
अशोक भाटिया
अजीब बात है कि कुंभ मेले में मामूली भगदड़ मच गई, जिसे करोड़ों लोगों ने इकट्ठा किया गया था , ये कांग्रेसी आकाश पाताल को एकजुट कर रहे थे । आज उनके द्वारा आयोजित चिन्नास्वामी स्टेडियम में कुछ हजार की भीड़ को वह नियंत्रित नहीं कर सके और चेंगरुन ( बेंगलुरु ) की भगदड़ में कम से कम 11 लोगों की मौत हो चुकी है तो 33 लोग घायल बताए जा रहे हैं। रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु को 18 साल बाद आईपीएल जीते 18 घंटे भी नहीं गुजरे थे कि सारी खुशियां मातम में बदल गई। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर जीत का जश्न मनाने गए बेकसूरों की मौत का जिम्मेदार कौन हैं? आरसीबी के मालिक, कर्नाटक सरकार या खुद क्रिकेट फैंस।
बताया जाता है कि तीन जून की रात फाइनल जीतने के बाद चार जून को जीत का जश्न मनाने के लिए चिन्नास्वामी स्टेडियम में भव्य समारोह रखा गया। जब बाहर लोग अपनी जान गंवा रहे थे, तब आरसीबी मैनेजमेंट स्टेडियम के अंदर जीत का जश्न मना रहा था। जब रजत पाटीदार और विराट कोहली चिन्नास्वामी स्टेडियम में आए फैंस के सामने भाषण दे रहे थे, तब बाहर लोग जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे थे। भगदड़ में 11 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। बावरिंग अस्पताल में 6 शव लाए गए, जिनमें 13 वर्षीय दिव्यांशी, 26 वर्षीय दिया, 21 वर्षीय श्रवण समेत तीन युवतियां और तीन युवक शामिल हैं। इनमें दो की पहचान अब तक नहीं हो सकी है। वायदेही अस्पताल में 4 शव पहुंचे- 20 वर्षीय भूमिक, 19 वर्षीय साहना, एक 20 वर्षीय युवक और एक 35 वर्षीय व्यक्ति की मौत हुई। मणिपाल अस्पताल में 19 वर्षीय चिन्मयी की मौत हुई है। हादसे में घायल 18 लोग अब भी विभिन्न अस्पतालों में उपचाराधीन हैं।
आरसीबी फ्रैंचाइजी से टूर्नामेंट जीतने के कुछ ही घंटे के भीतर इतने बड़े इवेंट की जरूरत पर सवाल पूछे जा रहे हैं। आईपीएल के इतिहास में ये पहला मौका था, जब किसी फ्रैंचाइजी ने जीत के बाद इतनी बड़ी विक्ट्री परेड की प्लानिंग की। भारत को 1983 में वर्ल्ड कप जिताने वाली टीम के मेंबर रहे पूर्व तेज गेंदबाज मदन लाल की माने तो इस कार्यक्रम को दो-तीन दिन बाद पूरी तैयारी के साथ भी किया जा सकता था। मदन लाल ने पूछा है कि जब मंगलवार की पूरी रात अहमदाबाद में पार्टी की गई तो बेंगलुरु में जश्न मनाने की क्या जल्दी थी?
आरसीबी की इस जीत को कर्नाटक सरकार ने कन्नाड़िगा अस्मिता से जोड़ने की भी कोशिश की। इस इवेंट में उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार सरकार के चेहरे के तौर पर सामने थे। एयरपोर्ट पर प्लेयर्स के स्वागत से लेकर उन्हें विधानसभा तक लेकर जाना, मुख्यमंत्री सिद्दारमैया से विराट कोहली समेत तमाम प्लेयर्स की मुलाकात करवाना, सम्मान दिलवाना, मीडिया का कैमरा हर वक्त डीके शिवकुमार पर ही फोकस रहा। जब बेंगलुरु पुलिस ने इतने बड़े इवेंट में सुरक्षा देने से अपने हाथ खड़े कर दिए थ। सूत्रों की माने तो पुलिस ने आयोजन टालने की सलाह दी थी। इसके बावजूद भीड़ जुटाने के पीछे सरकार की मंशा पर सवाल उठने चाहिए।
