पहाड़ीपन से घुला-मिला दिखा प्रधानमंत्री का हर अंदाज

Every aspect of the Prime Minister was mixed with the hill culture

ओ पी उनियाल

देहरादून : एफआरआई में आयोजित उत्तराखण्ड के रजत जयंती समारोह के मुख्य कार्यक्रम में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का हर अंदाज पहाड़ीपन से घुला-मिला दिखा। उन्होंने गढ़वाली कुमाऊंनी के कई वाक्य बोले,वो भी कई बार। अक्सर प्रधानमंत्री जी उत्तराखण्ड के कार्यक्रमों में पहाड़ी बोली-भाषा का इस्तेमाल करते रहे हैं, लेकिन आज के भाषण में उन्होंने जितनी गढ़वाली कुमाऊंनी बोली, उतनी कभी नहीं बोली थी। ये ही वजह रही, कि उत्तराखण्ड ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के साथ इस बार और भी गहरा जुड़ाव महसूस किया।

प्रधानमंत्री जी ने अपने चिर-परिचित अंदाज में भाषण की शुरूआत की और कहा-देवभूमि उत्तराखण्ड का मेरा भै बंधु, दीदी, भुलियों, दाना सयाणों, आप सबू तई म्यारू नमस्कार। पैलाग, सैंवा-सौंली। अपने भाषण के बीच में प्रधानमंत्री जी ने जब फिर से गढ़वाली में बोलना शुरू किया, तो इसने लोगों को और रोमांचित कर दिया। प्रधानमंत्री जी बोले-पैली पहाडुं कू चढ़ाई, विकास की बाट कैल रोक दी छै, अब वखि बटि नई बाट खुलण लग ली।

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण मे पहाड़ के लोक पर्वों, लोक परंपराओं और महत्वपूर्ण आयोजनों को भी शामिल किया। इस क्रम में उन्होंने हरेला, फुलदेई, भिटोली, नंदादेवी, जौलजीबी, देवीधुरा मेले से लेकर दयारा बुग्याल के बटर फेस्टिवल तक का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 9 नवंबर का दिन लंबी तपस्या का फल है। आज का दिन हमको गर्व का एहसास करा रहा है।

समारोह में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने लगभग ₹8260.72 करोड़ की योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया।

एफआरआई में प्रधानमंत्री ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया व विभिन्न स्टेकहोल्डर्स के साथ बातचीत की।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में आज एएआई और उत्तराखण्ड सरकार के बीच पिथौरागढ़ स्थित नैनी सैनी हवाई अड्डा के अधिग्रहण हेतु एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। यह ऐतिहासिक समझौता उत्तराखण्ड के पर्वतीय अंचल में सुगम, सुरक्षित और टिकाऊ हवाई संपर्क की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।