
विजय गर्ग
प्रकृति में अनेक खाद्य श्रृंखलाएँ और खाद्य जाल हैं। जीवों की जनसंख्या प्राकृतिक रूप से खाद्य श्रृंखलाओं के माध्यम से नियंत्रित रहती है, लेकिन विकास और मनुष्य की लालची प्रवृत्ति के कारण प्रकृति का संतुलन लगातार बिगड़ रहा है।
जंगल सिकुड़ रहे हैं, जिससे जानवर रिहायशी इलाकों की ओर रुख कर रहे हैं। वनों की कटाई के कारण कई जानवरों के आवास नष्ट हो रहे हैं। पशु-पक्षी, पौधे, कीट-पतंगे प्रकृति के अभिन्न अंग हैं। धरती पर रहने वाले हर जीव-जंतु का, चाहे वह छोटा कीट हो या बड़ा जानवर, प्रकृति के संतुलन से गहरा नाता है। मधुमक्खियाँ न केवल शहद प्रदान करती हैं, बल्कि फसलों का परागण करके उपज भी बढ़ाती हैं। पक्षी कीड़े-मकोड़ों को खाकर फसलों की रक्षा करते हैं। जंगली जानवर न केवल प्रकृति की सुंदरता हैं, बल्कि हमारे पर्यावरण का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, लेकिन दुर्भाग्य से, मानवीय लालच के कारण, जंगल काटे जा रहे हैं। औद्योगीकरण और शहरीकरण तेज़ी से बढ़ रहा है। प्रदूषण और जानवरों के शिकार से कई प्रजातियाँ खतरे में पड़ रही हैं। कई प्रजातियाँ या तो विलुप्त हो चुकी हैं या खतरे में हैं। अगर कई प्रजातियों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो वे भविष्य में विलुप्त हो जाएँगी। उदाहरण के लिए, तेंदुआ, शेर, हाथी, गैंडा, बाघ और कस्तूरी मृग आदि।
यदि ये जीव विलुप्त हो गए तो खाद्य श्रृंखला टूट जाएगी और प्रकृति का संतुलन बिगड़ जाएगा। भारत में हर साल वन्यजीवों की रक्षा के लिए अक्टूबर माह में 2 से 8 अक्टूबर तक वन्यजीव सुरक्षा सप्ताह मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1952 में भारतीय वन्यजीव बोर्ड ने की थी ताकि लंबे समय तक पूरे भारत में वन्यजीवों की रक्षा की जा सके। इस सप्ताह के दौरान सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा स्कूलों और कॉलेजों में भाषण प्रतियोगिता, निबंध प्रतियोगिता और कई अन्य गतिविधियों का आयोजन किया जाता है ताकि बच्चों और उनके अभिभावकों को जागरूक किया जा सके। स्कूली बच्चों को प्रकृति से जोड़ने के लिए जंगलों और चिड़ियाघरों का भ्रमण भी कराया जाता है।
वन विभाग लोगों को वन्यजीवों की सुरक्षा के प्रति जागरूक भी करता है। भारत सरकार ने वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए कई कानून बनाए हैं और परियोजनाएँ क्रियान्वित की हैं, जैसे वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972, जिसके तहत जानवरों के शिकार पर प्रतिबंध लगाया गया है।
भारत सरकार ने कई राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य और बायोस्फीयर रिजर्व स्थापित किए हैं। इनमें प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान, काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, भरतपुर पक्षी अभयारण्य, गिर राष्ट्रीय उद्यान और सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान हैं।
भारत सरकार ने बाघ परियोजना 1973, परियोजना हाथी, परियोजना मगरमच्छ आदि कई परियोजनाएँ शुरू की हैं। कई राष्ट्रीय उद्यानों को बाघ अभयारण्य भी घोषित किया गया है। वन्यजीवों की सुरक्षा हमारी नैतिक और सामाजिक ज़िम्मेदारी है।