जी-20 शिखर-सम्मेलन: रूसी दृष्टीकोण

प्रो. नीलम महाजन सिंह

भारत की राजधानी, नई दिल्ली, जी-20 शिखर सम्मलेन की मेजबानी के लिए तैयार है। इसी बीच एम्बेसडर डेनिस अलीपोव, रूस के भारत में राजदूत ने बहुत भावुकतापूर्ण, रूस की अंतर्राष्ट्रीय विदेश नीति का वर्णन किया है। भारत से डेनिस अलीपोव का दशकों लंबा अनुभव है। डेनिस अलीपोव कैरियर राजनयिक और ‘समर्पित भारत विशेषज्ञ’ हैं। डेनिस अलीपोव को भारत में रूसी राजदूत नियुक्त किया गया, क्योंकि आने वाले समय में रूस की अन्तरराष्ट्रीय नीति को व्याख्यानवित करने का जटिल कार्य उन्हें सौंपा गया है।वे करिअर डिप्लोमैट् हैं। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, इस सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेंगे। रूसी राजदूत की जुझारू अभिव्यक्ति ने उस रेखा का संकेत दिया है जो उनका पक्ष जी-20 शिखर सम्मेलन में आदान-प्रदान के दौरान अपनाएगा, जहां रूसी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव करेंगें। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस सप्ताह की शुरुआत में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत की व शिखर-सम्मेलन में भाग लेने में असमर्थता व्यक्त की क्योंकि वे यूक्रेन में चल रहे “विशेष सैन्य अभियान” में व्यस्त हैं। रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव का कहना है कि ‘बाली घोषणा’ की भाषा, जिसमें यूक्रेन का एकपक्षीय उल्लेख था, को नई दिल्ली में जी-20 देशों की बैठक में ‘सही रूप से व्याख्या करनी होगी’। जी-20 शिखर सम्मेलन से एक सप्ताह पहले, डेनिस अलीपोव ने बहुपक्षीय मंच पर यूक्रेन संकट को सामने लाने के पश्चिमी देशों के प्रयासों के खिलाफ दृढ़ता से कहा कि जी-20 की परंपरा को ध्यान में रखते हुए राजनीतिक मुद्दों को नहीं उठाया जाना चाहिए। “दुर्भाग्य से, जी-20 में भारत की अध्यक्षता ने कुछ देशों पर बहुत मज़बूत दबाव का अनुभव किया है, जिन्होंने रूस की राय में जी-20 के एजेंडे को हाईजैक कर लिया है व यूक्रेनी संकट को शीर्ष मुद्दों में परिवर्तित करने का प्रयास कर रहे हैं। जी-20 को वैश्विक आर्थिक मुद्दों व वित्तीय संकट पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, लेकिन पिछले साल इस समूह के कुछ सदस्यों द्वारा जी-20 के भीतर राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा करने का निर्णय लिया गया था, जो रूस को स्वीकार नहीं है। विदेशी संवाददाता क्लब (एफसीसी) में मीडिया से बातचीत के दौरान राजदूत डेनिस अलीपोव ने कहा, अगर किसी बात पर आम सहमति नहीं बनती है, तो बिना सहमति वाले मुद्दों को हटा दिया जाना चाहिए क्योंकि जी-20 में राजनीतिक मुद्दों पर कभी चर्चा नहीं हुई है। रूसी राजदूत ने कहा कि भले ही जी-20 के अधिकांश सदस्य किसी आइटम का समर्थन करते हों और रूस जैसे कुछ सदस्य उससे असहमत होकर दूर खड़े हों, फिर ऐसा आइटम जी-20 के एजेंडे में नहीं रखना चाहिए। 2022 की बाली घोषणा का ज़िक्र करते हुए उन्होंने रूस की अस्वीकृति व्यक्त की व कहा, “पश्चिम देशों को, बाली के पैरा को बदलने के लिए खुलापन रखना चाहिए, किंतु वे इसे बनाए रखना चाहते हैं”। अलीपोव ने इस बात पर प्रकाश डाला कि रूस ‘न्यायसंगत और समान अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था’ का समर्थन करता है जैसा कि ‘ब्रिक्स और एससीओ समूहों’ (BRICS & SCO) के हालिया विस्तार में परिलक्षित होता है। “भारत का दबदबा बहुत तेज़ी से बढ़ा है व अब पीछे हटने का कोई रास्ता नहीं है। इसे वैश्विक राजनीति, संयुक्त राष्ट्र के संबंध में अपनी वैध आवाज व्यक्त करनी होगी। रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) में