अंबिका कुशवाहा ‘अम्बी’
“दो मुठ्ठी आसमान” बिहार के मधेपुरा निवासी डॉ. मोनिका राज द्वारा लिखित एक अत्यंत सुंदर और अर्थपूर्ण काव्य संग्रह है। इस काव्य संग्रह में जीवन के विभिन्न पहलुओं को सरल और भावपूर्ण शब्दों में प्रस्तुत किया गया है। पुस्तक के प्रथम पन्ने पर लेखिका द्वारा लिखी गई “मन की बात” से ही उनकी लेखनी की गहराई और शक्ति का आभास होता है। जितनी सभ्यता और खूबसूरती से लेखिका ने “मन की बात” लिखी है, उतनी ही खूबसूरती से उन्होंने कविताओं की पंक्तियों को सजाया है।
कविता के लिए सही शब्दों का चयन और भावनाओं में ढालना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, और इसमें लेखिका ने सफलता प्राप्त की है। जैसे कई रंगों की मोतियों को मजबूत धागों में पिरोने से सुंदर माला बनती है, उसी तरह “दो मुठ्ठी आसमान” भावनाओं और संवेदनशील शब्दों से बनी कविताओं का सुंदर संग्रह है।
“दो मुठ्ठी आसमान” काव्य संग्रह की हर कविता संवेदनाओं और भावनाओं से भरी हुई और प्रेरणादायक है। इसकी भाषा शैली अत्यंत सरल और सहज है, जो आत्म-गहराई का बोध कराती है। डॉ. मोनिका राज ने प्रेम, विरह, मातृत्व, स्त्रीत्व, नारीशक्ति, प्रकृति के सौंदर्य, रिश्तों और जीवन के विविध रूपों को गहराई से व्यक्त किया है। संग्रह की कविता “चाँद मेरा प्यार” में प्रेम की गहराई और समर्पण को इन पंक्तियों में व्यक्त किया गया है:
“मेरा प्यार स्थिर पानी,
हर पल साथ देता।
चाहे हो नज़रों से दूर,
हर क्षण पास वो रहता।”
इसी तरह “वो बारिश की रात” और “तेरी यादों की गलियों में” कविताएँ अतीत के प्रियतम के साथ बिताए गए पलों की भावनात्मक अभिव्यक्ति हैं, जो पाठकों के हृदय को छू जाती हैं। इसके अतिरिक्त “नगमे वफ़ा” और “प्रेम की पाती” जैसी कविताएँ प्रेम और विरह की गहरी संवेदनाओं से भरी हैं। मातृत्व पर आधारित कविताएँ संग्रह का एक भावनात्मक पक्ष हैं। “लौट आओ माँ”, “माँ बिन कुछ नहीं”, और “माँ अब मैं समझने लगी हूँ” जैसी कविताएँ माँ के त्याग, संघर्ष और ममता की गहराई को दर्शाती हैं। वहीं, “है तुमसे वादा माँ” माँ के प्रति श्रद्धा और समर्पण को व्यक्त करती है।
स्त्रियों की शक्ति और स्वतंत्रता को काव्य के माध्यम से प्रस्तुत करना इस संग्रह की विशेषता है। “मैं हार नहीं मानूँगी”, “आज की लड़की”, और “नारी तुम सशक्त बनो” जैसी कविताएँ नारी को अपने आत्मविश्वास और लक्ष्यों को बनाए रखने के लिए प्रेरित करती हैं। ये कविताएँ नारी शक्ति का आह्वान करती हैं और उनके सामर्थ्य का प्रतीक हैं।
काव्य संग्रह में प्रकृति के सौंदर्य का भी विशेष उल्लेख है। “देखो सखी आया बसंत” और “मुझको बसंत नहीं भाता” कविताएँ प्रकृति के प्रति लेखिका के गहरे प्रेम और भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाती हैं। “जीवन की सफलता” कविता जीवन के संघर्षों में धैर्य और दृढ़ता को प्रेरित करती है। इन पंक्तियों में लेखिका ने सफलता के रहस्यों को उजागर किया है:
“संघर्ष के राह में जो मिला,
करो स्वीकार तुम थमो नहीं।
जीवन-पथ पर जो बढ़ा चला,
है अडिग और सफल वही।”
“जिंदगी का महताब हो तुम” कविता में लेखिका ने अपने प्रिय को जीवन की सबसे बड़ी खुशी और प्रेरणा के रूप में चित्रित किया है। इन पंक्तियों में प्रेम और समर्पण की गहराई स्पष्ट झलकती है:
“कलकल गंगा सा निवार हो तुम,
पुष्प की मनमोहक सुगंध हो तुम।
तुमसे ही मेरी सारी खुशियाँ हैं,
मेरा गुरूर मेरा विश्वास हो तुम।”
“दो मुठ्ठी आसमान” की भाषा सरल, सहज और प्रभावशाली है। कविताओं में भावनाओं और संवेदनाओं को इतनी खूबसूरती से प्रस्तुत किया गया है कि पाठक हर कविता को अपने अनुभव से जोड़ पाते हैं। “दो मुठ्ठी आसमान” एक अद्वितीय और यादगार काव्य संग्रह है, जो जीवन, प्रेम, मातृत्व, संघर्ष और नारी शक्ति को प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करता है। इस संग्रह की कविताएँ न केवल भावनाओं को व्यक्त करती हैं, बल्कि पाठकों को प्रेरित भी करती हैं।
यह पुस्तक साहित्य प्रेमियों के लिए एक अनुपम उपहार है। डॉ. मोनिका राज ने इस कृति के माध्यम से साहित्य जगत को एक अनमोल धरोहर दी है। उन्हें इस उत्कृष्ट काव्य संग्रह के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ!
पुस्तक: दो मुट्ठी आसमान
लेखक: डॉ. मोनिका राज
प्रकाशन: समदर्शी प्रकाशन, गाज़ियाबाद
मूल्य: 150 रुपये
प्रथम संस्करण : 2024