बेंगलुरु को ‘पढ़े-लिखे’ लोगों का शहर माना जाता है। देश की सबसे बड़ी आईटी इंडस्ट्री यहीं हैं। पूरे देश से बच्चे यहां पढ़ने आते हैं। मगर हमारे देश में तो क्रिकेट के आगे सब बेबस हो जाते हैं। 45 हजार लोगों की बैठना की क्षमता वाले स्टेडियम में चार-पांच लाख लोग घुसने की कोशिश करेंगे तो यही हश्र होगा। लोग किसी तरह बस एक-दूसरे पर चढ़कर अंदर घुसने को आमादा थे, ये अपनी मौत को खुद बुलावा देने से कम नहीं था।
जश्न के दौरान मची भगदड़ के बाद भाजपा ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार पर आपराधिक लापरवाही का आरोप लगाया। भाजपा ने आरोप लगाया कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कोई उपाय या बुनियादी व्यवस्था नहीं की गई। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार पर हमला करते हुए पार्टी ने कहा कि वे सुरक्षा सुनिश्चित करने के बजाय रील बनाने में बिजी थे। भाजपा के अमित मालवीय ने बेंगलुरू भगदड़ को लेकर राज्य सरकार की आलोचना की है और खराब योजना और भीड़ के कुप्रबंधन का हवाला दिया है। उन्होंने इस घटना भाजपा ने दावा किया है कि आईपीएल में आरसीबी की जीत के जश्न के दौरान बेंगलुरु में भगदड़ मचने से 7 लोगों की मौत हो गई है और कई लोग जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, स्टेडियम परिसर के पास भगदड़ में सात से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई। इलाके में एक नाले के ऊपर एक स्लैब रखा हुआ था। जब भीड़ जमा हुई और उस पर खड़ी हुई, तो स्लैब गिर गया, जिससे अफरातफरी मच गई और जानलेवा भगदड़ मच गई।को प्रशासनिक लापरवाही के कारण होने वाली टाली जा सकने वाली त्रासदी बताया।
जिन 11 लोगों ने अपनी जान गंवाई, वे महज क्रिकेट प्रेमी थे, विराट कोहली के दीवाने, RCB के फैन थे। उन्हें नहीं पता था कि उनकी ये दीवानगी उन्हें अपनी जान की कीमत पर चुकानी पड़ेगी। 13 साल की दिव्यांशी से लेकर 26 साल की दीया और 21 साल का श्रवण, सभी उन लाखों लोगों में शामिल थे जो सिर्फ एक झलक अपने सितारों की पाने को आए थे। अपने स्टार के आंसुओं के लिए जो लाखों लोग पागल थे, उनके दर्द से उन स्टार खिलाड़ियों को कोई खास फर्क नहीं पड़ा। तालियां बजती रहीं। फ्लाइंग किस लुटाए जाते रहे। ऐसा कैसे हो सकता है कि इन स्टार खिलाड़ियों को जानकारी नहीं थी। और जानकारी नहीं थी तो दी क्यों नहीं गई? भगदड़ के बाद भी जश्न क्यों मनता रहा? और विजयी भाषण चलता रहा, पीठ थपथपाई जाती रही।
विराट कोहली को एयरपोर्ट पर रिसीव करने पहुंचने वाले कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार का कहना है कि जश्न सिर्फ थोड़ी देर चला. सोचिए लोगों की मौत के बाद अगर एक मिनट भी जश्न मना, तालियां बजीं, ठहाके लगे, फ्लाइंग किस दिए गए तो इससे ज्यादा अमानवीयता और निर्दयता क्या हो सकती है. जब खुद सरकार एक जश्न का नेतृत्व करेगी. खेल की लोकप्रियता को भुनाने की कोशिश करेगी. भीड़ को रोकने और उसके सही प्रबंधन की जगह खुद झंडा लेकर घूमेगी तो आम लोगों से क्या उम्मीद की जाएगी? जब नेता इस तरह जश्न मनाएंगे तो जनता तो उनके पीछे पागल होगी ही.
