पड़ोसी राष्ट्र के स्वतंत्रता सेनानी

freedom fighters of neighboring countries

विनोद कुमार विक्की

अगस्त माह में अपने देश के स्वतंत्रता की चर्चा तो हम हर साल करते हैं, किन्तु आज हम पड़ोसी मुल्क के ताजातरीन स्वतंत्रता आंदोलन की चर्चा करने जा रहे हैं। ना ना, हमारा उद्देश्य न्यूज चैनलों की तरह अपने देश की महंगाई, बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार को छुपा कर पड़ोसी देश की बदहाली, भुखमरी, गरीबी दिखा कर आपको मुद्दे से भटकाने का कतई नहीं है।

दरअसल अगस्त के प्रथम सप्ताह में पड़ोसी देश से शौर्य पराक्रम की ऐसी-ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं जिसे देखकर संपूर्ण चराचर आह्लादित हो रहा है।

रोचक और रोमांचक कृत्यों से लबरेज़ इस आधुनिक रिवोल्यूशन को देख कर सभी जीव-जंतुओं में होमोशैपियंस (ज्ञानी मानव) समुदाय के प्रति सम्मान और श्रद्धा में काफी इजाफा हुआ है।

इतिहास की प्रत्येक क्रांति अपने साहसिक कारनामों के लिए याद की जाती है कुछ इसी तरह भविष्य में पड़ोसी मुल्क की क्रांति भी लीजेंड्स के करतूतों के कारण भुलायें नहीं भूली जाएंगी। इन शांति दूतों के अदम्य साहस से ओतप्रोत कारनामों ने पुरा पाषाण काल से आधुनिक काल तक के दृश्यों का वैश्विक स्तर पर सजीव चित्रण करने में अपनी योग्यता का जो परचम लहराया है, उसके लिए प्रत्येक क्रांतिकारियों को व्यक्तिगत रूप से भी शांति और विज्ञान का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया जाए तो कम है। विरोध, विद्रोह से क्रांति तक के सफर में डार्विन के विकासवाद और मानव के बौद्धिक कालानुक्रम का स्पष्ट उदाहरण देखने को मिला।

मानव ने सर्वप्रथम चुनिंदा पत्थरों को आपस में रगड़ कर आग जलाना सीखा था पड़ोसी मुल्क के महामानवों ने कुछ इसी तरह चुनिंदा घरों और संस्थाओं में आग लगा कर इतिहास में दफन ईसापूर्व पुरा पाषाण काल युगीन मानवों की बरबस याद दिला दी।इतिहास की मानें तो अपने आरंभिक अवस्था में नग्न रहने वाले मानव जीविकोपार्जन के लिए आखेट अथवा लूटपाट पर निर्भर रहा करते थे। महापुरुषों की मूर्ति पर मूत्र विसर्जन एवं विभिन्न दुकानों एवं संस्थानों में लूट-पाट कर कुछ ना हासिल करने वाले इन लीजेंड्स ने इतिहास को दोहराने के साथ ही मानवीय चरित्र का कीर्तिमान स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई है।

कैमरे में क़ैद हाथों में ब्रा अथवा अंडर गारमेंट्स लिए योद्धा के रोमांच को देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि इतिहास में भी पहली बार मानव सूत से बने वस्त्र से कुछ इसी तरह परिचित हुआ होगा। हालांकि कुछ विशेषज्ञ इन तस्वीरों को ‘लुट में चरखा नफा’ मुहावरे का उदाहरण भी मान सकते हैं। चेहरे पर परम संतोष का भाव के साथ लूट-पाट में सामान प्राप्त करने वाले शांति दूत ओलंपिक खेलों में मेडल हासिल करने जैसा सुख प्राप्त करते हुए देखें गये।

इसी तरह तोड़-फोड़ में घोर आस्था रखने वाले तथा आंदोलन के दौरान टेबल, पर्दा, पीकदान आदि हासिल करने में सफल योद्धाओं के महान कारनामें हो अथवा भूख-प्यास त्याग कर संघर्ष कर रहे शूरवीरों की पीएम आवास पर चिकेन बिरयानी खाकर भूख मिटाने की मार्मिक छवि हो, हाथों में टेलीफोन लिए ग्राह्म बेल के वंशज रुपी वैज्ञानिक मानवों के उपलब्धि की दुर्लभ तस्वीरें भी इस क्रांति से सामने आई हैं।

अथक संघर्ष में थक चुके वीर बांकों के पीएम शयनकक्ष में सुस्ताने से लेकर बिना चुनाव लड़ें सांसदों की कुर्सी पर तशरीफ़ टिका कर सेल्फी लेने वाले क्रांतिकारी युवाओं की तस्वीरों ने आधुनिक इतिहास में दर्ज विभिन्न राष्ट्रों के स्वतंत्रता आंदोलन के लिए संघर्ष करने वाले महान नेताओं की याद दिला दी।

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि भाई चारा कायम रखते हुए शांतिपूर्ण तरीके से शिष्टाचार सहित सत्याग्रह द्वारा परिवर्तन लाकर अद्भुत, अद्वितीय एवं अकल्पनीय इतिहास रचने में इन फाइव-जी युगीन महामानवों की वीरतापूर्ण गाथा ने पौराणिक काल के असुर, ऐतिहासिक बर्बर योद्धाओं और आधुनिक युग के जोम्बी के कार्य कुशलता एवं मानसिक सोच को भी चुनौती देने का सराहनीय काम किया है।