एक्सक्लूसिव : एक सरकारी फरमान, बैंक अधिकारियों की नींद हराम

संदीप ठाकुर

एक सरकारी फरमान देश भर के सरकारी बैंक मैनेजर के लिए सिरदर्द बन गया है।
फरमान है लोन देने का और वह पर्सनल। देश भर के सरकारी बैंक अपने ग्राहकों
पर पर्सनल लोन लेने का दबाव बनाने में जुट गए हैं। बैंकों का कहना है कि
ऐसा वे अपनी मर्जी से नहीं कर रहे। बल्कि ऐसा करने का निर्देश उन्हें
वित्त मंत्रालय की तरफ से दिया गया है। सरकार के इस हरकत से बैंक परेशान
है। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि किसी काे जबरन लोन लेने के लिए कैसे मजबूर
किया जाए। साथ ही बैंकों काे इस काम काे पूरा करने के लिए तीन महीने
जुलाई,अगस्त और सितंबर का टारगेट दिया गया है।

बैंकिंग व्यवस्था से जुड़े अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि सरकारी फरमान हाल
ही में आया है। फरमान में कहा गया कि जिस ग्राहक का सिबिल स्काेर साफ
सुथरा है उसे पर्सनल लाेन दिया जाए। मालूम हाे कि सिबिल स्कोर किसी
व्यक्ति के क्रेडिट इतिहास और पुनर्भुगतान ट्रैक रिकॉर्ड को दर्शाता है।
मजे की बात यह है कि यदि ग्राहक लोन लेना न भी चाहता हाे सब भी उसे लोन
लेने के लिए बाध्य किया जाए। सूत्रों ने यह भी बताया कि साफ सुथरे सिबिल
स्काेर वालों के नाम की सूची भी बैंकों काे उपलब्ध कराई गई है और उसे
कितना लोन दिया जाए इसका उल्लेख भी उसके नाम के आगे किया गया है। बैंकों
की मजबूरी फरमान काे लागू कराने की है।

ग्राहकों के पास बैंकों से फोन आने का सिलसिला शुरू हाे गया है। फोन पर
उनसे लोन लेने का आग्रह किया जा रहा है। मान मनौव्वल किया जा रहा है। लोन
लेने के लिए दबाव भी बनाया जा रहा है। पर्सनल लाेन 11 से 12 परसेंट के
मासिक इंटरेस्ट पर दिया जा रहा है। सवाल यह है कि सरकार ऐसा क्याें कर
रही है ? जानकारों के मुताबिक इसकी दो वजह हाे सकती है। या तो बैंकों के
पाल अधिक रकम आ गई है या फिर बैंकों की आमदनी घट गई है। क्योंकि लाेगाें
ने लाेन लेने कम कर दिए हैं। बैंक की कमाई का मुख्य जरिया लाेन ही है।
यदि लोग लोन नहीं लेंगे काे बैंक की आमदनी कम हाे जाएगी। कारण जो भी हाे
लेकिन बैंकों से लिए यह एक बड़ा सिरदर्द तो बन ही गया है।