अब सरकार आयोजकों पर सवाल उठा रही है, आयोजक प्रशासन पर और बीच में फंसे हैं वो 11 परिवार, जो अपने अपनों को खो बैठे. हर जिम्मेदार अब कह रहा है कि हमें जानकारी नहीं थी.भगदड़ में सहाना की मौत के बाद उनके परिवार ने सरकार से नाराजगी जाहिर की है। बेंगलुरु में काम करने वाली सहाना यहां से 90 किलोमीटर दूर कोलार की रहने वाली थीं। पोस्टमार्टम के बाद नगर निगम के शव वाहन में उनकी बॉडी को शिफ्ट किया गया। परिवार ने कहा कि कोलार तक ले जाने के लिए फ्रीजर तक की व्यवस्था प्रशासन ने नहीं की। हॉस्पिटल में जब परिवार ने जबरदस्त तरीके से अपनी नाराजगी और गुस्सा जाहिर किया उसके बाद ही उन्हें फ्रीजर दिया गया।
चिंतामणि के रहने वाले प्रज्वल की भी इस भगदड़ में मौत हो गई। प्रज्वल घर वालों से ये कहकर निकला कि बेंगलुरू में एक निजी कंपनी में उसका इंटरव्यू है और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के जश्न में शामिल होने चिन्नास्वामी स्टेडियम पहुंच गया। घर वालों ने जब मीडिया के जरिये मृतकों की सूची में उसका नाम देखा तो उन्हें पता चला कि प्रज्वल जॉब इंटरव्यू के लिए नहीं बल्कि आरसीबी के विजय जश्न में शामिल होने गया था।
मान भी लेते हैं कि जश्न मना रहे खिलाड़ियों को बाहर हुई भगदड़ और लोगों की मौत की जानकारी नहीं थी लेकिन क्या सरकार के कर्ता-धर्ता भी इससे अनजान थे? आखिर उपममुख्यमंत्री डीके शिवकुमार कप उठाने स्टेडियम के अंदर क्यों पहुंचे? उनका इस कप की जीत में क्या योगदान? क्या क्रिकेट और RCB की लोकप्रियता भुनाने के लिए उन्होंने सारी व्यवस्थाओं को दांव पर लगा दिया? जिस वक्त उनके भीड़ में दबते, जान गंवाते और घायल होते लोगों के साथ होना चाहिए था, उस वक्त वो RCB के कप के साथ थे. जब घायलों को उठाने की जरूरत थी, डीके शिवकुमार कप उठा रहे थे.
बेंगलुरु में जो हुआ, उसकी भूमिका मंगलवार रात से ही तैयार हो रही थी. लेकिन उसके बाद भी शासन-प्रशासन बिल्कुल सतर्क नहीं हुआ. बेकाबू भीड़ और अनगिनत लोगों को रोकने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए. ऐसी व्यवस्था नहीं की गई, जिससे उतने ही लोग स्टेडियम तक पहुंचें, जितना झेलने की क्षमता है. और अगर इन लोगों को रोकने की व्यवस्था नहीं थी तो क्या जश्न मनाना इतना जरूरी था? इस जश्न का आयोजन कर्नाटक सरकार और वहां के क्रिकेट एसोसिएशन ने कराया था. लेकिन अब कोई भी इसकी जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार नहीं है. सरकार कह रही है कि विधानसभा के पास कोई घटना नहीं हुई, हमारी तैयारी अच्छी थी. सरकार इसके लिए क्रिकेट एसोसिएशन की व्यवस्था पर सवाल उठा रही है. सरकार मान रही है कि 3 लाख से ज्यादा लोग आए थे जबकि चिन्नास्वामी स्टेडियम की क्षमता मात्र 35 हजार की है. अगर सरकार के पास इतनी व्यवस्था नहीं है तो जश्न के लिए लोगों को खुला न्योता क्यों था?
बताया जाता है कि मंगलवार रात में सड़कों पर जमकर डांस हुआ और धीरे-धीरे से हुड़दंग और हंगामे में बदल गया. लोग इस कदर खुमार में थे कि ट्रक रुकवाकर, उनका हॉर्न बजवाकर उस पर डांस किया. सोचिए ये किस तरह का पागलपन था. मंगलवार की पूरी रात बहुत से लोगों के लिए जश्न मनाते हुए निकल गई. फिर भी सुबह तक उनका जोश ठंडा नहीं पड़ा. और जब लोगों को चिन्नास्वामी स्टेडियम में जश्न की जानकारी हुई, फिर से वो सड़कों पर उतर आए. कुछ लोग स्टेडियम में नहीं घुस पाए, तो वो पेड़ों पर चढ़ गए. इस हादसे ने बता दिया है कि अगर आयोजन में मानवीय संवेदना गायब हो, तो कोई भी जीत जानलेवा बन सकती है.
भाजपा ने इस घटना को ‘सरकारी विफलता’ और ‘राजनीतिक लालसा’ का नतीजा करार दिया है. भाजपा की ओर से जारी बयान में कहा गया है, “यह केवल भगदड़ नहीं थी, बल्कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की आपसी खींचतान से पैदा हुई एक सरकार-निर्मित त्रासदी थी.”भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा, “हर दिन राहुल गांधी सेना और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मजाक उड़ाते हैं. लेकिन जब इतने लोग एक दुर्घटना में मारे गए तब राहुल कहां हैं?” भाजपा ने राहुल से मांग की कि वह इस हादसे पर तुरंत कार्रवाई करें और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को दिल्ली तलब करें.भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि इस पूरे मामले की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए. साथ ही डीके शिवकुमार को जनता से माफी मांगनी चाहिए.
अशोक भाटिया, वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार ,लेखक, समीक्षक एवं टिप्पणीकार