
रविवार दिल्ली नेटवर्क
जिनेवा (स्विट्ज़रलैंड) : इंडिया वाटर फाउंडेशन (IWF) ने जिनेवा स्थित पैले दे नेशंस के बाहर ब्रोकन चेयर स्क्वायर में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 60वें सत्र के दौरान एक विशेष फोटो प्रदर्शनी का आयोजन किया। इस प्रदर्शनी में भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र की अद्भुत परिवर्तनकारी यात्रा को उजागर किया गया, जिसमें यह दिखाया गया कि किस प्रकार सीमित संसाधनों, अलगाव और नाज़ुक पारिस्थितिकी तंत्र जैसी चुनौतियों के बावजूद यह क्षेत्र स्थानीय रूप से अनुकूल, सतत विकास मॉडल को अपनाकर शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत ढांचा और आजीविका के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है।
इंडिया वाटर फाउंडेशन के अध्यक्ष और संस्थापक डॉ. अरविंद कुमार ने कहा,
“पिछले डेढ़ दशक में इस क्षेत्र ने अद्वितीय प्रगति की है। उदाहरण के लिए सिक्किम भारत का पहला पूर्णत: जैविक राज्य बना। मेघालय में कनेक्टिविटी में काफी सुधार हुआ है। कुछ ही दिन पहले मिजोरम में रेल पहुंची है।”
उन्होंने कहा, “पिछले 10–15 वर्षों में कृषि, जल संसाधन, आजीविका, उद्यमिता जैसे हर क्षेत्र में विकास हुआ है और मेघालय अब मसालों का प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है।”
डॉ. कुमार ने आगे कहा,
“इस प्रदर्शनी के माध्यम से हमारा उद्देश्य यह दिखाना है कि भारत वैश्विक दक्षिण (Global South) में कैसे योगदान दे रहा है, ताकि अन्य देश भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में हो रहे परिवर्तन को देख सकें।”
इस फोटो प्रदर्शनी में पूर्वोत्तर भारत को देश के अन्य हिस्सों से बेहतर ढंग से जोड़ने और दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ कनेक्टिविटी को सुदृढ़ करने के प्रयासों को भी दिखाया गया। प्रदर्शनी में सशक्तिकरण, संघर्षों से उबरने और चुनौतियों से अवसरों की ओर बढ़ते कदमों की कहानियों को खूबसूरती से दर्शाया गया।
इंडिया वाटर फाउंडेशन की मुख्य कार्यकारी डॉ. श्वेता त्यागी ने कहा,
“पिछले दशक में पूर्वोत्तर भारत ने अभूतपूर्व परिवर्तन देखा है। जो राज्य पहले देश के हाशिए पर माने जाते थे, वे अब मुख्यधारा में आकर विकास की दिशा तय कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “पहले इन राज्यों को सीमित कनेक्टिविटी, रेल सुविधाओं की कमी, हवाई यात्रा में मुश्किलें और कमजोर सड़कों के लिए जाना जाता था। लेकिन आज स्थिति तेजी से बदल रही है।”
इस फोटो प्रदर्शनी से पहले इंडिया वाटर फाउंडेशन ने एक उच्च स्तरीय नीति संवाद (Policy Dialogue) का आयोजन भी किया, जिसमें संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस संवाद में यह बताया गया कि किस तरह पूर्वोत्तर भारत ने हाशिए से मुख्यधारा की ओर अपनी विकास यात्रा तय की।
यह पूरा कार्यक्रम पूर्वोत्तर भारत की दृढ़ता, नवाचार और समावेशी व सतत विकास के प्रति उसकी प्रतिबद्धता का प्रतीक बना।