
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
राजस्थान देश में बाघ संरक्षण और टाइगर गेम सेंचुरीज के साथ ही तेंदुआ (लेपर्ड) के संरक्षण और सफारी के लिए सबसे समृद्ध राज्य माना जाता है। प्रदेश में तेंदुआ बसावट को अलग – अलग नाम से जाना जाता है। कहीं इसे लेपर्ड रिज़र्व, तों कहीं लेपर्ड कंज़र्वेशन रिज़र्व और कहीं प्रोजेक्ट लेपर्ड साइट कहा जाता है। राजस्थान में वर्तमान में प्रमुख रूप से लगभग 6 से 7 लेपर्ड सेंचुरी और रिज़र्व हैं, जिनमें पाली जिले का जवाई बांध क्षेत्र और राजधानी जयपुर शहर से लगा झालाना सबसे प्रसिद्ध लेपर्ड सेंचुरीज हैं। इन लेपर्ड सेंचुरीज को पर्यटन और तेंदुआ संरक्षण की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इनमें अब राजस्थान के विधानसभाध्यक्ष वासुदेव देवनानी के प्रयासों से एक और लेपर्ड सेंचुरी अजमेर–भैरव घाटी का नाम भी अतिशीघ्र शामिल होने वाला हैं। इस परियोजना को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा एवं वन मंत्री संजय शर्मा से भी विस्तार से चर्चा की गई है।
जिसके अनुसार अजमेर शहर के काजीपुरा, खरेखड़ी, अजयसर और आस-पास के गांवों तक फैली गंगा-भैरव घाटी में शीघ्र ही एक लेपर्ड सफारी विकसित की जाएगी।
राज्य की सुप्रसिद्ध गेम सेंचुरीज रणथम्भौर, सरिस्का, रावली-टॉडगढ और जवांई बांध की तर्ज पर विकसित होने वाली गंगा-भैरव घाटी को भी लेपर्ड सफारी और घाटी के मनोरम दृश्य देखने के लिए सैलानियों के लिए खोला जाएगा। देश- विदेश से आने वाले सैलानी यहां घाटी में ट्रेकिंग के साथ ही सम्राट पृथ्वीराज चौहान के समय के अस्तबल, उनके राज्य से जुड़ी स्मृतियों, सैनिक छावनी स्थल और अन्य स्थानों पर घूम सकेंगे। यहां ट्रेक पर जाने वाले सैलानियों के विश्राम की भी व्यवस्था होगी। इस लेपर्ड सेंचुरी के विकसित होने से आने वाले दिनों में बड़ी संख्या में सैलानी अजमेर में तेंदुओं को देखने आ सकते हैं। इस लेपर्ड सफारी परियोजना पर लगभग 19 करोड़ रुपए का व्यय प्रस्तावित है। इसमें शुरुआती चरण में लगभग 6 करोड़ रुपए से कार्य प्रारंभ किए जायेंगे। पर्यटकों के सुगम आवागमन के लिए 7.5 किलोमीटर पुराने क्षतिग्रस्त ट्रैक का पुनर्निर्माण एवं 11.5 किलोमीटर नए ट्रैक का निर्माण किया जाएगा। यहां स्थित मंदिर के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को भी इस ट्रैक से सुविधा होगी। इस परियोजना से स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार और आय के नए अवसर उपलब्ध होंगे। अजमेर में फिलहाल कोई बड़ा पर्यावरणीय पर्यटक स्थल उपलब्ध नहीं है, ऎसे में यह लेपर्ड सफारी परियोजना स्थानीय नागरिकों एवं ब्रह्मा नगरी पुष्कर आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों को एक नया अनुभव प्रदान करेगी। साथ ही अजमेर के निवासियों एवं पर्यटकों को एक रमणीय स्थल भी उपलब्ध हो सकेगा।
