भजन लाल सरकार की जम्बो तबादला सूची आने से अधिकारियों के हलक में अटका पानी…

Due to the arrival of the jumbo transfer list of Bhajan Lal government, the officers are in trouble…

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

देश में गणेश चतुर्थी से पहले हरतालिका का बड़ा त्यौहार मनाया जाता हैं। यह त्यौहार महिलाओं के लिए बहुत बड़ा त्यौहार है तथा महिलायें इस दिन बिना कुछ खायें और पानी पिये यह व्रत करती हैं। आधुनिक काल में फिल्मों और कतिपय अन्य कारणों से करवा चौथ के व्रत के कारण हज़ारों वर्षों से राजस्थान,हरियाणा,गुजरात,बिहार और झारखण्ड सहित उत्‍तर भारत के कई प्रदेशों में मनाये जाने वालें इस पवित्र त्यौहार को आधुनिक महिलाओं ने पृष्ठभूमि में डाल दिया हैं, लेकिन आज भी लाखों महिलाएँ करवा चौथ के साथ ही हरतालिका के इस व्रत को भी पूरी श्रद्धा के साथ मनाती हैं। उत्‍तर भारत की तरह दक्षिण भारत में भी यह पर्व मनाया जाता है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में सभी इसे गौरी हब्बा के नाम से जानते हैं। इस व्रत के पीछें एक रोचक कथा हैं। पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि तीनों लोकों में विचरण करने वाले भगवान नारद ने पार्वती जी के पिता यक्ष प्रजापति के समक्ष प्रस्ताव रखा कि आप की अति सुंदर कन्या के लिये सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में भगवान विष्णु से बढ़ कर और कोई वर नहीं हो सकता ।अतःआप उसका विवाह सबसे श्रेष्ठ भगवान विष्णु जी से करा दें। पार्वती जी के पिता यक्ष प्रजापति को नारद जी का यह प्रस्ताव खूब पसन्द आया लेकिन पार्वती जी ने इसे नामंजूर करते हुए कहा कि मैं अपने मन ही मन में देवों के देव भगवान शंकर जी को अपना वर मान चुकी हूँ। अतः अन्य किसी भगवान से मैं विवाह नहीं कर सकती। इससे यक्ष प्रजापति नाराज़ हो गये लेकिन पार्वती जी अपनी सहेलियों के साथ बिना किसी को बताये घने जंगल में चली गई और वहाँ उन्होंने घोर तपस्या की जिससे भगवान शंकर स्वयं प्रसन्न हो गये और उन्होंने पार्वती जी से वरदान माँगा। पार्वती जी ने वर के रुप में उन्हें शंकर जी को ही में माँग लिया। साथ ही यह वर भी माँगा कि कलियुग में जो कुँवारी कन्या इस व्रत को करेंगी उन्हें मन चाहा वर मिलेगा तथा जो सुहागिन स्त्रियाँ इस व्रत को करेगी उसके पति को लंबी आयु मिलेगी। आख़िर अपनी बेटी पार्वती जी के प्रण के आगे उनके पिता को झुकना पड़ा और भगवान शंकर के साथ उनका विवाह कराना पड़ा। उसके बाद की कहानी सभी को मालूम है कि यक्ष प्रजापति ने हरिद्वार के पास कनखल में एक बहुत बड़ा यज्ञ कराया उसमें सभी देवों को आमंत्रित किया लेकिन भगवान शंकर को नहीं बुलाया। पार्वती भगवान शंकर के मना करने के बावजूद जिद करके यज्ञ में पहुँची तथा वहाँ भगवान शंकर का अपमान होते देख स्वयं ने अपना सती का रौद्र रूप दिखाया तथा अग्नि कुण्ड में कूद कर यज्ञ को खण्डित कर दिया। उसकी जानकारी मिलने पर भगवान शंकर वहाँ पहुँचें तथा सती के रौद्र रूप को शान्त करने के लिए सती के शरीर को भिन्न भिन्न भागीं में विभाजित कर दिया। सती के शरीर के यें अंग पृथ्वी पर जहाँ जहाँ गिरें वे शक्ति पीठ कहलायें तथा कालांतर में ये पूजा स्थल सुप्रसिद्ध हो गये।इस प्रकार पौराणिक कथाओं में हरतालिका व्रत का जो जिक्र किया गया है उसके अनुसार पार्वती जी द्वारा बिना कुछ खाये पिये किए गये कठोर व्रत और घोर तपस्या तथा साधना के कारण ही उन्हें भगवान शंकर मिले तथा शंकर भगवान ने भी उनका वरण किया। कालान्तर में हरितालिका का यह व्रत हर सुहागन स्त्री और कुँवारी कन्याएँ करने लगी।

