राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट अपने अनशन प्रकरण पर अलग थलग पड़े, चारों ओर से घिरते नज़र आयें

नीति गोपेंद्र भट्ट

नई दिल्ली : राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट अपने अनशन प्रकरण पर चारों ओर से घिरते औरअलग थलग पड़ते नज़र आ रहें है।इस बार कांग्रेस हाई कमान पहलें की तरह सचिन पायलट के प्रति सहानुभूतिनही दिखा अपने वरिष्ठ नेता और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है।

अशोक गहलोत इस पूरे मामले में शालीनता के साथ संजीदा पूर्वक व्यवहार करते हुए कोई प्रतिक्रिया नही देरहें और बुधवार को जयपुर में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद पत्रकार वार्ता में भी उन्होंने राज्य सरकारद्वारा आयोजित किए जा रहें महँगाई राहत केम्प और मिशन 2030 के अलावा पत्रकारों द्वारा घुमा फिरा करपूछे गए सवालों का कोई सीधा जवाब नही दिया और कहा कि अभी हमारा लक्ष्य मिशन 2030 और महँगाईराहत शिविर है। विपक्षी एकता के मुद्दे पर राहुल गाँधी की स्वीकार्यता बढ़ने सम्बन्धी एक प्रश्न के जवाब मेंगहलोत ने कहा कि राहुल गाँधी की स्वीकार्यता तों पहलें से ही बढ़ी हुई है और उनकी भारत जोड़ों यात्रा सेभाजपा डर गई है।

बताया जा रहा है कि सचिन पायलट के अनशन से नाराज़ कांग्रेस हाई कमान को इस मामले में एक और बातचुभ रही है कि सचिन पायलट ने अपने अनशन का समय उस वक्त को चुना जब लोकसभा की सदस्यता खोनेके बाद कांग्रेस नेता राहुल गाँधी अपना कर्नाटका का चुनावी दौरा निरस्त कर पहली बार अपने संसदीय क्षेत्रकेरल प्रदेश के वायनाड़ के दौरे पर जा रहें थे और उनके साथ कांग्रेस महामन्त्री प्रियंका गाँधी थी केरल जा रहीथी।

इसके बावजूद सचिन पायलट ने राजस्थान के प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर रंधावा की सलाह को नजरअन्दाज़ कर जयपुर में न केवल प्रेस वार्ता की वरन दूसरे दिन अनशन पर भी बैठ गए तथा अपने समर्थकों कोजयपुर बुला कर बड़ा प्रदर्शन किया।

सचिन पायलट के इस अदूरदर्शिता पूर्ण हरकत का दुष्प्रभाव यह हुआ कि देश भर में मीडिया का राहुल गाँधी केवायनाड़ दौरे से अधिक ध्यान और चर्चा सचिन पायलट के एक्शन पर रही और प्रदेश में प्रमुख विपक्षी दलभाजपा को भी कांग्रेस पर हमला करने का एक अवसर मिल गया ।

कांग्रेस सूत्रों के अनुसार सचिन पायलट के इस एक्शन को सीधे राहुल गाँधी को चुनौती देना भी माना जा रहाहै।इस बात का प्रमाण कांग्रेस के संचार विभाग के प्रमुख जय राम रमेश और प्रदेश प्रभारी रंधावा के विभिन्नबयान है जोकि हाई कमान की अनुमति के बिना नही दिए जा सकते।

प्रदेश प्रभारी रंधावा ने तों नई दिल्ली में मीडिया के सामने यहाँ तक कह दिया कि कार्रवाई तो पहले भी होनीचाहिए थी लेकिन नहीं हो पाई लेकिन इस बार अनुशासनहीता पर कार्यवाही होंगी।उनका इशारा सचिनपायलट और उनके समर्थक विधायकों द्वारा कांग्रेस पार्टी से बगावत कर गहलोत सरकार को गिराने की मंशा सेमानेसर की एक होटल में ठहरने तथा उसके बाद के घटनाक्रम की ओर था।

प्रदेश प्रभारी रंधावा ने आज कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात के बाद एक बड़ाबयान

