नौतपा की चिलचिलाती धूप भी नहीं तोड़ सकी मतदाताओं का मनोबल…..

Even the scorching heat of Nautapa could not break the morale of the voters

  • फिर भी छठे चरण में भी 2019 के आम कुनाव की तुलना में कम हुआ मतदान
  • क्या इस बार भी भाजपा दिल्ली और हरियाणा का किला फतह कर लेगी?

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

देश में शनिवार को 18 वीं लोकसभा के लिए छठे चरण के चुनाव पश्चिम बंगाल में हुई कुछ छुटपुट घटनाओं के अलावा शांति पूर्वक संपन्न हो गए। इस चरण में सात राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश की कुल 58 लोकसभा सीटों पर मतदान हुआ और 889 उम्‍मीदवारों के भाग्य का फैसला ईवीएम मशीनों में बंद हो गया। निर्वाचन आयोग के अनुसार सायं 7.45 बजे तक इन 58 लोकसभा सीटों पर 59.2 प्रतिशत वोटिंग हुई है। इस तरह लोकसभा चुनाव के 6 चरण खत्म हो चुके हैं और अब सिर्फ एक अंतिम और सातवें चरण का चुनाव बाकी है जिसके लिए एक जून को 8 राज्यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशो के 57 संसदीय क्षेत्रों के लिए वोट पड़ेंगे।

हालांकि नौतपा की चिलचिलाती धूप भी कई मतदान बूथों पर मतदाताओं का मनोबल नहीं तोड़ सकी और देश के कई भागों में बड़े सवेरे से ही मतदाताओं की लम्बी कतारें देखी गई। जम्मू कश्मीर की अनंतनाग-राजौरी सीट पर तो पिछले 35 वर्षों में सबसे अधिक वोट पड़े, लेकिन पिछले पांच चरणों की तरह छठे चरण में भी अब तक मिले मतदान के आंकड़ों के अनुसार से 2019 के आम चुनाव की तुलना में कम मतदान दर्ज हुआ हैं। वर्ष 2019 के आम चुनाव में इन 58 सीटों पर कुल 64.22% फीसदी वोटिंग हुई थी।

शनिवार को चुनाव वाले राज्यों में पहली बार अपने मत का उपयोग करने वाले युवाओं में काफी उत्साह दिखा,वहीं बुजुर्ग भी किसी से पीछे नहीं रहें और उन्होंने अपना दमखम दिखा कर मतदान में बढ़ चढ़ कर वोट डाले। कोई ह्वीलचेयर से पहुंचा तो कोई अपने लोगों के सहारे मतदान केंद्र तक आया। ऐसे में कई ऐसी तस्वीरें भी सामने आईं, जिन पर अनायास विस्मय ही किया जा सकता हैं।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, सांसद गौतम गंभीर, रॉबर्ट वाड्रा और प्रियंका गांधी के बच्‍चों मिराया वाड्रा और बेटे रेहान वाड्रा ने भी मतदान किया। दिल्‍ली की सात सीटों से भाजपा और कांग्रेस तथा आप पार्टी के अलावा अन्य प्रत्याशियों समेत कई अन्य दिग्‍गजों ने भी सुबह-सुबह मतदान किया।

लोकसभा चुनाव के छठे फेज में 889 उम्‍मीदवारों की साख दांव पर है, जिनमें हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल (करनाल), जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (अनंतनाग-राजौरी), केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान (ओडिशा के संबलपुर) , केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत और अभिनेता राज बब्बर (गुरुग्राम), केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर (फरीदाबाद), पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी (सुल्तानपुर), सांसद मनोज तिवारी और कन्हैया कुमार (उत्तर पूर्वी दिल्ली), नवीन जिंदल (कुरुक्षेत्र) और दिनेश लाल निरहुआ आदि कई हाई-प्रोफाइल चेहरे शामिल हैं।

शनिवार शाम के 6 बजे छठे चरण के चुनाव की वोटिंग बंद हो गई लेकिन जो लोग लाइन में लगे थे उन्हें वोट डालने की अनुमति दी गई। चुनाव आयोग ने आंकड़े जारी कर बताया कि शनिवार को 58 सीटों पर शाम 5 बजे तक 57.70 प्रतिशत वोटिंग हुई है। इस बार भी सबसे ज्यादा मतदान पश्चिम बंगाल में 77.99 प्रतिशत और सबसे कम जम्मू-कश्मीर में 51.35 प्रतिशत मतदान हुआ। आज जिन 58 सीटों पर वोट डाले गए उनमें दिल्ली की सभी 7 सीटें और हरियाणा की भी सभी 10 शामिल थी। इसके अलावा उत्तर प्रदेश की 14, बिहार और पश्चिम बंगाल की 8-8 सीटों पर भी मतदान हुआ। साथ ही छठे चरण में ओडिशा की 6 सीटों, झारखंड की 4 सीटों और जम्मू-कश्मीर में एक सीट पर भी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। कमोबेश इन सभी प्रदेशों में पिछले आम चुनाव के मुकाबले मतदान प्रतिशत कम रहा हैं।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सात लोकसभा सीटों पर शनिवार को मतदाताओ ने 13637 बूथ पर अपनी पसंद का सांसद चुनने के लिए मतदान किया हैं। मतदान कार्य में एक लाख तीन हजार से ज्यादा कर्मचारियों को लगाया गया था। भीषण गर्मी के कारण चुनाव आयोग के सामने कई चुनौतियां भी रही लेकिन शांति पूर्वक ढंग से मतदान का काम संपन्न हो गया।

लोकसभा के छठे चरण में लोकसभा की जिन 58 सीटों पर शनिवार को मतदान हुआ है,वहां पिछले 2019 के आम चुनावों में 40 सीटों पर भाजपा और राजग ने जीत दर्ज की थी। इनमें दिल्ली की सभी 7 एवं हरियाणा की सभी 10 सीटों पर भाजपा ने विजय पताका फहराई थी। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस बार दोनों ही राज्यों में स्थितियां थोड़ी बदली हुई हैं। विशेष कर किसानों और जाटों की नाराजगी भाजपा के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। इस लिहाज से छठा चरण सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है और सवाल उठने लगे है कि क्या इस बार भी भाजपा दिल्ली और हरियाणा का किला फतह कर लेगी?

देखना है चार जून को होने वाली मतगणना में ई वी एम मशीनों से मतदाताओं का रुझान किस दल को बहुमत दिलाने में सहायक रहने वाला है?