- तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग के भौतिक विज्ञान विभाग में मैटेरियल्स एंड डिवाइसेज पर दो दिनी चौथी राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस- एनसीएमडी-2023 का शंखनाद, रिसर्च के प्रति बेहद संजीदा संस्थान टीएमयू को आईआईटी, दिल्ली के फिजिक्स विभाग से कोलाबोरेशन का आमंत्रण
रविवार दिल्ली नेटवर्क
- सेमी कंडक्टर्स और उनके उपकरणों पर अधिक कार्य की दरकार: डॉ. मीना मिश्रा
- मैटेरियल्स सभी उपकरणों की बैकबॉन: प्रो. पंकज श्रीवास्तव
- मौजूदा चैलेंजेज़ के मुताबिक मैटेरियल्स, डिवाइसेज़ करने होंगे ईजाद: प्रो. द्विवेदी
- डॉ. श्याम सुदंर तिवारी ने मैटेरियल्स एंड डिवाइसेज पर साझा किए अनुभव
- मैटेरियल्स रिसर्च और उसके महत्व को जानने की दरकार: डॉ. आदित्य शर्मा
- नेशनल कॉन्फ्रेंस के तकनीकी सत्र में फर्स्ट डे 22 रिसर्च पेपर किए गए प्रस्तुत
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन ने कहा, कॉन्फ्रेंसज़ किसी भी यूनिवर्सिटी की ग्रोथ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। नेशनल और इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में बहुत से महत्वपूर्ण आइडियाज़ साझा किए जाते हैं। यदि प्रतिभागी एक बिन्दु भी आत्मसात कर ले तो कॉन्फ्रेंस सार्थक हो जाती है। श्री जैन अपने अनुभवों को साझा करते हुए बोले, मैंने देश-विदेश की कई टॉप यूनिवर्सिटीज़ को नजदीक से देखा और सुना है और वहीं से सीखकर टीएमयू को डवलप करने का संकल्प लिया है। सेमी कंडक्टर्स पर बोलते हुए कहा, आधुनिक उपकरणों के निर्माण में सेमी कंडक्टर्स की बड़ी भूमिका है। भारत में भी सेमी कंडक्टर्स डिवाइसेज का निर्माण हो रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई, टीएमयू में भी जल्द ही सेमी कंडक्टर्स डिवाइसेज़ का निर्माण कार्य शुरू करेंगे। श्री जैन तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग के भौतिक विज्ञान विभाग में मैटेरियल्स एंड डिवाइसेज पर आयोजित चौथी दो दिनी राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस- एनसीएमडी-2023 में ऑफलाइन बोल रहे थे। इससे पहले एसएसपीएल, डीआरडीओ, दिल्ली की निदेशक डॉ. मीना मिश्रा ने बतौर मुख्य अतिथि, बतौर विशिष्ट अतिथि- आईआईटी, दिल्ली के फिजिक्स विभाग के एचओडी प्रो. पंकज श्रीवास्तव, एडवांस्ड सेंसर रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन के निदेशक डॉ. श्याम सुदंर तिवारी, टीएमयू के रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा, फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग के डायरेक्टर एवं कॉन्फ्रेंस जनरल चेयर प्रो. राकेश कुमार द्विवेदी, फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग के वाइस प्रिंसिपल प्रो. पंकज कुमार गोस्वामी आदि ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके नेशनल कॉन्फ्रेंस का शुभारम्भ किया। इस मौके पर सभी अतिथियों का बुके देकर गर्मजोशी से स्वागत किया गया। इस मौके पर अतिथियों ने अब्स्टेªक्ट बुक का विमोचन भी किया। अंत में मेहमानों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया गया। तकनीकी सत्र में 22 रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए गए। पहले दिन संचालन फैकल्टी मिस इंदु त्रिपाठी ने किया।