विधानसभाध्यक्ष वासुदेव देवनानी के अनुसार अजमेर की भैरव घाटी में लेपर्ड सफारी बनने से अजमेर को पर्यावरणीय पर्यटन स्थल के रूप में एक नई पहचान मिलेगी। अजमेर पहले से ही एक धार्मिक और शिक्षा नगरी के रूप में विख्यात है और अब पर्यटन के क्षेत्र में इसे और समृद्ध करने के प्रयास किए जा रहें है। विधानसभाध्यक्ष देवनानी ने हाल ही काजीपुरा स्थित गंगा-भैरव घाटी में बनने जा रहे लेपर्ड सफारी ट्रेक और रूट का अवलोकन किया। वन विभाग की मुख्य वन संरक्षक ख्याति माथुर और अन्य अधिकारी भी उनके साथ उपस्थित रहे। उन्होंने यहां प्रस्तावित लेपर्ड सफारी परियोजना की रूपरेखा को लेकर वन अधिकारियों के साथ विस्तार से चर्चा की। देवनानी ने घाटी क्षेत्र का निरीक्षण कर टिकट खिड़की, रेस्ट प्वाइंट्स, सेल्फी प्वाइंट्स तथा पर्यटकों की सुविधा के लिए प्रस्तावित व्यवस्थाओं पर मौके का निरीक्षण एवं गहन चर्चा की। इस लेपर्ड सैंचुरी के बनने से विश्व पर्यटन पर अपना अहम स्थान रखने वाले अजमेर शहर का पर्यटन के क्षेत्र में और अधिक कायापलट होगा। अजमेर-राजसमंद सीमा पर टोडगढ़–रायोली अभयारण्य भी विकसित हुआ है। यहां भी तेंदुओं की अच्छी खासी आवास बताई जाती है।
राजस्थान में मशहूर टाईगर रिजर्व्स के अलावा वर्तमान में जो प्रमुख लेपर्ड साइट्स और लेपर्ड सेंचुरीज़ है उनमें पाली जिले में जवाई लेपर्ड कंज़र्वेशन रिज़र्व साइट राजस्थान की सबसे मशहूर लेपर्ड साइट है। यहाँ ग्रेनाइट पहाड़ियाँ, जवाई बांध और स्थानीय बिश्नोई समुदाय के बीच तेंदुओं का सह-अस्तित्व विश्व प्रसिद्ध है।
इसी तरह प्रदेश की राजधानी पिंक सिटी जयपुर से सटी झालाना डूंगरी लेपर्ड रिज़र्व देश का पहला लेपर्ड सफारी पार्क है। वर्ष 2017 से विकसित हुई इस लेपर्ड सैंचुरी की अपनी एक अलग ही पहचान है। जयपुर शहर की सीमा के भीतर होने के कारण यह सबसे ज्यादा पर्यटकों को आकर्षित करती है। जयपुर के निकट आमागढ़–गाल्टा क्षेत्र भी है। इसे अब आमागढ़ लेपर्ड रिज़र्व भी कहा जाता है। झालाना डूंगरी के साथ आमागढ़ के जुड़ने से जयपुर को अब भारत की ट्विन लेपर्ड सिटी भी कहा जाने लगा है।
जवाई बांध और जयपुर की मशहूर लेपर्ड सैंचुरी के साथ ही राजसमंद–उदयपुर रीजन में कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य का नाम भी प्रमुखता से आता है। यह क्षेत्र अरावली की पहाड़ियों में फैला विस्तृत क्षेत्र है। यहाँ बड़ी संख्या में तेंदुए और भालू रहते हैं। इसके साथ ही राजस्थान के मारवाड़ अंचल के जैसलमेर–माउंट आबू क्षेत्र में सुनदामाता एवं आसपास में भी तेंदुआ के छोटे संरक्षित क्षेत्र एवं कंज़र्वेशन रिज़र्व बनाये गए हैं और अब अजमेर–भैरव घाटी लेपर्ड सेंचुरी विकसित होने से प्रदेश में तेंदुआ सफारी का एक और डेस्टिनेशन खुलने वाला है।
इस प्रकार यह तय है कि आने वाले दिनों में विधानसभाध्यक्ष वासुदेव देवनानी के प्रयासों से अजमेर शहर को एक और बड़ी सौगात मिलने वाली है।