
रविवार दिल्ली नेटवर्क
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर में एमडी और एमएस 2024-25 बैच के फर्स्ट ईयर जूनियर डॉक्टर्स के ओरिएंटेशन प्रोग्राम का समापन
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर में एमडी और एमएस 2024-25 बैच के मेडिकल पीजी ओरिएंटेशन प्रोग्राम में 136 न्यू कमर्स स्टुडेंट्स को हॉस्पिटल और कॉलेज की फैसेलिटीज़, कार्यप्रणाली, पेशेंट्स, तीमारदारों और सहकर्मियों से बातचीत की तरीके, मरीजों के अधिकार, डाटा की कॉन्फिडेंसिटी को मेंटेन रखना, मेडिकल रिकार्ड को मेंटेन रखना, मेडिकल लीगल इस्यूज को मैनेज करना, सुरक्षित तरीके से रक्त को चढ़ाना, उचित दवाइयों का प्रयोग करना, रेडियोलॉजी और लैब के फॉर्म को सही से भरना ताकि सही जांच और हो सके, बायोमेडिकल वेस्ट का उचित निस्तारण करना, पेशेंट के अनुमति पत्र को भरना, ड्रग्स के साइड इफेक्ट्स का रिकॉर्ड रखना, आयुष्मान योजना की जानकारी, मेडिकल साइंस में रिसर्च आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। इस मौके पर फैकल्टी ऑफ मेडिसिन साइंसेज़ के डीन प्रो. एसके जैन की बतौर मुख्य अतिथि, मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. एनके सिंह की बतौर विशिष्ट अतिथि गरिमामयी मौजूदगी रही। साथ ही पीजी ओरिएंटेशन प्रोग्राम के ऑर्गेनाइजिंग चेयरमैन प्रो. वीके सिंह, को-ऑर्गेनाइजिंग चेयरमैन एवम् मेडिकल के वाइस प्रिंसिपल प्रो. प्रीथपाल सिंह मटरेजा, ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी प्रो. अमित सराफ और ज्वाइंट ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी प्रो. राजुल रस्तोगी आदि की भी उल्लेखनीय मौजूदगी रही।
मेडिकल कॉलेज के वाइस प्रिंसिपल प्रो. प्रीथपाल सिंह मटरेजा और फिजियोलॉजी के हेड डॉ. जयबल्लभ कुमार ने एडीआर रिपोर्टिंग/फर्माकोविजिलेंस, प्रिस्क्रिप्शन राइटिंग और रेसनल यूज ऑफ ड्रग्स के बारे में विस्तार से बताया। माइक्रोबायोलॉजी के एचओडी डॉ. उमर फारूख ने मेडिकल वेस्ट का निपटान करने के सुरक्षित तरीकों तो रेडियोडाग्नोसिस विभाग के हेड प्रो. विजय प्रताप सिंह और डॉ. सौभाग्या श्री ने रेडियोलॉजिकल पर प्रकाश डाला। बायोकेमिस्ट्री विभाग की एचोडी डॉ. ऊषा किरन और पैथोलॉजी विभाग की डॉ. दीप्ति अरोरा ने बताया, लैब रिक्यूजीशन फॉर्म में टेस्ट जुड़ी आवश्यक बातों का स्पष्ट उल्लेख करना चाहिए, मेडिसिन विभाग के हेड डॉ. वीके सिंह और ऑर्थोपेडिक्स के हेड डॉ. अमित सराफ ने पीजी करिकुलम के बारे में स्टुडेंट्स को गहनता से समझाया। रेडियोडायग्नोसिस विभाग की सीनियर फैकल्टी प्रो. राजुल रस्तोगी और मनोरोग विभाग की डॉ. प्रेरणा गुप्ता ने स्ट्रेस मैनेजमेंट के टिप्स दिए। डॉ. आशुतोष कुमार और डॉ. सीमा अवस्थी ने पेशेंट ऑटोनोमी, जबकि डॉ. निधि बंसल और डॉ. दीप्ति अरोरा ने सेफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन पर चर्चा की। कम्युनिटी मेडिसिन की एचओडी डॉ. साधना सिंह, डॉ. उम्मे अफीफा, डॉ. एस नागेन्द्रन और डॉ. आतिफ विकार ने मेडिकल रिसर्च और थीसिस राइटिंग के संग-संग मेडिकल रिसर्च डाटा को एनालाइज करने मेडिकल रिसर्च का अर्थ, इसके विभिन्न डिजाइन और उनकी आवश्यकता, साहित्य समीक्षा के जरिए रिसर्च गैप खोजना, सैंपल बनाना आदि के बारे में विस्तार से समझाया।
ईएनटी के एचओडी डॉ. प्रोबल चटर्जी और माइक्रोबायोलॉजी के डॉ. सुधीर सिंह ने स्टेरेलाइजेशन, डिसइंफेक्शन और सेंट्रल हॉस्पिटल सप्लाई के महत्व पर विस्तार से चर्चा की। सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. अशोक कुमार सिंह और पीडियाट्रिक विभाग की हेड डॉ. रूपा आर. सिंह ने यूनिवर्सल प्रीकॉशन्स के तहत सर्जरी के समय पेशेंट को या उसके शरीर के किसी भी पार्ट को हैंडल करते समय रखे जाने वाली सावधानियों के बारे में बताया। कैजुअलटी की एनसथिसिया इंचार्ज डॉ. विनम्रा तिवारी और डॉ. विपिन अग्रवाल ने मेडिकल रिकॉर्ड के डाक्यूमेंटेशन और इमरजेंसी के विभिन्न कोड्स के बारे में चर्चा की।
एन्सथीसिया के हेड डॉ. मुकेश कुमार प्रसाद और एन्सथीसिया विभाग की डॉ. पायल जैन ने बताया, पेशेंट पर कोई भी प्रोसीजर करने से पहले उसे कौन-कौन सी बातें बतानी चाहिए और किस प्रकार से बतानी चाहिए। साथ ही अनुमति पत्र तैयार भी बताया। एन्सथिसिया की डॉ. संभवी चौहान और स्त्री एवम् प्रसूत रोग विभाग की हेड डॉ. मनप्रीत कौर ने इमरजेंसी प्रैक्टिस के संग-संग मेडिकल इश्यूज़ और मेडिकल एथिक्स के बारे में चर्चा की। डर्माटोलॉजी की एचओडी डॉ. प्रवथी सीएन और टीएमयू हॉस्पिटल के आयुषमान कोर्डिनेटर डॉ. नासिर खान ने आयुषमान स्कीम का परिचय देते हुए आयुषमान योजना के तहत पेशेंट को रजिस्टर और ट्रीट करने की प्रक्रिया को समझाया।