डीआरडीओ, दिल्ली की सॉलिड स्टेट फिजिक्स लैबोरेट्री की निदेशक डॉ. मीना मिश्रा ने कहा, हमें सेमी कंडक्टर्स और उनसे बने उपकरणों पर अधिक कार्य करने की दरकार है। इनके आयात पर देश का बहुत धन खर्च होता है। डीआरडीओ की उपयोगिता के बारे में बताते हुए बोलीं, रक्षा क्षेत्र में डीआरडीओ नई-नई तकनीकों की खोज में लगा हुआ है। पहले रडार में गैलियम आर्सेनिक तकनीक का प्रयोग होता था, लेकिन अब गैलियम नाइट्राइड तकनीक का उपयोग करके रडार की क्षमता को बढ़ाया है। लेजर डायोड तकनीक एनर्जी गाइडेड वेपंस बनाने और पानी के अंदर कम्युनिकेशन में बेहद उपयोगी सिद्ध हो रही है। जीरो विजिबल्टी जैसे कोहरे, धुआं आदि में इंफ्रारेड टेक्नोलॉजी की मदद से थर्मल इमेजिंग के जरिए इमेज लेने में मदद मिलती है। डॉ. मीना ने लेटेस्ट सेंसर तकनीकों जैसे- सीएनटी बेस्ड केमिकल सेंसर्स, इकॉस्टिक इमिसन सेंसर और क्वांटम सेंसर्स पर भी विस्तार से प्रकाश डाला। इन आधुनिक सेंसर्स के जरिए केमिकल अटैक, जैविक अटैक के बारे में पता लगाने में मदद मिलती है। आईआईटी, दिल्ली के फिजिक्स विभाग के एचओडी प्रो. पंकज श्रीवास्तव बोले, मैटेरियल सभी उपकरणों की बैकबॉन हैं। सेमी कंडक्टर टेक्नोलॉजी वर्तमान में बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, सेमी कंडक्टर रिसर्च में कोलाबोरेशन की जरूरत है। प्रो. पंकज ने रिसर्च के प्रति बेहद संजीदा संस्थान टीएमयू को आईआईटी, दिल्ली के फिजिक्स विभाग से कोलाबोरेशन के लिए आमंत्रित किया है।
कॉन्फ्रेंस जनरल चेयर प्रो. आरके द्विवेदी बोले, हमें ऐसे मैटेरियल्स और डिवाइसेज़ इजाद करने होंगे, जो 21वीं सदी के चैलेंजेज़ का सामना कर सकें। उन्होंने एआई ड्रिवेन मॉडल के बारे में बताते हुए कहा, आजकल इसका उपयोग मैटेरियल्स रिसर्च में बड़े स्तर पर हो रहा है। हयूमन के पास नेचुरल इंटेलिजेंस है जो हमेशा आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस से सुपीरियर है। अतः हमें पूरी तरह एआई पर निर्भर नहीं होना चाहिए। एडवांस्ड सेंसर रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन के निदेशक डॉ. श्याम सुदंर तिवारी ने मैटेरियल एंड डिवाइसेज पर बोलते हुए कहा, पहला सेंसर 1970 में तागुची मैथड से बनाया गया, जो ट्रायल और एरर मैथड पर आधारित था। उन्होंने बीएआरसी, मुंबई के अपने अनुभव भी साझा किए। टीएमयू के रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा बोले, बेसिक साइंस दीगर साइंस और टेक्नोलॉजी की जननी है। हमें मैटेरियल रिसर्च और उसके महत्व को जानने की दरकार है। उन्होंने उम्मीद जताई, यह नेशनल कॉन्फ्रेंस टीएमयू छात्रों और शोधाथियों के लिए मील का पत्थर साबित होगी। कॉन्फ्रेंस जनरल चेयर प्रो. आरके द्विवेदी ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कॉन्फ्रेंस की थीम पर विस्तार से प्रकाश डाला। नेशनल कॉन्फ्रेंस में कन्वीर्न्स-डॉ. दिप्तोनील बनर्जी, डॉ अमित कुमार शर्मा, को-कन्वीनर डॉ. पराग अग्रवाल, सेक्रटरी डॉ. विष्णु प्रसाद श्रीवास्तव के संग-संग फैकल्टीज़ प्रो. एसपी पाण्डेय, डॉ. अजय कुमार उपाध्याय, डॉ. पवन कुमार सिंह, डॉ. अमित गंगवार, प्रो. आरके जैन, डॉ. आशीष सिमाल्टी, डॉ. वरूण कुमार सिंह, डॉ. नवनीत कुमार, डॉ. गन्धर्व कुमार, डॉ. अजीत कुमार, श्री राहुल विश्नोई, डॉ. विपिन कुमार, डॉ. जरीन फारूख़, डॉ. संकल्प गोयल, डॉ. रोहित गौतम, डॉ. नरोत्तम कुमार आदि के अलावा रिसर्च स्कॉर्ल्स और फिजिक्स विभाग के छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।