सीता राम शर्मा ” चेतन “
आजादी के पचहत्तर वर्ष पूर्ण होने को हैं ! केंद्र सरकार इस वर्ष को आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में मना रही है ! देश भर में इसको लेकर कई आयोजन किए जा रहे हैं ! अब इस आयोजन के तहत हर घर तिरंगा अभियान भी शुरू किया जा रहा है ! पिछले दिनों देश के गृह मंत्री अमित शाह ने इस अभियान से हर देशवासी को जुड़ने का आग्रह करते हुए कई ट्वीट किए थे, जिसमे लिखा था – हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा न सिर्फ हर देशवासी को एकता के सूत्र में पिरोता है बल्कि हमारे अंदर राष्ट्र के प्रति समर्पण के भाव को और प्रबल भी करता है । मैं सभी से अपील करता हूँ कि 13 से 15 अगस्त तक सभी अपने घरों पर तिरंगा फहराकर इस अभियान से जुड़ें । इससे हमारी युवा पीढ़ी में हम तिरंगे के प्रति सम्मान और जुड़ाव को और बढ़ा पाएंगे ।
इसके बाद अब राष्ट्रीय ध्वज को लेकर नियम कानून में भी परिवर्तन कर दिया गया है । सरकार का यह अभियान निःसंदेह हर भारतवासी के लिए अनुकरणीय है, जो दीर्घकालीन परिपेक्ष्य में एक सशक्त, एकजुट और शक्तिशाली भारत के स्वर्णिम पथ का मार्ग प्रशस्त करेगा । सबकुछ सामान्य होते हुए भी इसमें कोई शक नहीं कि वर्तमान और भविष्य की विधमान और संभावित बड़ी राष्ट्रीय समस्याओं का एक बड़ा कारण देशवासियों में राष्ट्रीय चेतना, राष्ट्रप्रेम, राष्ट्रीय कर्तव्यपरायणता और राष्ट्रीय दायित्व बोध की कमी और अभाव है, जिस पर समय रहते सोचने और बहुत कुछ करने की जरूरत है । आतंकवाद, उग्रवाद, अलगाववाद के साथ इन दिनों मानवाधिकार, लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर हो रहे कई प्रायोजित षड्यंत्रों और उपद्रवों की उत्पति और उसके विस्तार में इनसे ग्रस्त क्षेत्र के आम लोगों में राष्ट्रीय भाव, कर्म और दायित्वबोध की कमी एक मुख्य कारण है । गौरतलब है कि जब किसी गांव, शहर, समाज या देश के लोग राष्ट्रीय समझ और एकजुटता से दूर होंगे तो षड्यंत्रकारी अपराधी ताकतें अलग-अलग विषयों और मुद्दों पर वहां की परिस्थितियों के हिसाब से अलग-अलग तरीके से आसानी से उन्हें अपना शिकार बनाती रहेंगी । पिछले कुछ वर्षों से, जब से सरकार का ध्यान देश के भविष्य को लेकर दूरदर्शी होने के साथ देश को आत्मनिर्भर, समृद्ध, विकसित और वैश्विक महाशक्ति बनाने पर एकाग्र हुआ है, देश की स्वार्थी तथा भ्रष्ट बिरादरी के साथ गुप्त षड्यंत्रकारी लक्ष्यों के साथ काम करती देश विरोधी ताकतों की बैचेनी काफी बढ़ गई है । परिणाम स्वरूप उनके षड्यंत्र भी तेजी से बढ़े हैं । इसमें कतई संदेह नहीं कि वर्षों से गलत मंसूबों के साथ काम करती ये स्वार्थी और देश विरोधी ताकतें अपने अस्तित्व पर मंडराते खतरे की स्थिति में निकट भविष्य में और ज्यादा षड्यंत्रकारी और विस्फोटक अवस्था में होंगी । ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि इनके प्रति और इनकी वर्तमान तथा भविष्य की संभावित षड्यंत्रकारी गतिविधियों के प्रति लोगों को पूर्णतः जागरूक बनाया जाए और इसके लिए सबसे पहले और ज्यादा जरूरी है आम भारतीय जनता को अपने राष्ट्रीय भाव कर्म और दायित्व के प्रति जवाबदेह बनाना । उन्हें राष्ट्रीयता के उनके प्राथमिक भाव कर्म से जोड़ना । हर घर तिरंगा, बेशक सरकार के उसी दूरदर्शी चिंतन और लक्ष्य का परिणाम है । राष्ट्र के हर एक नागरिक में राष्ट्रीयता का बोध हो, उसे अपने राष्ट्र से प्रेम हो, वह राष्ट्रीय सुरक्षा, गरिमा और भविष्य को अपनी सुरक्षा, गरिमा और भविष्य के साथ जोड़कर बहुत गंभीरता से यह जाने और समझे कि उसके तथा उसकी संतानों के व्यक्तिगत सुरक्षित और समृद्धशाली जीवन के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा और समृद्धी का होना । यदि वह नहीं