मृत्यु जीवन का सत्य है साथ ही नव जीवन प्राप्ति का मार्ग भी है : अरविंद भाई ओझा

Death is the truth of life and at the same time it is the path to attain new life: Arvind Bhai Ojha

दीपक कुमार त्यागी

पिलखुवा : सरस्वती शिशु विद्या मन्दिर परतापुर की सहायतार्थ राम कथा में आज भगवान शिव के विवाह का उत्सव मनाया गया। शिव और पार्वती के प्रसंग की चर्चा करते हुए कथा व्यास अरविंद भाई ओझा ने कहा पति और पत्नी का सम्बंध परस्पर विश्वास का सम्बंध होता है जब यह विश्वास भांग होता है तो सम्बंध टूट जाते हैं। मृत्यु जीवन का सत्य है साथ ही नव सर्जन का मार्ग भी प्रशस्त करती है। सती जब शिव को खोती है तो अपने शरीर को त्याग देती है और जब शिव सती को खोते हैं तो समाधि ले लेते हैं। सती ने शरीर का त्याग कर पुनः पार्वती के रूप में जन्म लिया और । माता सती ने मरते समय भगवान शिव को ही अपने पति के रूप में प्राप्ति की इच्छा की और पार्वती का जन्म लेकर अपने तप के आधार पर भगवान शिव को पुनः पति के रूप में प्राप्त किया। भगवान शिव अपने शीश पर नाग का मुकुट रखते हैं क्योंकि काल सबके सिर पर बैठा है अगर हम बचना चाहते हैं तो हमको भक्ति के मार्ग पर चलना पड़ेगा।

भगवान शिव अपने शीष पर दूज का चांद रखते हैं अर्थात वह छोटे को भी पूरा सम्मान देते हैं । राख और भस्म के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा की हर व्यक्ति को जीव को एक दिन मरकर राख ही होना है लेकिन जो जीवन में परोपकार के साथ जीवन को जीते हैं उनके मरने के बाद उनकी राख भी भस्म बन जाती है। राजा हिमाचल ने अपनी पुत्री पार्वती के पैदा होने पर जैसा उत्सव मनाया था हमें भी अपने घर में कन्या के जन्म पर भी उत्सव मनाना चाहिए। कन्या बड़े सौभाग्य से घर में आती है और हर कन्या अपने साथ अपना भाग्य लेकर आती है। कन्या का पालन पोषण हमें निष्काम कर्म योग के मार्ग को बताता है। माता मैना ने पार्वती को विदा करते समय नारी धर्म का उपदेश दिया अच्छा गृहस्त जीवन कैसे जीना चाहिए यह बताया राजा हिमाचल में अपनी पुत्री को दान वस्त्र आभूषण सब देकर बड़े आनंद से विदा किया। भगवान शिव पार्वती के विवाह के चरित्र को घर में गाने से परिवार में मंगल कार्य होते हैं और सुख समृद्धि आती है। आज कथा में मुख्य यजमान उपेंद्र तोमर जी व उनकी धर्मपत्नी बीना अन्य लोगों में बृजभूषण ठेकेदार, रवीश गर्ग मोदीनगर, सुरेश तोमर जिला पंचायत सदस्य, इंद्रपाल प्रधान, ओमवीर, छोटे सिंह, धीरेंद्र सिंह , हरिओम सिखेड़ा उपस्थित रहे।