देश के अन्य प्रदेशों के साथ हर वर्ष की भाँति इस वर्ष भी शुक्रवार को राजस्थान में बिना पानी पियें हरतालिका का व्रत कर रही महिलाओं और उनके कई अधिकारी पतियों का शुक्रवार को पानी हलक में ही अटक कर रह गया जब राजस्थान की भजन लाल सरकार ने शुक्रवार को सवेरे सवेरे भारतीय प्रशासनिक अधिकारियों की एक लम्बी ट्रान्सफ़र लिस्ट निकाल दी और शाम होते होते राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की भी एक और जम्बो ट्रांसफ़र लिस्ट आ गई। जानकार लोगों द्वारा बताया जा रहा है कि इनके पीछें पीछें अब आईपीएस एवं आरपीएस की तबादलों की सूची भी आ सकती हैं। इस प्रकार प्रदेश में प्रशासनिक फेरबदल का दौर जारी है। बताया जा रहा है कि आईएएस और आरएएस के बाद अब अन्य विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों की सर्जरी भी होंगी। ब्यूरोक्रेसी में हो रहें इस बदलाव को कुछ लोग राज्य में होने वाले विधानसभा उपचुनाव से भी जोड़ कर कर देख रहें है। राजनीतिक जानकारों द्वारा माना जा रहा है कि प्रदेश की छह विधान सभा सीटों पर आने वाले कुछ दिनों में होने वाले उपचुनाव से पहले सरकार अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादले का काम पूरा करना चाह रही है। हालाँकि तबादला एक सामान्य सरकारी प्रकिया मानी जाती है लेकिन कई बार इसका समय उसे राजनीतिक रूप दे देता है। फिर भजन लाल सरकार ने पिछले दिसम्बर में अपनी सरकार गठित होने के आठ महीनों बाद इतना बड़ा फेरबदल जो किया हैं। हालांकि उन्होंने छोटे बड़े बदलाव पहले भी किए गए थे। भाजपा की भजन लाल सरकार ने शुक्रवार को सवेरे 108 आईएएस अधिकारियों के तबादले करने के बाद सायं को प्रदेश में 386 आरएएस अधिकारियों के ट्रांसफर किए है। राज्य सरकार के कार्मिक विभाग की ओर से ट्रांसफर की लिस्ट जारी की गई है।राजस्थान में भाजपा सरकार बनने के आठ महीने बाद 108 आईएएस अधिकारियों का तबादला किया गया हैं। इसमें सभी प्रमुख विभागों के एसीएस, प्रशासनिक सचिव और 13 जिलों के कलेक्टर भी शामिल हैं। राजनीतिक विश्लेषक इस सन्दर्भ में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के एक बयान का जिक्र भी कर रहें हैं जिन्होंने प्रदेश में भजन लाल शर्मा की नई सरकार बनने के आठ महीनों बाद भी उनके वक्त के अधिकारियों के जमे रहने को लेकर कर एक टिप्पणी की थी कि अधिकारियों को लगाने के उनके निर्णयों को भाजपा एवं भजन लाल सरकार अभी भी सही मान रही है। इस पर भाजपा के वरिष्ठ नेता और अशोक गहलोत के मुख्यमंत्रित्व काल में विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता राजेन्द्र राठौड़ की टिप्पणी भी सामने आई थी कि गहलोत जी सब्र रखें नई सूची भी शीघ्र आएगी। ब्यूरोकेसी की इस लंबी चौड़ी सूची के आने के बाद लगता है कि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भाजपा नेता राजेन्द्र राठौड़ के मध्य नौक झौक का पटाक्षेप हुआ है लेकिन राजनीतिक पण्डित बताते है अभी भी यह पूर्ण सत्य नहीं हैं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भजन लाल सरकार आने वाले दिनों में प्रदेश के पूरे प्रशासनिक ढाँचे में और क्या सर्जरी करने वाली हैं?