दिल्ली विधानसभा चुनाव : नये वर्ष में दिल्ली का ताज किसके सिर पर सजेगा?

Delhi Assembly Elections: Who will wear the crown of Delhi in the new year?

भाजपा का सत्ताईस और कांग्रेस का बारह वर्षों का वनवास समाप्त होगा या आप ही करेगी राज !!

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से सटे देश की राजधानी दिल्ली में विधानसभा चुनाव की घोषणा इस हफ्ते में कभी भी हो सकती है। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार सोमवार या सात जनवरी को इसकी घोषणा हो सकती है।बताया जा रहा हैं कि दिल्ली विधानसभा के चुनाव 12 से 15 फरवरी के मध्य एक ही चरण में कराए जा सकते है।इसी प्रकार 15 फरवरी के बाद चुनाव नतीजे भी आ जायेंगे। इस लिहाज से दिल्ली में फरवरी के तीसरे हफ्ते तक नई सरकार के गठन को लेकर तस्वीर लगभग साफ हो सकती है। माना जा रहा है कि छह जनवरी को अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद आयोग कभी भी चुनाव घोषित कर सकता है। दिल्ली विधानसभा का चुनाव आयोग ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए अपनी तैयारियाँ तेज कर दी है। चुनाव आयोग ने हाल ही अपने आला अधिकारियों के साथ चुनावी तैयारियों को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक की है।बताया जा रहा है कि चुनाव आयोग भी दिल्ली विधानसभा चुनाव को 18 फरवरी से पहले ही खत्म करना चाहता है,क्योंकि 18 फरवरी को मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार सेवानिवृत्त हो रहे है। वैसें दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल फिलहाल 23 फरवरी तक बताया जा रहा है।

दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों के लिए होने वाले चुनाव को लेकर सियासी माहौल चुनाव की घोषणा से पहले से ही सज कर तेज हों चुका है। आम आदमी पार्टी (आप),भारतीय जनता पार्टी (भाजपा )और कांग्रेस पार्टी ने अपने अधिकांश प्रत्याशियों की घोषणा भी कर दी है। दिल्ली विधानसभा में चुनाव मुकाबला इन्हीं तीनों दलों के मध्य है। दिल्ली की मतदाता सूची को लेकर पिछले दिनों सियासी तकरार भी देखने को मिली थी।

दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर इन दिनों राजनीति जोरों पर है तथा तेजी से राजनीतिक बिसात बिछने लगी हैं। चुनाव में जीत हासिल करने के उद्देश्य से आम आदमी पार्टी, बीजेपी, कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है।हाल ही प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली के चुनाव में धमाकेदार एण्ट्री की है और रोहिणी क्षेत्र के जापानी पार्क में भाजपा की परिवर्तन रैली को संबोधित करते हुए आम आदमी पार्टी (आप) को आप दा की परिभाषा दी है,वहीं आप सुप्रीमों अरविन्द केजरीवाल ने भी भाजपा को बिना दूल्हें की घोड़ी निकालने की बात कह पलटवार और कटाक्ष किया है। रोहिणी के जापानी पार्क में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दिल वालों की दिल्ली में इस बार लोगों का जो उत्साह और उमंग तथा हौसला दिखाई दे रहा है,वाकई यह अद्भुत है। देश दुनिया में 21वीं सदी के 25 वर्ष बीत चुके हैं यानी एक चौथाई सदी बीत चुकी है। इस दौरान शायद दिल्ली में युवाओं की दो से तीन पीढ़ियां भी बड़ी हो चुकी हैं। इसलिए आने वाले 25 वर्ष भारत के भविष्य के लिए, दिल्ली के भविष्य के लिए बहुत खास हैं। ये वर्ष भारत को एक विकसित राष्ट्र बनते हुए देखेंगे।विकसित भारत के इस सफर का एक बहुत बड़ा पड़ाव जल्द ही आने वाला है,जब भारत, दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बन जाएगा। इसलिए यह बहुत जरुरी है कि दिल्ली, देश की राजधानी, इस गौरवशाली यात्रा में कदम से कदम मिलाकर चले।उन्होंने दिल्ली की जनता से अपील की कि दिल्ली के उज्ज्वल भविष्य के लिए भाजपा को एक मौका दें क्योंकि भाजपा ही दिल्ली का विकास कर सकती है।

