- बतौर कोच क्रेग की सोच चैंपियन की और हमें अभी इसकी ही जरूरत है
- बतौर कोच क्रेग का टीम को खिलाने और प्रतिद्वंद्वी को भांपने का नजरिया शानदार
- मैं अब हर सीजन अब हॉकी कौशल बेहतर करने में लगा हूं
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : नौजवान आक्रामक मिडफील्डर हार्दिक सिंह को जरूरत विरासत में मिली है लेकिन उन्होंने निरंतर अपना खेल बेहतर कर खुद को भारत के लिए अंतर्राष्टï्रीय हॉकी के लिए तैयार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। आठ बार के ओलंपिक चैंपियन भारत को 41 बरस बाद टोक्यो ओलंपिक में कांसे के रूप में पहला पदक जिताने में अहम भूमिका निभाने वाले हार्दिक सिंह को चोट के चलते इसी साल भुवनेश्वर -राउरकेला में हुए एफआईएच हॉकी विश्व कप के अधबीच बाहर होना पड़ा था। हार्दिक को बीते बरस भारत के लिए शानदार खेल के लिए इस साल मार्च में 2022 के सालाना हॉकी इंडिया अवॉर्ड में बलबीर सिंह सीनियर प्लेयर ऑफ द ईयर से नवाजे जाने को अपनी मेहनत का सिला मानते हैं।
‘हॉकी ते चर्चा’ के दौैरान अभी हाल ही में बेंगलुरू में क्रेग फुल्टन के भारतीय पुरुष हॉकी टीम के नए चीफ कोच के रूप में कार्यभार संभालने की बाबत हार्दिक सिंह ने कहा, ‘मेरा मानना है कि जब भी आप चैंपियन टीम बनाने की कोशिश करते हैं तो आपको जरूरत एक चैंपियन कोच की भी होती है। क्रेग आयरलैंड और बेल्जियम की टीम के कोच के रूप में कामयाब रहे हैं। बतौर कोच क्रेग की सोच चैंपियन की और हमें अभी इसकी ही जरूरत है। बतौर कोच क्रेग की सोच, टीम को खिलाने का ढंग और प्रतिद्वंद्वी को भांपने का नजरिया वाकई शानदार है। क्रेग की सोच एक रणनीतिक कोच की है और इसीलिए आगे ज्यादा तवज्जो रणनीति पर ही जाने वाली है। मुझे लगता है क्रेग को खुद को भारत के माहौल के मुताबिक ढालने में कुछ वक्त लगेगा क्योंकि यह माहौल अलग है। ऐसे में और हमें इसीलिए क्रेग के साथ धैर्य धरना होगा। मुझे पूरा विश्वास है कि हम बतौर कोच क्रेग के साथ कुछ अच्छी यादें बनाएंगे।”
उन्होंने कहा, ‘ मैं इस बात से बहुत खुश हूं कि दिनोंदिन बतौर हॉकी खिलाड़ी मेरा खेल बेहतर हो रहा है। मैं अब हर सीजन अब हॉकी कौशल बेहतर करने में लगा हूं। 2017-18 में अच्छा नहीं खेलने पर मुझे भारतीय टीम से बाहर होना पड़ा था। इसके बाद भारतीय टीम में वास जगह पाने के लिए मुझे बहुत मेहनत करनी पड़ी । बतौर खिलाड़ी आपको हर दिन हर अभ्यास सत्र में पूरी शिद्दत से मेहनत करनी होती है। आप जरा सी ढील गवारा नहीं कर सकते हैं और बेहतर खिलाड़ी बनने के लिए खुद को चुनौती देने की जरूरत होती है। 2023 का एफआईएच हॉकी विश्व कप मेरे लिए बतौर खिलाड़ी खुद को बड़े मंच पर साबित करने का बड़ा मौका था। मैंने विश्व कप में अच्छा आगाज भी किया लेकिन इसके अधबीच ही चोट के चलते मुझे इससे बाहर हाना पड़ा। मुझे विश्व कप से बाहर होने का कड़ा झटका ला क्योंकि मैंने इसमें अच्छा प्रदर्शन करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। टोक्यो ओलंपिक में भारत के कांसा जीतने के बाद मेरा पूरा ध्यान हॉकी विश्व कप पर था। मैंने अभ्यास करने में जिम से लेकर हर स्तर पर पूरी शिद्दत से पसीना बहाया। बदकिस्मत से विश्व कप में मैं चोट खाकर बाहर होना पड़ा। मैं खुद विश्व कप से बाहर होने के बावजूद मैदान से बाहर अपनी टीम की हौसलाअफजाई करता । मैं और सकारात्मक रहा क्योंकि मेरा मानना है कि हॉकी टीम गेम है और यदि मेरी टीम जीतती है तो मैं भी भी जीतता हूं। यदि मेरी टीम खुश है तो मैं भी खुश हूं।’