भारत पाक तनाव के बावजूद सार्क देशों के शिक्षा कार्यक्रमों पर प्रतिकूल असर नहीं पड़ने की उम्मीद

Despite India-Pakistan tension, education programmes of SAARC countries are not expected to be adversely affected

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

भारत और पाकिस्तान के मध्य चल रहे तनाव के बावजूद भारत का प्रयास है कि सार्क (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) देशों पर शिक्षा से जुड़े कार्यक्रमों पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़े है। सार्क देशों में भारत के साथ बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, मालदीव, अफगानिस्तान तथा पाकिस्तान कुल आठ सदस्य देश शामिल है।

इन देशों के मध्य पाकिस्तान को छोड़ अन्य देशों के आपसी समन्वय में कोई दिक्कतें नहीं दिखाई दे भारत ऐसा प्रयास कर रहा है ।

भारत और पाक के मध्य चले तेज तनाव के बाद की परिस्थितियों का विश्लेषण करने वाले जानकार बताते है कि पाकिस्तान ने सार्क देशों के उच्च शिक्षा कार्यक्रमों के लिए अपनी हिस्सेदारी देना बंद करने का फैसला लिया है क्योंकि भारत ने भी पाकिस्तान के नागरिकों के वीजा बन्द करने के साथ ही द्वि पक्षीय सम्बन्धों को समाप्त कर दिया है। शिक्षा से जुड़े कार्यक्रमों के लिए भारत 57 प्रतिशत सहयोग कर रहा है जबकि पाकिस्तान का अंशदान मात्र 12 प्रतिशत रहता आया है । सार्क देशों के उच्च शिक्षा से जुड़े कार्यक्रमों में पाकिस्तान अपना अंशदान नहीं देकर अपने नक्शे कदम पर बांग्ला देश और अफगानिस्तान को भी चलने के लिए उकसा रहा है इससे सार्क देशों के उच्च शिक्षा कार्यक्रमों पर प्रतिकूल असर पड़ने वरन सार्क के अन्य देशों के मध्य दूरियां बढ़ने का खतरा भी दिखाई देता है।

सार्क देशों के शिक्षा कार्यक्रमों में दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय, शिक्षा और अनुसंधान कार्यक्रम,क्षमता निर्माण कार्यक्रम, शिक्षा आदान-प्रदान कार्यक्रम, शिक्षा नीति और योजना कार्यक्रम आदि शामिल है। सार्क देशों ने पिछले वर्षों में दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय की स्थापना की है,जो क्षेत्रीय सहयोग और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण संस्थान है।

सार्क देशों के बीच शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में भी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए अन्य कई कार्यक्रम और परियोजनाएं भी चलाई जा रही हैं। सार्क देशों में क्षमता निर्माण के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिससे सदस्य देशों के नागरिकों को विभिन्न क्षेत्रों में कौशल और ज्ञान प्राप्त करने में मदद मिल सके।

सार्क देशों ने शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए कई प्रयास किए गए हैं। शिक्षा आदान-प्रदान कार्यक्रम के अन्तर्गत सार्क देशों के बीच शिक्षा के नवाचारों के आदान-प्रदान कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे छात्रों और शोधकर्ताओं को अन्य सदस्य देशों में अध्ययन और अनुसंधान करने का बेहतर अवसर मिल सके। शिक्षा नीति और योजना में सार्क देशों के बीच शिक्षा नीति और योजना के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए चर्चा और आदान-प्रदान किया जाता है, जिससे सदस्य देशों को अपने शिक्षा क्षेत्र में सुधार करने में मदद मिल सके। इन प्रयासों का उद्देश्य सार्क देशों के बीच शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना और क्षेत्रीय विकास को मजबूत करना है। सदस्य देशों का मुख्य मकसद क्षेत्रीय सहयोग, आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है। सार्क का मुख्यालय काठमांडू, नेपाल में स्थित है।

पिछले दिनों आतंकवाद के मुद्दे पर भारत पाकिस्तान के मध्य उपजे संघर्ष से भारत ने पाकिस्तान से अपने सम्बन्ध तोड़ दिए है। इस पर पाकिस्तान ने भी अगले आदेश तक सार्क देशों के शिक्षा कार्यक्रमों के लिए अपना अंशदान रोक दिया है। साथ ही बताया जा रहा है कि बांग्ला देश और अफगानिस्तान भी पाकिस्तान की तरह अपने अपने अंशदान रोक सकते है। ऐसे में सार्क देशों के शिक्षा से जुड़े कार्यक्रमों पर अन्य देशों के विद्यार्थियों पर इसका असर पड़ सकता है। इस तरह पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देने के साथ ही सार्क के शिक्षा से जुड़े कार्यक्रमों को बाधित करने का दोषी भी बन रहा है।

विदेशी मामलों के जानकारों का मानना है कि भारत और पाकिस्तान के मध्य चल रही खटास के कारण सार्क के अन्य देशों के विद्यार्थियों को शिक्षा कार्यक्रमों के लाभ से वंचित नहीं होना पड़े इसके लिए भारत को आगे बढ़ कर प्रयास करने चाहिए। जानकारों को उम्मीद है भारत और पाकिस्तान के मध्य चल रहे तनाव के बावजूद सार्क देशों के शिक्षा कार्यक्रमों पर किसी प्रकार का प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा।