दिल्ली विधान सभा: चुनावी दंगल शंखनाद उद्घोषित

Delhi Assembly: The election battle has been announced

प्रो. नीलम महाजन सिंह

दिल्ली के चुनावी दंगल में युद्ध का शंखनाद उद्घोषित हो चुका है। मुख्य रूप से आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी, कॉंग्रेस व स्वतंत्र प्रत्याशी होंगें। कॉंग्रेस सबसे कमज़ोर कड़ी है तथा कॉंग्रेस के 66 प्रत्याशी ही नहीं तैयार हो रहे हैं। शीला दीक्षित के 15 वर्षों तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहने के बाद, कॉंग्रेस का सूपड़ा साफ़ है। मज़ेदार बात यह है कि इस बार प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह व दिल्ली के भाजपा प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा की अगुवाई में कड़ी मेहनत की जा रही है। यह चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है, कि दिल्ली भारत की राजधानी होने के कारण केंद्रीय सरकार के नियन्त्रण में नहीं है। पीएम नरेंद्र मोदी ने ‘आप को आपदा’ कहा है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में सार्वजनिक परिवहन एक बड़ा मुद्दा है। दिल्ली सरकार ने अगले साल तक10 हजार बसों का लक्ष्य रखा है लेकिन कैलाश गहलोत के ‘आप’ छोड़ने के बाद इलेक्ट्रिक बसों के अभियान को गहरा झटका लगा है। जनवरी में 225 बसें घट चुकी हैं। भाजपा व आप सरकार के बीच बसों की उपलब्धता को लेकर राजनीति गर्माती जा रही है। दिल्ली में बसों की कमी का असर ट्रैफिक व्यवस्था पर पड़ रहा है। इससे प्रदूषण पर भी लगाम नहीं लगी।

दिल्ली के प्रदूषण में वाहनों के धुएं का हिस्सा ज़्यादा है, ऐसे में ज़ोर दिया जाता है कि सार्वजनिक परिवहन सेवा मज़बूत की जाए, जिससे सड़कों पर निजी वाहनों की संख्या कम हो सके। दिल्ली में सड़कों की हालत खस्ता है व ‘दिल्ली गड्ढों और खण्डो का शहर बन गया है। सफ़ाई व दिल्ली म्यूनिसिपल कार्पोरेशन की बुरी हालत है। दिल्ली की सड़कों से पुरानी बसों को हटाने का क्रम अगले माह से और तेज़ होने जा रहा है। डीटीसी की 2000 से अधिक बसें हट गई है। वहीं वर्ष 2026 तक 3775 बसें हट जाएंगी । सार्वजिक परिवहन के मामले में दिल्ली की जनता सरकार को इस नज़र से देख रही है कि कब पर्याप्त बसें होंगी।

भाजपा इसे लेकर पिछले 10 साल से ‘आप’ सरकार को घेरती आ रही है। ‘आप’ भी भाजपा पर एल.जी. विनय कुमार सक्सैना के माध्यम से काम न होने देने का आरोप लगा रही है। करीब चार साल पहले भाजपा द्वारा भ्रष्टाचार का आरोप लगाने पर दिल्ली सरकार की ओर से खरीदी जा रहीं 1,000 सीएनजी बसों पर रोक लग गई थी। भाजपा ने आरोप लगाया था कि जितनी कीमत की बसें हैं, उससे चार गुना ज्यादा पैसा टेंडर में इन बसों के रखरखाव के लिए निर्धारित किया गया है। इसके बाद एल.जी. विनय कुमार सक्सैना ने मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी थी व बसों के टेंडर को रद्द कर दिया था। औसतन प्रतिदिन 500 बसें सड़क पर ही खराब हो जाती हैं। ऐसा पहली बार है, जब डीटीसी की अधिकतर लो-फ्लोर सीएनजी बसों ने परिचालन सीमा को पार कर लिया है। दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी मारलेना सिंह, इन बसों का निरीक्षण कर चुकी हैं, मगर ये बसें कब सड़कों पर उतरेंगीं, यह अभी स्पष्ट नहीं है। इसी सप्ताह प्रधान मंत्री नरेंद मोदी ने जमकर आक्रोशित भाषण दिया, जिसके कारण, ‘आप के अरविंद केजरीवाल’ के परखच्चे उड़ गए। अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि बीजेपी नेता खुल कर पैसे बांट रहे हैं। “क्या आरएसएस वोट खरीदने का समर्थन करती है”; केजरीवाल ने मोहन भागवत, सरसंघचालक को चिट्ठी लिखकर पूछा है। ग्रंथियों व पुजारियों को हर महीना 18 हज़र रुपये, ‘आप की पुजारी-ग्रंथी सम्मान स्कीम’ से भाजपा के हिन्दुत्व अभियान के लिए चुनौतीपूर्ण है। क्या भाजपा ‘मध्य प्रदेश मॉडल’ से दिल्ली चुनाव रही है? भाजपा ने इस चुनाव में कई बड़े चेहरों को टिकट दिया है। इस बार दिल्ली चुनाव में अपने प्रदर्शन को बेहतर करने के लिए बीजेपी, 28 सालों के राजनीतिक सुखे से बाहर निकलने का भरपूर प्रयास कर रही है। इसी को लेकर अब बीजेपी दिल्ली में अपने पूर्व सांसदों को टिकटें दे रही है।