भारत की पूर्ण सदस्यता का लगातार समर्थन किया है। ऐसे सभी हालिया घटनाक्रम; ब्रिक्स व एससीओ में; जी-20 में ग्लोबल साउथ की आवाज़ को मज़बूत करते हैं,” राजदूत अलीपोव ने कहा। अलीपोव ने जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए समर्थन व्यक्त किया और कहा कि रूस को उम्मीद है कि शिखर सम्मेलन सफल होगा और अभी तो पीएम नरेंद्र मोदी सरकार ने यूक्रेन युद्ध के समाधान के लिए कोई शांति प्रस्ताव नहीं रखा है। उन्होंने राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के 10-सूत्रीय फॉर्मूले को “अल्टीमेटम के एक सेट के अलावा कुछ नहीं” कहकर खारिज कर दिया, जिसका रूस समर्थन नहीं करेगा। नाटो व यूरोपियन यूनियन (NATO & EU) ही राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की का दुरुपयोग कर अपना हित पूरा कर रहे हैं। एम्बेसडर डेनिस अलीपोव ने दुःख व्यक्त किया कि जब रूस में स्कूल के बच्चों की निर्ममता से हत्या हुई और बच्चों की कब्रें बनाई गईं तब अनेकानेक देश संवेदनहीनता से देखते रहे। रूस के अनेक सैनिक व नागरिकों ने अपनी जानें गवाई हैं। जी-20 की सफलता काफ़ी हद तक उन लोगों की सद्भावना पर निर्भर करती है जो एजेंडे में सर्वसम्मति के मुद्दों पर ज़ोर देते हैं। राजदूत अलीपोव ने कहा, “हमने जी-20 में भारत द्वारा सामने रखे गए एजेंडे की प्राथमिकताओं का दृढ़ता से समर्थन किया है और हमें उम्मीद है कि नतीजे भारत द्वारा सामने रखे गए एजेंडे को प्रतिबिंबित करेंगें”। अलीपोव ने नई दिल्ली व चीन (बीजिंग) दोनों के मास्को के साथ संबंधों का बचाव किया व उन्हें स्वस्थ बताया। ये तर्क दिया कि उनका देश भारत और चीन के बीच शत्रुता की स्थिति में भी भारत के साथ संबंधों को नहीं छोड़ेगा, तो उन्होंने कहा, “हम अपने संबंधों का त्याग कभी नहीं करेंगें। किसी भी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम के मामले में भारत व चीन के बीच, चाहे वह किसी भी तरह का विकासक्रम हो।” अलीपोव ने कहा, “रूस को भारत द्वारा की गई कोई बात पसंद नहीं आ सकती है या भारत रूस के अंदर होने वाली घटनाओं से खुश नहीं हो सकता है, लेकिन भारत-रूस संबंध कभी भी किसी भी भू-राजनीतिक परिवर्तन से प्रभावित नहीं हुए हैं।” गलवान घटना के बाद भारत, चीन के बीच बातचीत “बहुत जटिल” हो गई है, राजदूत अलीपोव। यह भारत व चीन का द्विपक्षीय मुद्दा है, जिसमें रूस हस्तक्षेप नहीं कर रहा है। अलीपोव ने जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए समर्थन व्यक्त किया व कहा कि रूस को उम्मीद है कि शिखर सम्मेलन सफल होगा व साथ ही यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने यूक्रेन युद्ध के समाधान के लिए कोई शांति प्रस्ताव नहीं रखा है। उन्होंने राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के 10-सूत्रीय फॉर्मूले को “अल्टीमेटम के एक सेट के अलावा और कुछ नहीं” कहकर खारिज कर दिया, जिसका रूस समर्थन नहीं करेगा। रूस विश्वशक्ति है परंतु भारत के साथ सर्वदा रूस ने दोस्ती निभाई है। लेखिका के प्रश्न पर कि व्लादिमीर पुतिन, महिलाओं में बहुत प्रिय हैं व दिल्ली नहीं आने पर भारतीय महिलाओं का मन उदास है! इस पर अलीपोव बहुत खिलखिला कर हँसे और कहा कि “अभी आप मेरे व सर्गेई लावरोव से ही प्रसन्नता रखिये, राष्ट्रपति पुतिन अवश्य भारत आयेंगे”! अन्तरराष्ट्रीय कूटनीति एक जटिल विषय है तथा इसके समीकरण बदलते रहते हैं। भारत रूस मित्रता जिन्दाबाद! जी-20 के सभी देशों का भारत में स्वागत व अभिनंदन है।

(वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक, अंतरराष्ट्रीय सामयिक विशेषज्ञ, दूरदर्शन व्यक्तित्व, मानवाधिकार संरक्षण सॉलिसिटर व परोपकारक)