अमरकंटक से डोंगरिया और पंचमुखी बुढ़ा महादेव से भोरमदेव मंदिर तक गुंज रहा है हर-हर महादेव

From Amarkantak to Dongria and Panchmukhi Budha Mahadev to Bhoramdev temple, Har-Har Mahadev is buzzing

रविवार दिल्ली नेटवर्क

रायपुर : पवित्र श्रावण माह का कल चौथा सोमवार है। बीते इस पूरे माह में छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले से लेकर मध्यप्रदेश की अमरकंटक तक बोल-बम, बम-बोल और हर-हर महादेव का गुंजायमान होने लगा है। ऐसी ही नजारा पड़ोंसी जिले बेमेतरा, मुंगेली और राजानांदगांव के सरहदी क्षेत्रों से आने वाले पदयात्रियों और कांवड़ियो में उत्साह और उमंग देखने को मिल रहा है। इस बार अमरकंटक से मां नर्मदा की जल लाने वाले कांवड़ियों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। कांवड़ियो की बढ़ती संख्या को देखते हुए उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा के पहल एवं निर्देश पर ज़िला बोल बम समन्वय समिति और कबीरधाम जिला प्रशासन द्वारा कांवडियों की मूलभूत सुविधाओं, जैसे उनके ठहरने की व्यवस्था, उनके प्राथमिक स्वास्थ्य की व्यवस्था सहित अन्य मूलभूत सुविधा प्रदान किया जा रहा हैं।

उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा के पहल एवं निर्देश पर ज़िला बोल बम समन्वय समिति के सदस्य पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष श्री अनिल ठाकुर, श्री दौवा गुप्ता, श्री सुधीर केशरवानी, श्री निशांत झा अमरकंटक से लेकर कबीरधाम जिले में सावन मास में आने वाले श्रद्धालु और कांवरियों को मुलभूत सुविधाएं देने के लिए लगे हुए है। ज़िला बोल बम समन्वय समिति के सदस्यों ने बताया कि उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा के निर्देश पर अमरकंट से आने वाले कांवरियों के विश्राम के लिए 20 से अधिक स्थानों में विशेष व्यवस्था की गई है। इसके अलावा कवर्धा के ऐतिहासिक भोरमदेव मंदिर के सपीम अलग अलग समाजिक भवन व विशेष वाटर फ्रुप टेंट लगाकर विश्राम शिविर बनाई गई है। श्रद्धालु और कावरियों को मूलभूत सुविधाएं देने के लिए ज़िला बोल बम समन्वय समिति, जिला प्रशासन के पूरा अमला, कोटवार से लेकर प्रशासनिक अधिकारी, नगरीय निकायों के अमले और अन्य सुविधाएं सहित पुलिस के जवान सुरक्षा और यातायात व्यवस्था बनाने में लगे हुए है। अंमरकंटक से लेकर भोरमदेव मंदिर पहुंच तक मार्ग में 15 से अधिक स्थानों पर स्वास्थ शिविर की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा जलेश्वर महादेव डोंगरिया, कवर्धा स्थित पंचमुखी बुढ़ा महादेव मंदिर और भोरमदेव मंदिर के समीप स्वास्थ्य शिविर लगाई जा रही है, जिसमें स्वास्थ्य विभाग की टीम स्टॉप नर्स से लेकर ड्रेसर और चिकित्सकों की विशेष ड्यूटी लगाई गई है। इसके अलावा इस मार्ग में आने वाले सभी स्वास्थ्य केन्द्रों श्रद्धालु एवं कांवरियों को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं।

मृत्युंजय आश्रम में अब तक 25 हजार से अधिक कांवड़ियों, श्रद्धालुओं ने किया निःशुल्क विश्राम और भोजन
प्रदेश के उपमुख्यमंत्री एवं गृह मंत्री श्री विजय शर्मा की नगरानी में कांवड़ियों, श्रद्धालुओं के लिए मृत्युंजय आश्रम में विशेष व्यवस्था बनाई गई है। उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा के पहल पर पवित्र श्रावण मास में अमरकंटक से कवर्धा जलाभिषेक करने वाले कांवड़ियों और श्रद्धालुओं के लिए प्रतिदिन मृत्युंजय आश्रम में निःशुल्क ठहरने और भोजन की व्यवस्था की जा रही हैं। इस भोजन में कांवरियों के लिए दाल-भात-सब्जी से लेकर मीठा जैसे खीर, पुड़ी व हलवे भी निःशुल्क दी जा रही है।