दिया और कहा कि हम ‘राजस्थान को पंजाब नहीं बनने देंगे’। मैं पूरे मामले की रिपोर्ट आलाकमान को दूंगा।उन्होंने कहा कि ये काम जल्दबाजी में नहीं होते हैं।जरूरत के मुताबिक फैसला होगा।

उन्होंने कहा कि मैं बीजेपी सरकार पर लगाए गए आरोपों से सहमत हूं। इस बात से भी सहमत हूं कि पायलट नेजो मुद्दा उठाया वो सही था,लेकिन इस मुद्दे को उठाने की तरीका गलत है। मुद्दा उठाने की जगह और समय भीगलत था।साथ ही कहा कि पायलट को यह मामला सदन में उठाना चाहिए था

या फिर पार्टी फोरम पर अपनी बात को रखना चाहिए था। जब मुद्दा उठाना ही था तो संजीवनी वाला भी उठानाचाहिए था।

रंधावा ने कहा कि सचिन पायलट ने जो भाषण दिया है मैं उसकी स्टडी कर रहा हूं

रंधावा यहीं नही रुकें उन्होंने सचिन पायलट के बगावती तेवरों पर कहा कि इससे पहले भी कई बार हुई हैंअनुशासनहीनता।इसलिए अब इन सभी मामलों की स्टडी कर लिया जाएगा एक्शन।उन्होंने कहा कि सचिनपायलट को लेकर पहले ही अनुशासनहीनता की कार्रवाई होनी चाहिए थी। लेकिन उस वक्त नहीं हुई थी, परअब कार्रवाई होगी ।

रंधावा ने कहा कि राजस्थान में पंजाब जैसी बाते नहीं हों रहीं । मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ 100 सेअधिक विधायक एक जुट है।

रंधावा ने 25 सितंबर को हुए बगावत वाले तीन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई के बारे में पूछने पर कहा कि मैं उसवक्त नहीं था और इस बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अब अनुशासनहीनता मेरेरहते नहीं चलेगी और कोशिश होगी कि ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो।रंधावा ने कहा कि वे अभी और पूर्वकी घटनाओं में दोनों गुटों की ओर से हुई ग़लतियों को देख हाई कमान को अपनी निष्पक्ष रिपोर्ट देंगे।

इधर अनशन के तुरन्त बाद नई दिल्ली पहुँचें सचिन पायलट अपना पक्ष रखने के लिए पार्टी हाई कमान केनेताओं से मिलने का प्रयास कर रहें है लेकिन बताया जा रहा है कि उन्हें अब तक कहीं से भी मिलने का समयनही मिला है।

दूसरी ओर यह भी खबर आ रही है कि प्रदेश प्रभारी रंधावा इस प्रकरण पर गुरुवार को सचिन पायलट सेमुलाक़ात कर सकते है। पार्टी के कुछ नेता पूरे मामले को शान्त करने के लिए राज्य मंत्री परिषद में बदलाव करऔर सचिन पायलट को कोई नई जिम्मेदारी देकर चुनावी वर्ष में इस मामले का पटाक्षेप करने का प्रयास भी कररहें है ताकि एक बार फिर राजस्थान में दोनों गुट एक साथ मिल जुल कर चुनाव मैदान में उतरें।

उधर भाजपा के कई नेताओं ने बयान दिए है कि पायलट ने अपनी पार्टी की अंतर्कलह विशेष कर अपनी ओरसभी का ध्यान दिलाने के लिए भाजपा और हमारी नेता पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे को इस्तेमाल करने काकुत्सित प्रयास किया है। जबकि इन कथित घोटालों के सम्बन्ध में गठित माथुर आयोग और माननीय उच्चन्यायालय तथा माननीय उच्चतम न्यायालय में यह मामले ख़ारिज हों चुके हैं।भाजपा नेताओं का कहना है किराजस्थान में कुर्सी की इस लड़ाई को जनता चुपचाप देख रहीं है और समय आने पर अपना माकूल जवाब देंगीऔर प्रदेश में हर पाँच वर्षों में सरकार बदलने की चली आ रही परम्परा को बदस्तूर जारी रख इस बार प्रदेश मेंभाजपा की ही सरकार बनवायेगी ।