विधान सभा उप चुनाव से पहले भजन लाल मंत्रिपरिषद का विस्तार होने की चर्चा

Discussion about the expansion of Bhajan Lal Council of Ministers before the legislative assembly by-election

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

विश्व आदिवासी दिवस पर एक ओर भारत आदिवासी पार्टी बाप के सांसद राजकुमार रोत ने जहां भारतीय जनता पार्टी भाजपा पर धर्म की रणनीति को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है वहीं दूसरी ओर भजन लाल शर्मा मंत्रिपरिषद से इस्तीफा दे चुके वरिष्ठ मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि मैने 45 वर्षों तक पार्टी की सेवा की फिर भी मेरी बातों और सुझावों को नजर अंदाज कर दिया इसलिए मैने मंत्री पद भी ठुकरा दिया है। इससे लगता है कि डॉ किरोड़ी लाल मीणा फिलहाल अपना इस्तीफा वापस लेने के मुड़ में नहीं लगते अथवा वे प्रेशर पॉलिटिक्स कर रहे है।हालांकि किरोड़ी लाल मीणा का इस्तीफा अभी स्वीकार नहीं हुआ है। राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा की संसद सत्र में व्यस्तता के कारण उनकी उनसे होने वाली मुलाकात भी अभी तक नहीं हुई है। संभवत अब संसद सत्र के अनिश्चित काल के लिए स्थगित होने के बाद यह मुलाकात होवें और उनके मंत्री बने रहने अथवा इस्तीफा को लेकर आगे कोई निर्णय हों जाए। इधर राजस्थान भाजपा में इन दिनों मारवाड़ के ओबीसी नेता और संगठन के जानकार मदन राठौड़ के रुप में नए अध्यक्ष की एंट्री हुई है। मदन राठौड़ को प्रदेश में अपनी नई संगठनात्मक टीम भी बनानी है। इस मध्य नए अध्यक्ष राठौड़ और मुख्यमंत्री शर्मा को प्रदेश में रिक्त हुई राज्य सभा की एक सीट पर पार्टी द्वारा चुने जाने वाले उम्मीदवार को जिताना है और इसके बाद प्रदेश में होने वाले पांच विधान सभा के उप चुनाव में भी पार्टी को सफलता दिलानी है। हाल ही सलूंबर के विधायक अमृत लाल मीणा के असामयिक निधन के कारण प्रदेश में अब एक और सीट यानी छह विधानसभा सीटों पर उप चुनाव हो सकते है। तीन बार से लगातार विधायक निर्वाचित हुए अमृत लाल मीणा के दुखद निधन के पश्चात यह किवंदती फिर से चर्चा में है कि राजधानी जयपुर स्थित नए विधानसभा भवन के बनने के बाद से यहां राज्य के सभी 200 विधायक एक साथ कभी नहीं बैठे है।

