ईडी की पूछताछ ने खोली राहुल गांधी की आंखें,मीडिया सेल पर गिरी गाज, पूरी टीम बदल गई

संदीप ठाकुर

राहुल गांधी की पप्पू वाली इमेज बनाने में उन्हीं लाेगाें ने मुख्य
भूमिका निभाई जिन पर राहुल सबसे अधिक विश्वास करते थे। इस बात का अहसास
राहुल काे प्रवर्तन निदेशालय ( ईडी ) की प्रथम पूछताछ के दौरान तब हुआ
जब अधिकारियों ने उन्हें बताया कि उनकी मां और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज
है। यह सुन राहुल गांधी चाैक गए। फिर क्या था । उनके गुस्से का शिकार वे
सभी कांग्रेसी नेता हुए जो मीडिया सेल से जुड़े हुए थे। इस घटना के दूसरे
ही दिन कांग्रेस मीडिया सेल से जुड़े तमाम नेता तत्काल प्रभाव से हटा दिए
गए और एक नई टीम गठित कर दी गई। दो बड़ी नियुक्तियां हुईं। जयराम रमेश
ओवरआल कम्यूनिकेशन हेड और पवन खेड़ा मीडिया चेयरमेन बनाए गए हैं। मीडिया
सेल में अभी और भी कई नियुक्ति होनी बांकी हैं।

ईडी के सूत्रों ने बताया कि पूछताछ के दौरान जब राहुल गांधी काे यह बताया
गया कि नेशनल हेराल्ड मामले में जो एफआईआर दर्ज हुई है उसमें अभियुक्त
नंबर दो पर उनका नाम है। बतौर अभियुक्त पहला नाम कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया
गांधी का है। इसके अलावा पांच अन्य कांग्रेसी नेता भी अभियुक्त बनाए गए
हैं। यह सुन राहुल सन्न रह गए। मालूम हो कि नेशनल हेराल्ड मामले में
मामला 2020 में ही दर्ज हुआ था। तब से लेकर अब तक राहुल काे किसी ने इसकी
जानकारी नहीं दी थी। जबकि कांग्रेस का एक मीडिया सेल है। इस सेल में काम
करने वालों ने यह सच्चाई आज तक राहुल से छुपाए रखी थी। इस सच्चाई का पता
चलते ही राहुल अंदर ही अंदर बेहद गुस्सा हुए और उनके गुस्से का शिकार
पार्टी का मीडिया सेल बना। राहुल गांधी ने इसके लिए मीडिया डिपार्टमेंट
को पूरी सुविधाएं दे रखी थीं। मीडिया इंचार्ज और उसके साथ के लोगों के
लिए चार्टर्ड प्लेन तक उपलब्ध रहता था। जबकि कांग्रेस में सब जानते हैं
कि राहुल और प्रियंका ही नहीं सोनिया गांधी भी जहां नियमित हवाई सेवा
होती है वहां रूटीन फ्लाइट से जाती हैं। लेकिन राहुल जिस पर विश्वास करते
हैं उसके बारे में तब तक नहीं सुनते जब तक कि उसकी व्यक्तिगत
महत्वाकांक्षाएं पार्टी को बड़ा नुकसान नहीं पहुंचाने लगें। पिछले 8 साल
में राहुल का भरोसा उनके करीब रहे लोगों ने ही ज्यादा तोड़ा है। भरोसा
तोड़ने वालों में कई ताे अपनी चालाकी से राज्यसभा जा पहुंचे हैं।

राहुल गांधी की मेहनत में कोई शक नहीं मगर चुनाव केवल मेहनत से ही नहीं
जीते जाते। चुनाव प्रबंधन, जमीनी नेताओं की पहचान, हवा हवाई नेताओं को
प्रोत्साहन नहीं देना और किसी के साथ भी व्यक्तिगत मनमुटाव नहीं रखना
जैसी बहुत सारे फैक्टर काम करते हैं। कांग्रेस के पुराने मीडिया सेल में
इन तमाम बातों का अभाव था। सारे सूचना प्रसारण मंत्री जयपाल रेड्डी,
अंबिका सोनी, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी के अलावा कई प्रेस एडवाइजर मसलन
संजय बारू, हरीश खरे, पंकज पचौरी सब खुद को एक से एक बड़ा महारथी समझते
रहे। मगर रिजल्ट के मामले में सब जीरो साबित हुए। कांग्रेस की मीडिया टीम
का मुकाबला भाजपा की प्रोफेशनल मीडिया टीम से है। मीडिया की नई टीम के
लिए काम बहुत चुनौतीपूर्ण है। पुरानी गंदगी साफ करके नया रास्ता बनाना
पड़ेगा। काम करने वालों को, मेहनत करने वालों को लोगों को सामने लाना
होगा। कांग्रेस को हिन्दी भाषी क्षेत्र में अपनी और अपने नेता राहुल की
छवि दुरुस्त करना है। इसके लिए हिन्दी के अच्छे प्रवक्ताओं को आगे लाना
होगा। ट्रेनिंग की व्यवस्था करनी होगी। प्रवक्ताओं का आखिरी वर्कशाप हुए
एक दशक से ज्यादा समय हो गया। पार्टी के नेताओं काे इन बिंदुओं पर
गंभीरता से सोचना होगा तभी देश स्तर पर कांग्रेस की छवि एक बार फिर बन
पाएगी।