डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार : उनके स्मारक को लेकर राजनीति और अधिक गरमाई

Dr. Manmohan Singh's funeral: Politics heats up more over his memorial

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

भारत ही नहीं विश्व भर में एक बड़ी शख्सियत होने के बावजूद जीवन भर आम आदमी की तरह सादगी के साथ जिये तथा दो बार लगातार दस वर्षों तक देश के प्रधानमन्त्री रहें डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार शनिवार को आम नागरिकों के शमशान घाट दिल्ली के निगमबोध घाट पर पूरे राजकीय सम्मान और सिख परम्परा के साथ हुआ।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ,केन्द्रीय गृह मन्त्री अमित शाह, कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गाँधी,कॉंग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता मल्लिकार्जून खरगे, लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी, कांग्रेस नेता प्रियंका गाँधी, के सी वेणु गोपाल, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व उप मुख्यमन्त्री सचिन पायलट ,दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी,तीनों सेनाओं के चीफ आदि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मन मोहन सिंह को अंतिम विदाई देने निगमबोध घाट पहुंचे।

इस अवसर पर अन्य कई केंद्रीय और राज्यों के मंत्री और कांग्रेस एवं अन्य पार्टियों के वरिष्ठ नेता गण भी मौजूद थे। सभी ने डॉ.मनमोहन सिंह की धर्मपत्नी गुरुशरण कौर,उनकी पुत्रियों तथा परिवार के अन्य सदस्यों को ढाढ़स बँधवाया।

इस मध्य डॉ.मनमोहन सिंह के स्मारक को लेकर जगह मुहैया कराने की मांग तेज़ होने के साथ ही उनकी अंत्येष्ठी के स्थान को लेकर भी विवाद गहरा गया हैं।सभी राजनीतिक दल के नेताओं में इस बात को लेकर असन्तोष है कि मोदी सरकार को दिवंगत प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी जी और अन्य प्रधानमन्त्रियों की तरह राजघाट के पास स्थित जमीन पर डॉ.मनमोहन सिंह का अन्तिम संस्कार कराने और अंत्येष्ठी स्थल पर ही उनकी समाधि तथा स्मारक बनवाने में क्या परेशानी आई ?

इस मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा प्रधानमन्त्री और केन्द्रीय गृह मंत्री को लिखी चिट्ठी के बाद केन्द्र सरकार की ओर से यह जवाब अवश्य आया कि डॉ.मनमोहन सिंह का स्मारक बनाने के लिए सरकार भूमि उपलब्ध कराने के साथ ही अन्य ऑपचारिकताएँ शीघ्र पूरी करायेगी लेकिन इस दिग्गज अर्थ शास्त्री विश्व नेता का दाह संस्कार आम लोगों के शवदाह गृह में करने के पीछें क्या मजबूरियाँ रही उसका कोई संतोषजनक जवाब सामने नहीं आया।

पूर्व प्रधानमंत्री के स्मारक के मुद्दे पर गर्म होती सियासत के बीच बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी और एनडीए की सरकार पूर्व प्रधानमंत्री को उचित सम्मान देने के लिए पूरी तरह समर्पित है, जिन्होंने देश के आर्थिक विकास की नींव रखी थी। उन्होंने बताया कि “इसके लिए कैबिनेट की मीटिंग में तय किया गया कि मनमोहन सिंह की याद में एक स्मारक और समाधि बनाई जाएगी और इसकी जानकारी कांग्रेस पार्टी को दे दी गई कि ज़मीन के अधिग्रहण, ट्रस्ट के निर्माण और ज़मीन के हस्तांतरण जैसी औपचारिकता में जो भी समय लगे, यह काम उचित तरीके़ और जल्द से जल्द पूरा किया जाएग।.”

सुधांशु त्रिवेदी ने”कांग्रेस पार्टी पार्टी पर आरोप लगाया कि कांग्रेस ने कभी भी मनमोहन सिंह का सम्मान नहीं किया। कम से कम इस दुःख के समय इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए।जहां तक हमारी सरकार की बात है तो पीएम मोदी की सरकार ने सभी नेताओं को दलगत भावना से उठकर सम्मान दिया है।” पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कांग्रेस पार्टी पर सवाल खड़े किए हैं। हालांकि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन के समय भारत समेत पूरी दुनिया में कोरोना महामारी का दौर था।

इस मध्य कांग्रेस के कई नेताओं के बयान सामने आ रहे हैं कि कांग्रेस की इस मांग में अकाली दल भी साथ आ गई है और उसने प्रधानमंत्री मोदी से इस मामले में दख़ल देने की मांग की है और यह विवाद बढ़ता जा रहा है.

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश सहित कई नेताओं के बयान आने लगे हैं।

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने इस मामले पर सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए
लिखा है कि, “एनडीए सरकार ने डॉ. मनमोहन सिंह जी जैसे महान व्यक्तित्व के अंतिम संस्कार एवं स्मारक बनाने को लेकर अनावश्यक विवाद पैदा किया है।जिस व्यक्तित्व को दुनिया सम्मान दे रही है उनका अंतिम संस्कार भारत सरकार किसी विशेष स्थान की जगह निगम बोध घाट पर करवा रही है। उन्होंने बताया कि “साल 2010 में हमारी सरकार ने बीजेपी की मांग के बिना ही पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत जी के निधन के बाद उनके परिवार से बात कर जयपुर में उनके अंतिम संस्कार के लिए तुरंत विशेष जगह आवंटित की और वहीं स्मारक का निर्माण भी करवाया।”

उन्होंने लिखा है कि कांग्रेस सरकार ने साल 2012 में महाराष्ट्र में भी शिवसेना बाल ठाकरे के निधन के बाद मुंबई के शिवाजी पार्क में विशेष स्थान आवंटित कर अंतिम संस्कार करवाया था।उनका कहना है, “कांग्रेस ने हमेशा सभी पार्टियों के नेताओं को सम्मानजनक विदाई दी लेकिन बीजेपी का डॉ. मनमोहन सिंह जी के साथ ऐसा व्यवहार दुर्भाग्यपूर्ण है। आज उनके निधन पर पूरा देश शोक में है और देश के लोगों ने सरकार के इस क़दम पर नाराज़गी जताई है तब कहीं जनभावना के दबाव में बीजेपी सरकार भविष्य में स्मारक बनाने की घोषणा कर रही है।”

कांग्रेस सांसद और पंजाब कांग्रेस के प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने मांग की हैं कि सरकार डॉ सिंह के स्मारक के लिए तुरन्त जगह आवंटित करे। अगर अटल बिहारी वाजपेयी के स्मारक के लिए जगह दी जा सकती है तो डॉ मनमोहन सिंह के लिए क्यों नहीं।वह देश के एकमात्र सिख प्रधानमंत्री थे।

स्मारक स्थल को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिन्दे,कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार,शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल,आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ,बसपा की मायावती आदि नेताओं ने भी डॉ मनमोहन सिंह के स्मारक के मुद्दे पर मोदी सरकार से नाराज़गी जताई है।

अब देखना है डॉ. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार आम नागरिकों के शमशान घाट दिल्ली के निगमबोध घाट पर होने तथा उनके स्मारक को लेकर गरमाई राजनीति के मध्य मोदी सरकार कितनी जल्दी डॉ मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए ऑपचारिकताएँ पूरी कर जन आकांक्षाओं की पूर्ति करेगी?