उमेश जोशी
बेरोजगारी और महंगाई के कारण अर्थव्यवस्था में बचत कम हो रही है। अधिकतर लोगों की आमदनी इतनी कम है कि वे बड़ी मुश्किल से गुज़ारा कर पाते हैं। इन हालात में कोई चाह कर भी बचत नहीं कर सकता। आम भारतीय आदतन बचत करके अपना भविष्य सुरक्षित करने में विश्वास करता है। लेकिन, मौजूदा हालात बचत के अनकूल नहीं हैं।
चालू वर्ष में जनवरी से अक्तूबर तक मुद्रास्फीति दर, जिसे महंगाई दर भी कहा जाता है, 6 प्रतिशत या उससे ऊपर रही है। इन 10 महीनों में 6 महीने ऐसे थे जिनमें मुद्रास्फीति दर 7 प्रतिशत या इससे ऊपर थी। नवंबर में पहली बार महंगाई दर 6 प्रतिशत से नीचे 5.9 प्रतिशत हुई है। एक तरफ आमदनी कम हो और दूसरी तरफ महंगाई दर ऊँची हो तो बचत कम होना लाजिमी है।
चूँकि बचत कम हो रही है इसलिए बैंकों में पैसा भी कम जमा हो रहा है। गिरती जमा राशि से बैंक चिंतित हैं। सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंक जमा राशि बढ़ाने के लिए कई तरह की योजनाएँ ला रहे हैं, खासतौर से फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) यानी सावधि जमा पर ऊंची ब्याज दर देकर जमाकर्ताओं को आकर्षित कर रहे हैं। ब्याज दरों में वृद्धि रेपो दरों के अनुसार बढ़ाई जा रही हैं। आर्थिक मामलों के जानकारों का कहना है कि बैंकों की जमा दर रिजर्व बैंक की नीतिगत दर के मुताबिक बदल रही हैं। रिजर्व बैंक ने इस साल मई से अब तक रेपो दर में 2.25 प्रतिशत का इजाफा किया है। एचडीएफसी बैंक ने निचले स्तर से जमा दरों में 2.10 प्रतिशत तक बढ़ोतरी की है और अब यह तीन साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई है। निजी क्षेत्र के प्रमुख बैंकों आईसीआईसीआई बैंक, ऐक्सिस बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक और एयू स्मॉल फाइनैंस बैंक भी जमा दरों में बढौती का एलान कर चुके हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार बैंकों की ऋण वृद्धि दर 18 नवंबर को 17.2 प्रतिशत रही है, जबकि जमा दर में महज 9.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इसका अर्थ यह कि कर्ज अधिक लिया जा रहा है और बैंकों में पैसा कम जमा हो रहा है। यही स्थिति कुछ समय और बनी रही तो बैंकों के पास कर्ज देने के लिए पैसे ही नहीं होंगे। नतीजा यह होगा कि बैंकों की आमदनी का स्रोत बंद हो जाएगा क्योंकि कर्ज पर ब्याज से मिलने वाली रकम बैंकों की आय का प्रमुख स्रोत होती है। इन हालात में सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों के बैंकों की चिंता बढ़ रही है। सभी बैंकों का प्रमुख लक्ष्य है जमा बढ़ाना। तमाम बैंक जमाकर्ताओं को आकर्षित करने की होड़ में लगे हैं। जमाकर्ता ऊँची ब्याज दरों की ओर आकर्षित होते हैं इसलिए सावधि जमा पर ब्याज दरें बढ़ाई जा रही हैं। इससे ग्राहकों को एफडी पर सात प्रतिशत से भी अधिक ब्याज मिल रहा है।
रिजर्व बैंक की ओर से रेपो दर में वृद्धि के बाद सावधि जमा पर ब्याज दरें बढ़ाई गई हैं। एसबीआई ने एफडी की दरों में एक फीसदी तक और एचडीएफसी बैंक ने 0.75 फीसदी तक का इजाफा किया है। एसबीआई ने सावधि जमा पर ब्याज दर 6.75 प्रतिशत और एचडीएफसी बैंक ने 7 प्रतिशत कर दी है। इस होड़ में ऐक्सिस बैंक ने सावधि जमा पर ब्याज दर 7.20 प्रतिशत, आईसीआईसीआई बैंक ने 6.90 प्रतिशत, बैंक ऑफ इंडिया ने 6.75 प्रतिशत दरें तय की हैं। कोटक महिंद्रा ने एसबीआई के बराबर 7 प्रतिशत दर का एलान किया है। एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक ने सबसे ऊपर 7.75 प्रतिशत ब्याज दर पर सावधि जमा रकम जुटाने का फैसला किया है।
आर्थिक सलाहकारों ने जमाकर्ताओं को सचेत किया है कि बैंक में बचत खाता और एफडी समेत अन्य निवेश मिलाकर कुल पांच लाख रुपए तक की जमा पर ही गारंटी रहती है। उनका कहना है कि ऐसी स्थिति में ऊँची ब्याज दर के लोभ में किसी छोटे या कम चर्चित बैंक में पाँच लाख रुपए से अधिक की एफडी कराने से बचें। ऐसे में यदि बैंक किसी वजह से डूब जाता है तो जमाकर्ता की पाँच लाख रुपए तक की राशि पर कोई खतरा नहीं होगा।
दूसरी महत्त्वपूर्ण सलाह यह है कि छोटी रकम की एफडी करवाएँ। बैंक एफडी बीच में तोड़ने पर शुल्क वसूलते हैं। साथ ही, उतनी ही अवधि का ब्याज देते हैं जितने दिन तक एफडी रही है। इससे ग्राहकों को नुकसान होता है। ऐसी स्थिति में छोटी रकम की एफडी कराएँ और साथ ही समय अवधि भी अलग-अलग रखें। इससे जमाकर्ता के पास हमेशा पूंजी उपलब्ध रहेगी। इसके अलावा बीच में एफडी तोड़नी पड़े तो ज्यादा नुकसान नहीं होगा।