पिछले 10 सालों में दिल्ली ने जो सरकार देखी है, वह ‘आप-दा’ से कम नहीं है।अब दिल्ली में केवल यही सुनने को मिलता है कि ‘आप-दा नहीं सहेंगे, बदल के रहेंगे।मोदी ने विश्वास जताया कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी पड़ौसी प्रदेशों की तरह कमल खिलेगा।भाजपा ही दिल्ली को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ राजधानी का दर्जा दिला सकती है। हमारी केंद्र सरकार ने पिछले साल दिल्ली को सुरक्षा, स्वास्थ्य और अन्य विकास परियोजनाओं के लिए 75,000 करोड़ रुपये दिए हैं। दिल्ली को ऐसे ही विकास की जरूरत है जो इसे दुनिया में शहरी विकास का मॉडल बना सकें।यह तभी हो सकता है जब भाजपा की केंद्र और राज्य की डबल इंजन सरकारें मिल कर काम करें। दिल्ली में सभी बड़े विकास कार्य केंद्र सरकार द्वारा किए गए हैं। दिल्ली मेट्रो दिल्ली के हर कोने तक पहुंच गई है, यह काम भाजपा ने किया है. यह नमो ट्रेन सेवा, राजमार्ग, फ्लाईओवर, सब कुछ केंद्र सरकार द्वारा किया गया है।पीएम आवास योजना के तहत, केंद्र सरकार गरीबों को घर बनाने के लिए भी पैसा दे रहीं है।

इधर सभी राजनीतिक पार्टियां जनता के बीच जाकर जोरशोर से अलग-अलग वादे करने में जुट गये हैं।आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल और दिल्ली की मुख्यमन्त्री आतिशी महिलाओं को हर महीने 2500 रू देने की बात कर रहें हैं। वहीं भाजपा ने प्रधानमन्त्री मोदी के हाथों कई परियोजनाओं का लोकार्पण कराया हैं । कांग्रेस ने इस बार भी इण्डिया गठबन्धन के अपने साथी अरविन्द केजरीवाल से अलग अकेले ही चुनाव लड़ने का फैसला लिया हैं।

भारतीय जनता पार्टी 1998 और कांग्रेस 2013 के बाद दिल्ली की सरकार पर फिर से काबिज़ नहीं हो पाई हैं। भाजपा सत्ता में वापसी के अपने पिछले 27 वर्ष के तो कांग्रेस 12 वर्ष के सूखे को खत्म करने के इरादें से इस बार चुनाव मैदान में उतरी हैं।वहीं आम आदमी पार्टी पहले दिसम्बर 2013 से 49 दिनों तक और फिर करीब एक वर्ष के राष्ट्रपति शासन के बाद फ़रवरी 2015 से अब तक लगातार 27 वर्षों से सत्ता पर काबिज़ हैं तथा इस बार फिर से एक और बार एकतरफा जीत दर्ज करने के इरादे से चुनाव मैदान में हैं।अरविन्द केजरीवाल को अपने वोट बैंक पर पक्का भरोसा है तथा मोदी सरकार द्वारा पिछले वर्ष उन्हें विभिन्न मामलों में जेल में डाले जाने को भी वे अपने पक्ष में ही मान रहें है।

इस तरह देश की राजधानी दिल्ली में सभी राजनीतिक दलों ने अपनी राजनीतिक बिसात बिछानी शुरू कर दी हैं। तीनों पार्टियों ने विधानसभा वार अपने अपने नेताओं को ज़िम्मेदारियाँ सुपुर्द की है जिसमें सभी दलों से जुड़ें राजस्थान के कई नेतागण भी शामिल है।यदि हम चुनाव आयोग के आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले 27 सालों के दौरान बीजेपी दिल्ली में अपना वोट प्रतिशत इंटेक्ट जस का तस बनाये रखने में कामयाब हुई है तथा पिछलें लोकसभा चुनाव में भाजपा ने दिल्ली की सभी दस लोकसभा सीटों पर चुनाव जीता हैं।वहीं दिल्ली में कांग्रेस की राजनीतिक जमीन लगातार खिसती नजर आ रही है। दिसम्बर 2013 में दिल्ली की सत्ता गंवाने के बाद कांग्रेस के वोट शेयर में चुनाव दर चुनाव गिरावट ही देखने को मिली है और आप पार्टी का ग्राफ लगातार बेहतर होता जा रहा है। हालाँकि पिछले विधान सभा चुनाव में दिल्ली की अधिकतर सीटों पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों ने कई सीटों पर बहुत् कम अंतरों से ही जीत दर्ज की थी,इसलिए भाजपा को यकीन है कि इस बार हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में मिली जीत के बाद देश की राजधानी दिल्ली में भी भगवा झण्डा लहरायेगा।

देखना है दिल्ली में इस बार भाजपा का सत्ताईस और कांग्रेस का बारह वर्षों का वनवास समाप्त होगा या नहीं या आप ही यहाँ करेगी राज ? अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार नये वर्ष में दिल्ली का ताज किसके सिर पर सजेगा?