आज भी कम नहीं हैं विमानन क्षेत्र की चुनौतियां !

Even today the challenges of the aviation sector are not less!

सुनील कुमार महला

12 जून गुरूवार के दिन एयर इंडिया का विमान बोइंग ड्रीमलाइनर-787, जो कि गुजरात के अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से लंदन के गैटविक हवाई अड्डे के लिए उड़ान भर रहा था, टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद भयंकर आग का गोला बनकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया और इसमें 265 लोग असमय काल के ग्रास बन गए, यह बहुत ही दुखद और हृदयविदारक घटना है। जानकारी के अनुसार विमान में 169 भारतीयों समेत कुल 242 लोग सवार थे।इसमें 53 ब्रिटिश, 1 कनाडाई और 7 पुर्तगाली यात्री भी थे, जिनमें केवल एक यात्री जिंदा बचा बताया जा रहा है। खबर है कि 625 फीट की ऊंचाई पर विमान ने सिग्नल खो दिए थे और तेजी से नीचे आने लगा था। वास्तव में,इस विमान दुर्घटना के हृदयविदारक दृश्यों ने देश-विदेश में हर किसी को स्तब्ध करके रख दिया। जानकारी के अनुसार बी.जे. मेडिकल कॉलेज के हास्टल की इमारत में भोजन(लंच) कर रहे डॉक्टर तक इस विमान दुर्घटना की चपेट में आ गए। हादसे में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की भी मौत हो गई। यहां पाठकों को बताता चलूं कि गुजरात में यह दूसरा भीषण विमान हादसा है। इससे पहले 19 अक्तूबर 1988 को इंडियन एयरलाइंस का मुंबई से आ रहा विमान अहमदाबाद एयरपोर्ट पर लैंडिंग से पूर्व दुर्घटना का शिकार हुआ था और इसमें 130 लोगों की जान चली गई थी। हाल फिलहाल, बोइंग ड्रीमलाइनर-787 विमान हादसे के वास्तविक कारण क्या रहे, इसका पता लगाया जा रहा है, लेकिन कुछ मीडिया हाउस से प्रारंभिक रिपोर्ट्स यह आईं हैं कि ‘बर्ड स्ट्राइक’ के कारण संभवतया यह हादसा हुआ होगा। कुछ का यह भी कहना है कि टेकऑफ के दौरान तकनीकी या ऑपरेशन से जुड़ी गलती (कॉन्फिगरेशन एरर) ने इस हादसे को जन्म दिया।सच तो यह है कि हादसे को लेकर जितने मुंह हैं उतनी ही बातें और सवाल भी हैं। बहरहाल, जानकारी के अनुसार दुर्घटनाग्रस्त विमान के दो ब्लैक बॉक्स में से पिछले हिस्से में स्थित एक ब्लैक बॉक्स को ढूंढ लिया गया है और उसे सुरक्षित रखा गया है। बाद में डीजीसीए के अधिकारी इसकी रिकॉर्डिंग का विस्तार से विश्लेषण करेंगे और निष्कर्ष पर पहुंचेंगे। बहरहाल, पाठकों को बताता चलूं कि विमान के उड़ान भरते ही पायलट ने एयर ट्रैफिक कंट्रोलर को आपातकालीन संदेश भेजा था, लेकिन इसके बाद विमान का संपर्क टूट गया। विमान मेघाणीनगर (एक रिहायशी इलाके में) में दुर्घटनाग्रस्त हुआ, जिसके परिणामस्वरूप आग की लपटों और घने काले धुएं ने पूरे क्षेत्र को अपनी चपेट में ले लिया। विमान जिस पांच मंजिला इमारत पर गिरा, वहां ट्रेनी डॉक्टर निवास करते थे, जिससे हताहतों की संख्या और बढ़ी है। बहरहाल, दुर्घटना की मुख्य वजह तो अब तक सामने नहीं आई है, लेकिन लंबी दूरी की उड़ानों में विमान विशेष में ज्यादा ईंधन भरना पड़ता है। अतः यह कहा जा सकता है कि विमान में ज्यादा ईंधन से भी कहीं न कहीं आग अधिक भड़की होगी और किसी को खुद का बचाव करने का मौका तक नहीं मिल पाया। सच तो यह है कि यह एक ऐसी भयानक त्रासदी है, जिसे कभी भी भुलाया नहीं जा सकेगा। यहां यह भी कहना ग़लत नहीं होगा कि आने वाले दिनों में हादसे के संबंध में विस्तृत तथ्य व जानकारी सामने आएंगे, तभी हादसे के वास्तविक कारणों व सच के बारे में पता चल सकेगा। बहरहाल, यह भी कहना ग़लत नहीं होगा कि विमानन सुरक्षा ऐसा मोर्चा है, जहां छोटी सी भी कमी छोड़ने की गुंजाइश नहीं रहती है, क्यों कि एक मामूली सी ग़लती भी बहुत बड़े हादसे को जन्म दे सकती है। यह कोई पहली बार नहीं है, जब कोई विमान उड़ते ही हादसे का शिकार हुआ है। इससे पहले भी अनेक विमान दुर्घटनाएं हो चुकीं हैं। बहरहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि आज विमानन क्षेत्र में अनेक प्रकार की चुनौतियां विद्यमान हैं। मसलन,कड़ी प्रतिस्पर्द्धा, कम किराया, महँगा रखरखाव और महँगे ईंधन की वज़ह से विमानन कंपनियों की हालत खस्ता है।