दिल्ली में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया गंगा उत्सव् 2023

विनोद तकियावाला

नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा 4नवम्बर को गंगा उत्सव व नदी महोत्सव 2023 का भव्य आयोजन किया गया।कार्यक्रम का उद्घाटन जल संसाधन,नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग,जल शक्ति मंत्रालय की सचिव देबाश्री मुखर्जी और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन केमहानिदेशक जी अशोक कुमार की उपस्थिति में किया गया।इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के कार्यकारी निदेशक (परियोजनाएं)/डीडीजी नलिन कुमार श्रीवास्तव, कार्यकारीनिदेशक(तकनीकी)अनुप कुमार श्रीवास्तव, कार्यकारी निदेशक(प्रशासन) एस.पी.वशिष्ठ शामिल रहे।

उत्सव के हिस्से के रूप में,लोगों और नदियों के बीच गहरे संबंध को बढ़ावा देने के साथ-साथ नदी कायाकल्प के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विविध गतिविधियों का आयोजन किया गया।गंगा उत्सव 2023 संगीत,नृत्य,ज्ञान, संस्कृति और संवाद का एक जीवंत मिश्रण था।गंगा उत्सव 2023 की शुरुआत दीप प्रज्वलन और नमामि गंगे गान के साथ हुई।कार्यक्रम में पंडित अजय प्रसन्ना द्वारा बांसुरी वादन किया गया,जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।वहीं, भारतंडेय ग्रुप द्वारा प्रस्तुत मनमोहक “यमुना गीत” दर्शकों का मन मोह लिया। राग नृत्य कला मंच उत्तर प्रदेश द्वारा प्रस्तुत पारंपरिक लोक नृत्य ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।कार्यक्रम में जीत परमाणिक द्वारा “नमामि गंगे” गीत की एक मनमोहक प्रस्तुति की गई।इस कार्यक्रम में एनबीटी के सहयोग से नमामि गंगे पत्रिका के 33वें संस्करण,नई चाचा चौधरी श्रृंखला और गंगा पुस्तक परिक्रमा पर आधारित वॉयज ऑफ गंगा बुकलेट का विमोचन भी किया गया।

गंगा पुस्तक परिक्रमा के दूसरे संस्करण को भी आज देबाश्री मुखर्जी और जी अशोक कुमार ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। गंगा पुस्तक परिक्रमा 7नवंबर 2023 को गंगोत्री से अपनी 3 महीने लंबी यात्रा शुरू करेगी और गंगा नदी के तट पर स्थित सभी शहरों और कस्बों -उत्तरकाशी,ऋषिकेश,हरिद्वार,बिजनोर,मेरठ,अलीगढ,फर्रुखाबाद, कानपुर,प्रयागराज,मिर्ज़ापुर, वाराणसी,छपरा,पटना, बेगुसराय,सुल्तानगंज,भागलपुर, साहिबगंज,बहरामपुर, कोलकाता और हल्दिया से गुजरते हुए 11 जनवरी 2024 को गंगासागर पर अपनी यात्रा ख़त्म करेगी।

गंगा उत्सव 2023 का समापन पंडित सिद्धार्थ बनर्जी के फ्यूजन संगीत की मनमोहक प्रस्तुति के साथ हुआ।जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग,जल शक्ति मंत्रालय की सचिव देबाश्री मुखर्जी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि गंगा केवल एक नदी नहीं है, बल्कि एक गहरी भावना है जो हम सभी के साथ जुड़ी हुई है। उन्होंने विशेष रूप से नई पीढ़ी के सहयोग से कायाकल्प प्रयासों में हुई उल्लेखनीय प्रगति पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने हमारी नदियों के गहरे सांस्कृतिक महत्व पर जोर देते हुए गालिब और यमुना के बीच के खूबसूरत संबंधों पर भी बात की।उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नदियों का संरक्षण न केवल सरकार की बल्कि हम सभी की एक साझा जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने हमारे देश के सतत विकास में जल की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया है।जल निकायों को दूषित करने वाले ठोस अपशिष्ट के निष्तारण की तत्काल आवश्यकता पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि हममें से प्रत्येक को आगे आकर अपनी नदियों के संरक्षण में योगदान देना चाहिए। उन्होंने जल निकायों में सीवेज के प्रवाह और प्लास्टिक अपशिष्ट के नियंत्रण पर जोर दिया।जल संरक्षण उनके संबोधन का एक अन्य केंद्र बिंदु था, क्योंकि उन्होंने नदियों के पुनर्जीवन में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने सामूहिक कार्रवाई और सहयोग का आह्वान करते हुए कहा कि जल संरक्षण और नदी पुनर्जीवन मौलिक जिम्मेदारियां हैं जिन्हें हम सभी साझा करते हैं। उन्होंने नदी पुनर्जीवन के नेक काम में जन आंदोलन(लोगों का आंदोलन) की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक श्री जी अशोक कुमार ने कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी लोगों का गर्मजोशी से स्वागत किया। इस महत्वपूर्ण अवसर पर उन्होंने भारत में गंगा नदी के महत्व पर बात की। वर्ष 2008 में भारत की राष्ट्रीय नदी घोषित होने के बाद हर वर्ष 4 नवंबर को गंगा उत्सव का आयोजन किया जाता है।उन्होंने कहा कि हर वर्ष यह शुभ दिन बच्चों सहित विभिन्न हितधारकों को उत्सवों और गतिविधियों में एकजुट रखता है। इस दौरान प्रधानमंत्री ने देश के कोने-कोने से आए सरपंचों को संबोधित करते हुए हमारी साझा विरासत में गंगा की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।