- डिजिटल टेक्नोलॉजी को बताया युवाओं का भविष्य
- मिशन चंद्रयान के 80% इंजीनियर रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेजों से, देश के नेक्स्ट लेवल ग्रोथ में इन कॉलेजों का योगदान उल्लेखनीय – डॉ. राजेश्वर सिंह
- लखनऊ इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी की वार्षिक खेल प्रतिस्पर्धा के विजेताओं को डॉ. राजेश्वर सिंह ने किया सम्मानित
रविवार दिल्ली नेटवर्क
लखनऊ : इंजीनियर इनोवेशन की रीढ़ हैं वे अपनी रचनात्मकता, विश्लेषणात्मक सोच और दुनिया को बदलने की दृढ़ता के मिश्रण से हमारे जीवन को आसान बनाने का काम करते हैं। इंजीनियर प्रगति के वास्तुकार हैं, इंजीनियर विचारों को वास्तविकता में बदलते हैं। हर महान इनोवेशन के पीछे एक महान इंजीनियर होता है। इंजीनीयर की यह नई परिभाषा बताई है सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने, मौका था लखनऊ इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी वार्षिक खेल प्रतिस्पर्धाओं के विजेताओं को सम्मानित करने का।
मंगलवार को सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह बंथरा रोड, बिजनौर स्थित लखनऊ इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी पहुंचे वहां उन्होंने संस्थान के वार्षिकोत्सव ‘परवाज’ के दौरान विभिन्न खेल प्रतिस्पर्धाओं में अव्वल रहने वाले 17 छात्र – छात्राओं को सम्मानित किया। इस दौरान विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के संकल्प क्रम ने संस्थान के 5 मेधावी छात्र – छात्राओं : सिविल इंजीनियरिंग में 89% अंक पाने वाली छात्रा ज्योति यादव, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में 82% अंक पाने वाले छात्र अभिज्ञान श्रीवास्तव व 80% अंक पाने वाले गजेंद्र गोंड, मैकेनिकल इंजीनियरिंग में 84% अंक पाने वाले छात्र अभिषेक सिंह व 81% अंक पाने वाले विष्णु कुमार यादव को लैपटॉप प्रदान कर सम्मानित किया।
इस अवसर पर छात्र – छात्राओं का मार्गदर्शन करते हुए डॉ. राजेश्वर सिंह ने कहा कि भारत के इंजीनियर इनोवेशन और स्पेशलाइजेशन के साथ हर क्षेत्र में क्रांति ला रहे हैं, उनका तर्कोंमुखी दृष्टिकोण यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा जैसे क्षेत्रों में चमकता है, जहां 2017-2021 के बीच 64% आईएएस परीक्षा क्वालिफायर इंजीनियर हैं। 67% भारतीय यूनिकॉर्न स्टार्टअप संस्थापक इंजीनियर हैं। भारतीय इंजीनियर ब्रह्मोस, तेजस, अग्नि मिसाइल और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाले पहले चंद्रयान मिशन जैसे इनोवेशन का नेतृत्व करते हैं।
डॉ. सिंह ने भारत की प्रगति में इंजीनियरों के योगदान को उल्लेखित करते हुए कहा कि सर एम. विश्वेश्वरय्या एवं डॉ. अब्दलु कलाम जैसे इंजीनियरों तथा इसरो व डीआरडीओ जैसे विश्व के सर्वश्रेष्ठ रिसर्च संस्थानों के कारण भारत ने अभूतपूर्व प्रगति की है। देश की प्रगति में रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेजों की भी उल्लेखनीय भूमिका है, भारत के महत्वपूर्ण मिशन चंद्रयान के 1000 इंजीनियर में 800 इंजीनियर रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज से थे।
प्रधानमंत्री मोदी के विकसित भारत संकल्प का उल्लेख करते हुए विधायक ने कहा कि वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सपना है, जिसमें हमारे की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है। भारत आज विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने को अग्रसर है तो उसमें हमारे इंजीनियरों का उल्लेखनीय योगदान है!
विधायक ने आगे जोड़ा कि भारत में इंजीनियरों ने नवीन तकनीकों के साथ कृषि, डेयरी फार्मिंग, जलीय कृषि, आईटी और अंतरिक्ष अन्वेषण में क्रांति ला दी है, जिससे विकास और स्थिरता बढ़ रही है। पद्म विभूषण से सम्मानित डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन ने हरित क्रांति लाकर भारत के गेहूं उत्पादन को 1965 के 11 मिलियन टन से बढ़ाकर 106 मिलियन टन कर दिया, आज भारत विश्व के 50 से अधिक देशों को गेहूं निर्यात कर रहा है। “भारत के मिल्कमैन” के रूप में जाने जाने वाले और पद्म विभूषण से सम्मानित डॉ. वर्गीस कुरियन के नेतृत्व में, भारत का दूध उत्पादन 1960 में 17 मिलियन टन से बढ़कर 230 मिलियन टन से अधिक हो गया। हीरालाल चौधरी और डॉ. अरुण कृष्णन द्वारा अन्वेषित ब्लू क्रान्ति के प्रभाव से सतत जलीय कृषि पद्धतियों के कारण भारत का मछली उत्पादन 1950 में लगभग 0.75 मिलियन टन से बढ़कर 17 मिलियन टन हो गया।
डॉ. राजेश्वर सिंह ने बताया कि इंजीनियरों के कारण आज भारत डिजिटल क्रान्ति में अग्रणी है, भारत में सर्वाधिक इन्टरनेट कनेक्शन, सर्वाधिक मोबाइल फ़ोन उपभोक्ता हैं, 1 लाख करोड़ लागत के मोबाइल फ़ोन निर्यात कर भारत मोबाइल डिवाइस निर्यात में भी अग्रणी है। इस अवसर पर इंजीनियरिंग छात्र – छात्राओं को भविष्य की चुनौतियों व अवसरों के प्रति सजग करते हुए डॉ. सिंह ने कहा की अगले 5 साल में डिजिटल योग्यताओं के अनुरूप करीब 8. 5 करोड़ नौकरियों का स्वरुप बदल जायेगा इस लिए सभी को डिजिटल शिक्षा, इनोवेशन, आइडिया सृजन पर जोर देना है।
बता दें कि डॉ. राजेश्वर सिंह अपनी विधानसभा क्षेत्र में डिजिटल शिक्षा के प्रसार के लिए अब तक 25 कॉलेजों में डिजिटल लैब, 10 कॉलेजों में स्मार्ट पैनल स्थापित करवाया है। विधायक द्वारा अब ‘रण बहादुर सिंह डिजिटल शिक्षा एवं युवा सशक्तिकरण केंद्रों’ की स्थापना कर युवाओं को फ्री डिजिटल प्रशिक्षण प्रदान करने की अभिनव पहल शुरू की गई है। पहल के पहले चरण में 04 केंद्रों की स्थापना हुई, डॉ. राजेश्वर सिंह का लक्ष्य सरोजनीनगर में 100 केंद्रों की स्थापना का है।
डॉ. राजेश्वर सिंह ने स्वास्थ्य को सर्वाधिक महत्वपूर्ण बताते हुए छात्र – छात्राओं को पढ़ाई के साथ खेलों गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर संस्थान की निदेशक शबीहा अहमद व हम्माद, प्रधानाचार्य संदीप सिंह, डीन फरीद सिद्दकी व अन्य अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।