नई तकनीक अपनाने के लिये विमानन कंपनियों को भारी राशि निवेश करनी पड़ती है। विमानन कंपनियों के कुप्रबंधन या अक्षम प्रबंधन के कारण भी विमानन कंपनियाँ घाटे में चल रहीं हैं। इतना ही नहीं, हर स्तर पर प्रभावी संवाद की कमी, कंपनी प्रबंधन का अदूरदर्शितापूर्ण दृष्टिकोण, कुशल नेतृत्व का अभाव, कमज़ोर प्रबंधन, अपर्याप्त जोखिम प्रबंधन, प्रबंधकों में अनुभव व प्रशिक्षण की कमी, गलत भागीदार, पूंजी की कमी, लचर वित्तीय प्रबंधन, कर्मचारियों की उपेक्षा, यात्रियों की आवश्यकताओं की अनदेखी इत्यादि से भी विमानन कंपनियों को अक्सर सफलता नहीं मिल पाती है। बहरहाल, कोई दोराय नहीं कि विमान यात्रा को सबसे सुरक्षित माना जाता है और यह धारणा किसी एक हादसे की वजह से नहीं बदल सकती है। बोइंग विमानों की सुरक्षा(हाइड्रोलिक लीक व तकनीकी समस्या के कारण) पहले भी सवालों के घेरे में रही है।अब एक बार पुनः इन विमानों की विश्वसनीयता पर सवाल उठे हैं।सवाल यहां तक उठने लगे हैं कि क्या ये आसमां में उड़ते हुए ताबूत हैं ? एक प्रतिष्ठित अंग्रेजी दैनिक के अनुसार वर्ष 2011 में लॉन्च होने के 14 महीनों के भीतर एयर इंडिया के ड्रीमलाइनर बेड़े में 136 छोटी-मोटी खराबियां दर्ज की गईं, जिससे हर दिन 60 लाख रुपये का नुकसान हुआ। पाठकों को बताता चलूं कि 2015 से 2024 के बीच एयर इंडिया के बोइंग- 787 विमानों में 32 घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें इंजन बंद होना, फ्लाइट कंट्रोल में गड़बड़ी, गियर न खुलना, केबिन में धुआं, संचार टूटना, विंडशील्ड टूटना, केबिन प्रेशर की समस्या, भारी उथल-पुथल, ऊंचाई में कमी, स्लैट खराबी, टायर फटना और हाइड्रॉलिक रिसाव आदि शामिल हैं।एक उपलब्ध जानकारी के अनुसार हादसे का शिकार हुआ विमान 12 साल पुराना था और इस वक्त दुनिया में बोइंग-787 मॉडल के कुल 1148 विमान सेवा में हैं तथा ये विमान औसतन करीब 7.5 साल पुराने हैं। हालांकि,मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह पहली बार है जब सुरक्षा के लिए पहचाने जाने वाले बोइंग 787 के क्रैश होने की खबर सामने आई है। बहरहाल, यह दुर्घटना मानवीय त्रासदी तो है ही, कहीं न कहीं यह विमानन सुरक्षा और उसकी जवाबदेही पर गंभीर सवाल भी उठाती है। हाल फिलहाल, यह उम्मीद की जा सकती है कि डीजीसीए, बोइंग और एयरइंडिया हादसे के कारणों पर गहराई से गौर करेंगे और इस संबंध में (विमानन सुरक्षा में सुधार के संबंध में) उचित एक्शन भी लेंगे। बहरहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि आज जरूरत इस बात की है कि देश के तमाम अंतरराष्ट्रीय और घरेलू हवाई अड्डों पर आपातकालीन प्रबंधन योजनाओं की समीक्षा और उनका अभ्यास अनिवार्य किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त हवाई अड्डों पर उपलब्ध अग्निशमन वाहन, एंबुलेंस, सुरक्षा कर्मचारियों की संख्या और उनके प्रशिक्षण पर भी ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।अंत में यही कहूंगा कि इस हादसे के कारणों की पारदर्शिता और ईमानदारी से गहन जांच होनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति होने से रोकी जा सके।इस विमान दुर्घटना में विदेशी लोग भी मारे गए हैं, हमारे में उनके प्रति भी गहरी संवेदना का भाव होना चाहिए। उनके परिजनों के साथ हमें पूरा सहयोग करना चाहिए। मुआवजा जहां जरूरी हो, वहां वितरित होना चाहिए। राहत और बचाव के लिए एअर इंडिया, राज्य और केंद्र सरकार को मिलकर सामूहिकता से काम करना होगा। वास्तव में यह समय हम सभी के लिए संयम, सहायता, संवेदना और प्रार्थना का है। निश्चित ही, आज के समय में सुरक्षित विमान यात्रा एक बड़ी चुनौती है। इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। हाल फिलहाल, देखना यह भी होगा कि एयरलाइन ऐसी घटनाएं दोबारा न होने देने के अपने वादे पर कितना खरा उतरता है।