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जैविक खेती, प्राकृतिक ग्रीनहाउस और नवाचारों के लिए मिलेगा राष्ट्रीय सम्मान
रविवार दिल्ली नेटवर्क
भोपाल : देश के ख्याति प्राप्त जैविक कृषि वैज्ञानिक और पर्यावरणविद् डा. राजाराम त्रिपाठी को सस्टेनेबल फार्मिंग टेक्नोलॉजी अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान उन्हें कृषि विज्ञान केंद्र आईसीएआर ICAR, कृषि विभाग छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश शासन के मार्गदर्शन तथा ‘फार्म एंड फूड’ राष्ट्रीय कृषि पत्रिका के संयुक्त तत्वावधान में 28 फरवरी को भोपाल में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रदान किया जाएगा। गौरतलब है कि ‘फार्म एंड फूड’ पत्रिका देशभर के किसानों के बीच अत्यंत लोकप्रिय है। यह पत्रिका भारत की सबसे बड़ी पत्रिका प्रकाशन समूह दिल्ली-प्रेस द्वारा प्रकाशित की जाती है,जो कि 9 भाषाओं में 31 पत्रिकाएँ प्रकाशित करता है, और इसके पाठकों की संख्या 3.5 करोड़ से भी ज्यादा है। इसके कुछ अन्य लोकप्रिय प्रकाशनों में द कारवां , चंपक , गृहशोभा , सरस सलिल और सरिता,मुक्ता शामिल हैं।
इस प्रतिष्ठित अवार्ड के लिए चुने गए डा. त्रिपाठी देश के सबसे शिक्षित किसानों में गिने जाते हैं। वे अलग-अलग पांच विषयों में एमए, बीएससी(गणित), एलएलबी, डॉक्टरेट और पीएचडी की कई उपाधियाँ प्राप्त कर चुके हैं। उन्होंने माँ दंतेश्वरी हर्बल समूह की स्थापना की, जिससे आज लाखों जैविक किसान जुड़े हुए हैं। पर्यावरण संरक्षण के प्रति समर्पित डा. त्रिपाठी इस वर्ष के अंत तक 51 लाख वृक्षारोपण का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं और अब तक 21 लाख से अधिक पेड़ रोप चुके हैं। वे 40 से अधिक देशों की कृषि अध्ययन यात्राएँ कर चुके हैं और हाल ही में ब्राजील सरकार के विशेष आमंत्रण पर वहाँ की कृषि व्यवस्था का गहन अध्ययन कर लौटे हैं।
इन्होंने 40-लाख रूपए के एक एकड़ के पॉलीहाउस के सस्ते और टिकाऊ विकल्प ‘नेचुरल ग्रीनहाउस’ का सफल नवाचार किया जिसकी लागत मात्र ₹2 दो लाख रुपए प्रति एकड़ आती है, जो देश भर के किसानों के लिए क्रांतिकारी साबित हो रहा है। इसके अलावा, चार गुना अधिक उत्पादकता देने वाली काली मिर्च की नई किस्म मां दंतेश्वरी काली मिर्च -16 ( MDBP-16) विकसित की है। डा. त्रिपाठी को इससे पहले भी ‘ग्लोबल ग्रीन वॉरियर अवार्ड’, ‘राष्ट्रीय कृषि नवाचार पुरस्कार’, और ‘इंडियन ऑर्गेनिक फार्मिंग एक्सीलेंस अवार्ड’ जैसे कई प्रतिष्ठित सम्मान मिल चुके हैं।
यह सम्मान न केवल डा. त्रिपाठी के वर्षों के अथक परिश्रम का प्रमाण है, बल्कि सतत कृषि के क्षेत्र में किए गए उनके नवाचारों की राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृति और प्रशंसा भी है।