ईडी डायरेक्टर संजय मिश्रा …विस्तार पर विस्तार… ऐसा क्या है खास कि सरकार उन्हें रखना चाहती अपने पास

संदीप ठाकुर

ईडी डायरेक्टर संजय मिश्रा में ऐसा क्या है खास कि माेदी सरकार विस्तार
पर विस्तार देते हुए उन्हें अपने पास रखना चाहती है। यह लाख टके का सवाल
है,जिसका जवाब सभी ढूंढ रहे हैं। श्री मिश्र काे मिला एक साल का दूसरा
सेवा विस्तार 19 नवंबर को समाप्त हो रहा है और उससे एक दिन पहले 18 नवंबर
को सुप्रीम कोर्ट में उनके मामले की सुनवाई होनी है। सुप्रीम कोर्ट में
दायर याचिका में संजय मिश्रा को नवंबर 2021 में दिए गए सेवा विस्तार को
चुनौती दी गई है और उनको फिर से सेवा विस्तार पर रोक लगाने की मांग की गई
है। सनद रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को स्पष्ट शब्दों में कहा
था कि वह संजय मिश्रा को सेवा विस्तार न दे। लेकिन सरकार ने उनको सेवा
विस्तार देने के लिए कानून ही बदल दिया। नए कानून के मुताबिक केंद्र
सरकार सीबीआई और ईडी के प्रमुख को रिटायर होने के बाद एक एक साल का तीन
सेवा विस्तार दे सकती है। यानी दो साल के फिक्स्ड कार्यकाल के बाद तीन
सेवा विस्तार से उनका कार्यकाल अधिकतम पांच साल तक किया जा सकता है। अब
यह तो सबको पता है कि रिटायर होने के बाद मिलने वाले सेवा विस्तार पर काम
करने वाले अधिकारी किस तरह से काम करते हैं !

ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय अपने कामकाज काे लेकर लगातार चर्चा में है।
एजेंसी काे मिले असीमित अधिकार का तांडव से देश हैरान परेशान है। गौरतलब
है कि ईडी के दुरुपयोग के कई आरोप पिछले कुछ सालों में लगे हैं, जिन पर
मुंबई की पीएमएलए कोर्ट ने संजय राउत वाले मामले में मुहर भी लगा दी।
अदालत ने कहा कि ईडी द्वारा उनकी गिरफ्तारी गैरकानूनी है और बेवजह हुई
थी। संजय राउत काे जमानत मिल गई है। जांच एजेंसी में मनपसंद डायरेक्टर
बनाए रखने के लिए सरकार ने कानून तक बदल डाले हैं। सुप्रीम कोर्ट में
दायर की गई याचिकाओं में उस संशोधित कानून को चुनौती दी गई है, जिसके तहत
निदेशक के कार्यकाल में 5 साल तक के विस्तार की अनुमति दी गई है। प्रधान
न्यायाधीश एनवी रमण और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने आठ याचिकाओं
के प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए थे। कांग्रेस नेताओं रणदीप सिंह
सुरजेवाला और जया ठाकुर तथा तृणमूल कांग्रेस के नेता साकेत गोखले ने भी
याचिकाएं दाखिल की हैं। वकील एमएल शर्मा ने इस मामले पर पहली याचिका दायर
की थी। याचिकाओं में अध्यादेश को असंवैधानिक करार देने की मांग की गई है।
इससे पहले सितंबर, 2021 में ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संजय मिश्रा
को आगे एक्सटेंशन नहीं मिलेगा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद
नवंबर में उनका कार्यकाल एक साल के लिए और बढ़ा दिया गया। याचिकाकर्ता
वकील मनोहर लाल शर्मा ने कहा था कि बिना लोकसभा और राज्यसभा में बहस के
ये संशोधन अध्यादेश पास कर दिया गया। ये पूरी तरह असंवैधानिक है।

सनद रहे संजय मिश्रा नवंबर 2018 से ईडी हैं। उनका दो साल का फिक्स्ड
कार्यकाल नवंबर 2020 में पूरा हुआ और उसके बाद उनको एक एक साल के दो सेवा
विस्तार मिले। अब अगर केंद्र सरकार उनको एक और सेवा विस्तार देती है तो
अगले साल नवंबर में उनके कार्यकाल का पांच साल पूरा हो जाएगा और नए कानून
के मुताबिक भी उनको अनिवार्य रूप से रिटायर होना होगा। उसके तुरंत बाद
लोकसभा के चुनाव होने हैं। इसलिए उस समय कोई नया ईडी नियुक्त करने की
संभावना कम है। निदेशक संजय कुमार मिश्रा भारतीय राजस्व सेवा के 1984 बैच
के आयकर विभाग कैडर के अधिकारी हैं। केंद्र सरकार की ओर से 17 नवंबर,
2021 को उनका कार्यकाल 18 नवंबर, 2022 तक के लिए बढ़ा दिया गया था।