परवेश वर्मा, कैलाश गहलोत, दुष्यंत गौतम, अरविंदर सिंह लवली, रमेश भादुड़ी, चुनाव में हिस्सा ले रहे हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने केजरीवाल के लिए कहा, “ग़रीबों की बात करने वाला शीशमहल में रहता है”। बीजेपी ईमानदारी की बात कर, भ्रष्टाचार में डूबी ‘आप की साख निर्वस्त्र’ कर रही है। डॉ. हर्षवर्धन को कृष्ण नगर सीट से चुनाव लड़ने को कहा गया है। वहीं तत्कालीन मुख्यमंत्री आतिशी के ख़िलाफ कालका जी सीट से रमेश विधुड़ी व दल-बदलू अल्का लांबा हैं। आप का आरोप है कि क्या भाजपा ‘जहां झुग्गी वहीं मकान’ का वायदा पूरा करेगी ? दिल्ली में ‘आप’ की वोटों पर भाजपाा का फोकस है। क्या घर की चाबी से खुलेगा सत्ता का ताला? झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोग दिल्ली की 35 सीटों का फैसला करेंगें।बीजेपी की चुनावी रणनीति में इस पर फोकस किया गया है। यह महज संयोग नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों को 1675 फ्लैटों की चाबियां सौंपकर दिल्ली का चुनावी बिगुल फूंका है। ये फ्लैट डीडीए ने ‘जहां झुग्गी वहीं मकान’ योजना के तहत तैयार किए हैं। नई दिल्ली विधान सभा से, अरविंद केजरीवाल, कॉंग्रेस के संदीप दीक्षित व भाजपा के परवेश वर्मा चुनाव लड़ रहे हैं।

सारांशार्थ सच तो यह है कि दिल्ली में अब भारतीय जनता पार्टी में एकता होने से, उनके चुनावी परिणामों में लाभ होने की संभावना है। वरिष्ठ आरएसएस – भाजपा नेता व अधिवक्ता रविंद्र कुमार गुप्ता के विश्लेषण के अनुसार, “अरविंद केजरीवाल के झूठे प्राचार और प्रलोभनों से दिल्ली की जनता ऊब चुकी है तथा भारतीय जनता पार्टी, पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए सभी वादों को कार्यान्वित करेगी” l (BSES) बी.एस.इ.एस. द्वारा आम जनमानस द्वारा झूठे बिजली के बिल भरने से परेशान है। जहां मनीष सिसोदिया ने ‘दिल्ली के स्कूल मॉडर्न’ किए हैं, वहीं 10वीं व 12वीं में अनेक बच्चे फेल हो रहे हैं। ‘आप’ के मोहल्ला क्लिनिक काम नहीं कर रहे। पूरी दिल्ली में कहीं भी चले जाइए कचरा ही कचरा मिलता है। रोटी, कपड़ा, मकान, बिजली, शिक्षा, महिलाओं की सुरक्षा आदि अनेक मुद्दों पर ‘आप’ सफल नहीं हुई। फ़िर 60 वर्ष से ऊपर आयु के लोगों को मुफ़्त इलाज देना व महिलाओं को ₹2100/- देने का वायदा, कहां तक सफल होंगा, यह समय ही बतायेगा। वैसे अब ‘टीना फैक्टर’ ( There Is No Alternative = TINA ) नहीं है, क्योंकि भाजपा मज़बूती से दिल्ली के चुनाव लड़ रही है। दिल्ली के चुनावों में, आम आदमी पार्टी के अस्तित्व व भाजपा की चुनावी वापसी की कशमकश रहेगी।

प्रो. नीलम महाजन सिंह (वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक, शिक्षाविद, दूरदर्शन व्यक्तित्व, सॉलिसिटर फॉर ह्यूमन राइट्स व परोपकारक)