होगी तो उसकी तमाम व्यक्तिगत सुख सुविधाएँ और उपलब्धियाँ कभी भी व्यर्थ सिद्ध हो सकती हैं और तब वह अपने जीवन को जीने के लिए भी संकटग्रस्त हो सकता है । अफगानिस्तान इसका ताजा उदाहरण है । अकूत समृद्धी और सफलता के बावजूद जिंदा रहने भर के लिए सबकुछ छोड़कर संघर्ष करने, शरणार्थी जीवन जीने को बाध्य होने के उदाहरणों से दुनिया भरी पड़ी है । अपने देश भारत में हीं कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक कई ऐसे राज्य और क्षेत्र हैं, जहां से आतंकवाद, नक्सलवाद, अलगाववाद और हिंसक गतिविधियों के कारण लोगों को अपना सबकुछ छोड़कर भागने को विवश होना पड़ा है और पड़ रहा है । अतः दुनिया और देश के हर व्यक्ति के लिए व्यक्तिगत रूप से यह बेहद जरूरी है कि वह अपने व्यक्तिगत जीवन के साथ अपने राष्ट्रीय और सामाजिक जीवन तथा उसकी व्यवस्था के महत्व को समझे और उसे बेहतर बनाने तथा बनाए रखने में पूरी सजगता और ईमानदारी से अपना योगदान दे । हर घर तिरंगा अभियान के माध्यम से सरकार भी इसी का प्रयास करती दिखाई देती है, जिसका स्वागत किया जाना चाहिए । देश के आम नागरिक में उसके राष्ट्रीय बोध का विकास करने का सरकार का यह अभियान निःसंदेह उचित है, पर मुझे लगता है कि उसे निकट भविष्य में ही इस दिशा में थोड़ी और व्यापकता के साथ आगे बढ़कर काम करने की जरूरत है । इस संदर्भ में भारत के भविष्य को लेकर स्वामी विवेकानंद का गहन और सारगर्भित चिंतन तथा कथन बहुत महत्वपूर्ण है । इसी चिंतन मंथन के बाद उन्होंने कहा था कि यदि भारत को सचमुच एक समर्थ, सशक्त, शक्तिशाली और महान राष्ट्र बनाना है तो हर भारतीय को कुछ दशकों तक सिर्फ और सिर्फ राष्ट्रदेव की आराधना करनी होगी । गौरतलब है कि यह तब होगा, जब हम हर भारतीय के मन-मस्तिष्क में अपने राष्ट्र के प्रति प्रेम, अपनापन, निष्ठा और दायित्व का भाव तथा कर्म विकसित कर पाएंगे और इसके लिए यह बेहद जरूरी है कि हम उसमें उसकी बाल्यावस्था से ही अपने राष्ट्रदेव के प्रति पूर्ण ज्ञान, सम्मान और निष्ठा का भाव तथा कर्म विकसित करें और इसके लिए सबसे सरल और सशक्त माध्यम यह हो सकता है कि हर भारतीय अपने घर में अपने पूज्यनीय आराध्य देवी देवताओं के साथ एक राष्ट्रदेव की तस्वीर भी अवश्य लगाएं । रखें । जो भारत माता की है । मेरा यह स्पष्ट मानना है कि जैसे सरकार के प्रशासनिक महकमें में अभिवादन स्वरूप जय हिंद कहा या लिखा जाता है, हर भारतीय को स्वेच्छापूर्वक अपना अभिवादन वाक्य जय माँ भारती बना लेना चाहिए । मैंने कई बार मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री से भी इस बात का आग्रह किया है कि विधानसभा और संसद भवन के प्रवेश द्वार पर एक भारत माता का मंदिर हो, या भारत माता की मूर्ति या बड़ी तस्वीर लगाई जानी चाहिए, जिसके सामने पुष्प चढ़ाने और शीश झुकाने के बाद ही विधायक और सांसद उसके कार्य कक्ष में प्रवेश करें । इससे उनके भीतर कर्तव्यबोध जागृत होने के साथ कर्तव्यपरायण होने का भाव कर्म भी विकसित होगा । देश की वर्तमान राजनीतिक स्थिति में सरकार ऐसा कर पाएगी या नहीं, यह तो उसके विवेक और क्षमता पर निर्भर है, पर हर घर तिरंगा की तर्ज पर हर घर माँ भारती की तस्वीर की आवाज बुलंद करते हुए अधिकांश भारतीयों में अपने घर में माँ भारती की तस्वीर लगाने की सोच तो वह बहुत आसानी से विकसित कर सकती है । यदि ऐसा हुआ तो निःसंदेह हर भारतीय की आँखें हर दिन माँ भारती को श्रद्धा और निष्ठा से देखेंगी । क्षण भर के लिए ही सही उनके मन-मस्तिष्क में राष्ट्रीय भाव और कर्म विकसित अवश्य होगा, जिसका दूरगामी लाभ उनको, उनके घर परिवार को और उनकी संतानों के साथ देश को भी अवश्य मिलेगा ! राष्ट्र प्रेम और राष्ट्रीय भाव की इन्हीं शुभकामनाओं के साथ, जय माँ भारती !