बाबा भोरमदेव मंदिर में 2 लाख से अधिक श्रद्धालुओं का आगमन, हजारों कावरियों ने किया जलाभिषेक
कबीरधाम कवर्धा का नाम जुबां पर आते ही बाबा भोरमदेव मंदिर की प्रतिबिम्ब दिखाई देती है। मैकल पर्वत के तलटली पर पहाड़ियां से घिरा हुआ बाबा भोरमदेव मंदिर का शिवालय वैसे तो पूरे साल भर हर-हर महादेव से गुंजायमान रहता है। लेकिन पवित्र सावन माह का प्रारंभ होते ही यहां पहले सोमवार से हजारों भक्तों और कांवरियों का आने का सिलसिला शुरू हो जाता है। सावन मास के तीन सोमवार से अब तक बाबा भोरमदेव मंदिर में लगभग 02 लाख से अधिक श्रद्धालुओं का आगमन हो चुका है। वहीं हजारों कांवरियों द्वारा बाबा भोरमदेव मंदिर के गर्भ गृह में विराजित शिव लिंग का जलाभिषेक किया जा चुका है। कवर्धा के अलग-अलग बोलबम समिति के कांवरियों द्वारा मध्यप्रदेश के अमरकंटक से मां नर्मदा नदी की पवित्र जल कांवर में लेकर 180 किलोमीटर की जंगल-पहाड़ियों और पथरीलि रास्तों से होते हुए पदयात्रा करते हुए कबीरधाम जिले के हनुमंत खोल से गुजरकर जिले के जलेश्वर महोदव में प्रथम आगमन होता है। यहां हजारों की संख्या में प्रतिवर्ष कावरियों द्वारा जलेश्वर महादेव में जलाभिषेक की जाती है। बोल-बम पदयात्रियों का अगला पड़ाव कवर्धा से 18 किलोमीटर दूर बाबा भोरमदेव मंदिर तक होती है।इसके बाद पदयात्रा करते हुए कवर्धा के प्राचीन पंचमुखी बुढ़ामहोदव पहुंचकर श्रद्धापूर्वक शिव लिंग में जलाभिषेक और पूजा अर्चना की जाती है। यहां हजारों की संख्या में काविरयों द्वारा मां नर्मदा नदी की जल से बाबा भोरमदेव मंदिर में विजारित शिव जी का जलाभिषेक किया जाता है।

कवर्धा को क्यो कहा जाता है छोटा काशी
कहते है कि काशी के कण-कण में भगवान शिव का वास है। मां गंगा पावन तट पर बसे विश्व की धार्मिक राजधानी काशी को शायद इसीलिए मोक्षदायिनी भी कहा जाता है। ऐसी ही काशी की समतुल्यता की झलक छत्तीसगढ़ की कबीरधाम जिले में दिखाई देती है। कबीरधाम जिले कवर्धा शहर में विश्व का एक मात्र पवित्र-पावन पंचमुखी शिव लिंग बुढ़ा महादेव विराजित है। यह स्वमं-भू शिव लिंग है। ऐसी मान्यता है। कवर्धा से महज 18 किलोमीटर की दूरी पर 11वीं शताब्दी की प्राचिन व ऐतिहासिक बाबा भोरमदेव मंदिर का शिवालय है। प्राचीन भोरमदेव मंदिर पहुंचते तक पूरे लगभग 18 किलोमीटर तक कवर्धा की जीवन दायिनी पवित्र सकरी नदी यहां प्रवाहित होती है। वहीं कवर्धा से महज 26 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ग्राम डोंगरिया। डोंगरिया में सकरी नदी की सहायक नदी फोक नदी के तट पर बसा हुआ है। इसी नदी में आदि अनंतकाल से नदी के मध्यम में स्वयं-भू शिव जी का वास है, जिसे जलेश्वर महोदव के नाम से जाना जाता है। आदि अनंत काल से धार्मिक राजधानी काशी सहित अन्य आश्रमों से कवर्धा में दण्डी सन्यासियों का आगमन होता रहा है और कवर्धा के प्राचीन व ऐतिहासिक स्वमं-भू पंचमुखी शिव लिंग में दण्डी सन्यासियों द्वारा विशेष पूजा अर्चना भी की जाती है। देश के अन्य दिव्य ज्योर्तिलिंगों की भांति दण्डी स्वामियों द्वारा दण्ड सहित इस पंच मुखी शिव लिंग बूढ़ामहादेव को प्रणाम किया जाता है। किवदंती अनुसार इसीलिए भी दण्डी सन्यासियों द्वारा कवर्धा नगरी को छोटा काशी की संज्ञा दी जाती है।