बजट में मान्यता प्राप्त पत्रकारों के इलाज की दी जाए सुविधा: बिधूड़ी

Facility for treatment of accredited journalists should be provided in the budget: Bidhuri

  • दिल्ली सरकार के कर्मचारियों के आयुर्वेद इलाज को फिर किया जाए चालू
  • मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता को दिए सुझाव

रविवार दिल्ली नेटवर्क

नई दिल्ली : दक्षिण दिल्ली से भाजपा सांसद रामवीर सिंह बिधूड़ी ने मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता को सुझाव दिया है कि आगामी बजट में दिल्ली के मान्यता प्राप्त पत्रकारों के इलाज की सुविधा को शामिल करें और उन्हें डीजीएचएस कार्ड जारी करने की घोषणा करें। केजरीवाल सरकार ने पत्रकारों के इलाज की सुविधा को वापस ले लिया था। बिधूड़ी ने दिल्ली सरकार के कर्मचारियों के आयुर्वेदिक इलाज पर आप सरकार द्वारा लगाई गई रोक को भी समाप्त करने का अनुरोध किया है।
बिधूड़ी ने कहा है कि दिल्ली सरकार 1995 में भाजपा शासन के दौरान यह नियम बनाया था कि दिल्ली सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त पत्रकारों को ‘ए’ क्लास अधिकारियों की तरह इलाज की सुविधा होगी। उन्हें यह सुविधा सूचना एवं प्रचार निदेशालय के माध्यम से दी जाती थी और इलाज के बाद बिलों का भुगतान किया जाता था। केजरीवाल सरकार ने कुछ वर्ष पहले इस सुविधा को खत्म कर दिया। बिधूड़ी ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त पत्रकारों को सीजीएचएस द्वारा हैल्थ कार्ड जारी किया जाता है। उन्होंने मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता को सुझाव दिया है कि मान्यता प्राप्त पत्रकारों को दिल्ली सरकार का डीजीएचएस कार्ड उसी तर्ज पर जारी किया जाना चाहिए। इससे बिल पास कराने की जटिलताएं भी खत्म हो जाएंगी और मान्यता प्राप्त पत्रकारों को बड़ी राहत मिलेगी।

बिधूड़ी ने कहा कि आम आदमी पार्टी सरकार ने दिल्ली सरकार के कर्मचारियों के आयुर्वेदिक इलाज पर भी रोक लगा रखी है। आयुर्वेदिक पद्धति पूरी तरह सुरक्षित है और इससे किसी प्रकार का साइड इफेक्ट नहीं होता। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भी लगातार आयुर्वेद को बढ़ावा देने की बात करते हैं। उन्होंने कहा कि बजट में दिल्ली सरकार के कर्मचारियों के आयुर्वेदिक इलाज की घोषणा की जानी चाहिए। इसके लिए जो संस्थान सीजीएचएस के पैनल में हैं, फिलहाल उन्हीं संस्थानों से इलाज की सुविधा दे दी जाए। दिल्ली सरकार के कर्मचारी लंबे समय से यह मांग करते आ रहे हैं लेकिन आम आदमी पार्टी सरकार को ऐसे जनहित कार्यों की परवाह नहीं थी।