कांग्रेस के के सी वेणुगोपाल के केरल से लोकसभा सांसद चुने जाने के बाद उनके इस्तीफे से खाली हुई राज्य सभा की एक सीट पर भाजपा किसे टिकट देंगी ? यह अभी तय होना है। अब तक हुए चुनावों में भाजपा ने हमेशा प्रदेश के नेताओं को ही वरीयता दी है जबकि कांग्रेस बाहरी नेताओं को राजस्थान से चुनाव जीता कर संसद के ऊपरी सदन तक ले जाती रही है। पिछले कुछ महीनों पूर्व कांग्रेस ने अपनी पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गाँधी को भी राजस्थान से ही चुनाव जीता कर राज्य सभा में भेजा है। अब यह देखना है कि भाजपा राज्यसभा की रिक्त सीट के लिए किसे अपना उम्मीदवार बनाती है। वैसे शीर्ष नेतृत्व प्रायः चुनाव पूर्व प्रचलित नामों को टिकट नहीं देता है और इस बार राज्य सभा में जातीय संतुलन बनाने के लिए जाट,राजपूत अथवा अनुसूचित जाति एससी के किसी नेता को टिकट दे सकती है। राजनीतिक जानकारों के अनुसार इस बार एससी कैंडिडेट की संभावना अधिक बताई जा रही है क्योंकि बाकी जातियों के नेताओं का संसद में समुचित प्रतिनिधित्व पहले से ही है।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि प्रदेश में विधानसभा की रिक्त हुई विधानसभा सीटों पर उप चुनावों से पहले भजन लाल मंत्रिपरिषद का किसी भी समय विस्तार किया जा सकता हैं। इसका प्रमुख कारण विगत आठ महीनों में विधान सभा और एसेंबली के बाहर मंत्रियों का कार्य प्रदर्शन और आम जनता के बीच राज्य सरकार के प्रभाव और पहचान को और अधिक गहरा करने का प्रयास बताया जा रहा है। वर्तमान राज्य मंत्रिपरिषद में मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा सहित अधिकांश मंत्री नए और कम अनुभवी है। साथ ही कई मंत्रियों के पास एक साथ कई मंत्रालयों का कार्यभार हैं जिसके कारण वे अपने पास एक से अधिक विभागों के साथ न्याय नहीं कर पा रहे है जिसकी उनसे अपेक्षा रही है। जाट उप मुख्यमंत्री बनाने का मुद्दा भी अभी ठंडा नहीं हुआ है।

बताया जा रहा है कि शीर्ष भाजपा नेतृत्व के पास जो फीड बैक जा रहा है उसके अनुसार प्रदेश में सरकार बदलने का वह अहसास अभी तक नहीं हो पाया है जिसकी उम्मीद पार्टी कार्यकर्ताओं ने की थी। कार्यकर्ताओं का मानना है कि प्रदेश में ब्यूरोक्रेसी हावी है और राजधानी दिल्ली सहित प्रदेश में गहलोत सरकार के चहेते अधिकांश अफसर अभी भी अपनी कुर्सियों पर काबिज है। जिसके कारण सभी काम उनके मन मुताबिक ही होते है और भाजपा कार्यकर्ताओं की अनसुनी हो रही है। हालाँकि मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा अपनी ओर से सक्रियता और भागदौड़ करने तथा भाजपा सरकार के प्रभाव और पहचान बनाने का हर संभव प्रयास में जुट हुए है लेकिन उनके पास भी अनुभवी लोगों की टीम और अच्छे सलाहकारों का अभाव दिखाई दे रहा है। प्रदेश में मुख्य विरोधी दल कांग्रेस सरकार की हर कमजोरी को विधानसभा और आम जनता के मध्य उजागर करने का प्रयास कर रही है और उसका दावा है कि आगामी विधानसभा उप चुनाव में भी उनकी जीत होगीं।

इन परिस्थितियों में राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भजन लाल शर्मा की वर्तमान मंत्रिपरिषद के उन मंत्रियों को जिनका प्रदर्शन अब तक अच्छा नहीं रहा है उन्हें ड्रॉप किया जा सकता है अथवा उनके प्रभार के मंत्रालय बदले जा सकते है और कुछेक मंत्रियों के पास मौजूद विभागों का कार्य भार कम कर नए बनाए जाने वाले मंत्रियों को उन्हें दिया जा सकता है। उधर प्रदेश के नए राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागड़े ने कार्यभार संभालते ही अपनी सक्रियता बढ़ा दी है और पांच दिनों की नई दिल्ली यात्रा से लौटते ही विभिन्न विभागों की समीक्षा बैठके तथा प्रदेश के दौरे शुरू कर दिए है। उन्होंने गुजरात और महाराष्ट्र की तरह राजस्थान में भी सहकारी आंदोलन को गति देने पर जोर दिया है।

देखना है राजस्थान की आठ महीने पुरानी भजनलाल शर्मा की सरकार का विस्तार कब होता है और उसका भावी स्वरूप क्या रहने वाला है?