं और अधिकारियों को खरीद लेता है, तो उस क्षेत्र की सत्ता का ढाँचा बदल जाता है। गठबंधन और प्रभाव बदलने के साथ‑साथ भू‑राजनीतिक कारण भी काम करते हैं। निवेश योजनाएँ, कंपनियों का काम‑काज और पैसे का प्रवाह सब पर असर पड़ता है, और इसका सीधा नुकसान उन लोगों को होता है जो सीधे भ्रष्टाचार में शामिल नहीं होते। जब भ्रष्ट धन को सफ़ेद किया जाता है, तो बड़े शहरों में अचल संपत्ति की कीमतें बढ़ जाती हैं। साथ ही, भ्रष्ट अभिजात्य वर्ग लोकतंत्र को प्रभावित करने की कोशिश करता है, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया कमज़ोर पड़ती है। सरल शब्दों में अगर कहा जाए तो बहुत अधिक पैसा सत्ता को खरीद लेता है, आर्थिक गतिविधियों को बिगाड़ता है, आम लोगों की ज़िन्दगी में कठिनाई बढ़ती जाती हैं l

इस साल संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम और संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय मिलकर एक वैश्विक अभियान चला रहे हैं, “भ्रष्टाचार के खिलाफ एकजुट” अगर हम साथ मिलें तो कई चीज़ें बेहतर हो सकती हैं। लोकतंत्र को मजबूत बनाना, ताकि लोगों की आवाज़ सुनाई दे। न्याय को बढ़ावा देना, ताकि हर किसी को उसका हक मिले। शिक्षा का समर्थन करना, ताकि सभी को सीखने का मौका मिले। समृद्धि लाना, ताकि लोगों के पास काम और पैसे हों। विकास की सुरक्षा करना, ताकि प्रोजेक्ट्स बिना बाधा के चलें। जन स्वास्थ्य में सुधार करना, ताकि सभी को बेहतर इलाज मिल सके। इन छोटे‑छोटे कदमों से दुनिया भर में भ्रष्टाचार को कम किया जा सकता है।