डीयू का शताब्दी वर्ष समारोह बहुत ही जीवंत रहा- कुलपति

अतुल सचदेवा

नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय की कल्चर काउंसिल द्वारा शताब्दी वर्ष समारोह के तत्वावधान में जादू के शो का आयो जन किया गया। बुधवार देर सांय आयोजित इस कार्यक्रम में प्रसिद्ध जादूगर सम्राट शंकर द्वारा जादू के विभिन्न रोचक करतब दिखा कर कई जरूरी संदेश भी दिये गए। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि शताब्दी वर्ष समारोह का यह साल बहुत ही जीवंत रहा है। डीयू कल्चर काउंसिल के अध्यक्ष अनूप लाठर ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि जादू विज्ञान और कला का महान संगम है।

बतौर मुख्यातिथि बोलते हुए कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि शताब्दी वर्ष समारोह का यह साल बहुत ही जीवंत रहा है। इस साल में जहां शताब्दी वर्ष को लेकर अनेकों आयोजन होते रहे, वहीं नई नियुक्तियों और पदोन्नतियों ने भी विश्वविद्यालय को समृद्ध किया है। कुलपति ने कहा कि किसी भी कार्यक्रम की रूपरेखा से लेकर उसे बनाने और चलाने तक बहुत सारे लोगों की मेहनत होती है। उन्होने साल भर चले विभिन्न कार्यक्रमों के सफल संचालन के लिए संबंधित सभी सदस्यों को बधाई दी।

कार्यक्रम के आरंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय कल्चर काउंसिल के अध्यक्ष अनूप लाठर ने शताब्दी वर्ष समारोह के दौरान इतने रोचक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए कुलपति प्रो. योगेश सिंह का आभार जताया। उन्होने जादू को विज्ञान और कला का महान संगम बताते हुए कहा कि आज के विज्ञान और तकनीक के दौर में अंधविश्वास के प्रति जादू के माध्यम से वैज्ञानिक तर्क देकर जागरूक करना बहुत जरूरी है। अनूप लाठर ने बताया कि यह शो प्रायोजित कार्यक्रम है। इसके लिए उन्होने शो के प्रायोजकों अनिल मित्तल और एनबीसीसी का भी आभार जताया।

जादूगर सम्राट शंकर ने जादू के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि जादू हाथ की सफाई है और सम्मोहन विद्या है। यह एक फाइन आर्ट और शुद्ध मनोरंजन है। उन्होने उपस्थित लोगों को जागरूक करते हुए कहा कि अपने कर्म पर विश्वास करें और अंधविश्वास के चक्करों में न पड़ें। उन्होने कहा कि हम लोग जादू के शो के द्वारा अंधविश्वास को दूर करते हैं। उन्होने कहा कि जादू 64 कलाओं में एक कला है और हमारा मुख्य उद्देश्य है कि ये कला जिंदा रहे। उन्होने अपने शो के दौरान जहां वाटर ऑफ इंडिया के माध्यम से जल संरक्षण का संदेश दिया तो वहीं लड़की को गायब करके कन्या भ्रूण हत्या के प्रति भी गहरा संदेश देने का प्रयास किया।

कार्यक्रम के अंत में दिल्ली विश्वविद्यालय कल्चर काउंसिल के डीन प्रो. रविंदर कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर दक्षिणी दिल्ली परिसर के निदेशक प्रो. श्री प्रकाश सिंह, शताब्दी वर्ष समारोह समिति की कनवीनर प्रो. नीरा अग्निमित्रा, रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता, एसओएल की निदेशक प्रो. पायल मगो, प्रोक्टर प्रो. रजनी अब्बी, डीएसडबल्यू प्रो. पंकज अरोड़ा आदि सहित अनेकों अधिकारी, शिक्षक और हजारों विद्यार्थी उपस्थित थे।