- आगामी माह जनवरी में राजस्थान एवं मध्य प्रदेश और केंद्र सरकार समझौता ज्ञापन पर करेंगे हस्ताक्षर
- केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत के हस्तक्षेप पर दिल्ली में हुई राजस्थान-मध्यप्रदेश के अधिकारियों की बैठक
- महत्वाकांक्षी परियोजना में पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के लिए पेयजल,सिंचाई और औद्योगिक इलाकों के लिए जल आपूर्ति व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी
गोपेंद्र नाथ भट्ट
नई दिल्ली : राजस्थान में पिछलें विधानसभा चुनाव और उसके पूर्व के चुनावी मुद्दों में पक्ष प्रतिपक्ष के मध्य प्रमुखता के साथ चर्चा में रही पूर्वी राजस्थान केनाल परियोजना (ईआरसीपी) अब सिरे पर चढ़ती नज़र आ रही है।
प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होते ही अपने वायदे के अनुसार केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत के हस्तक्षेप पर बुधवार को नई दिल्ली में राजस्थान-मध्यप्रदेश की नदियों को जोड़ने की महत्वाकांक्षी परियोजना को आगे बढ़ाने और ईआरसीपी-पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना के संशोधित प्लान पर आधारित समझौता ज्ञापन को अंतिम रूप देने के लिए राजस्थान एवं मध्यप्रदेश दोनों प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। बैठक में सेंट्रल वाटर कमीशन और नेशनल वाटर डेवलपमेंट एजेंसी के अधिकारी भी मौजूद थे।
इस बैठक में पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के लोगों के सूखे कंठों एवं खेतों की प्यास बुझाने और सिंचाई तथा औध्योगिक ज़रूरतों के लिए पानी की आपूर्ति का कार्य युद्धस्तर पर शुरू कराने के लिए परियोजना की तकनीकी ख़ामियों को सुधारने के लिए आगे बढ़ने का फैसला किए जाने के साथ ही नए वर्ष जनवरी में दोनों राज्य और केंद्र सरकार के मध्य इस सम्बन्ध में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने का अहम निर्णय भी लिया गया।
केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के निर्देश पर जलशक्ति मन्त्रालय के सचिव देबाश्री मुखर्जी ने राजस्थान और मध्य प्रदेश के अधिकारियों की यह महत्वपूर्ण बैठक बुलाई थी। बैठक में मुख्य रूप से ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी)-पार्वती-कालीसिंध-चंबल (पीकेसी) लिंक परियोजना के लिए दोनों प्रदेशों के मध्य होने वाले समझौता ज्ञापन को अंतिम रूप देने पर विस्तार से चर्चा हुई और ड्राफ्ट को अंतिम दिया गया। अब इस बात की प्रबल संभावना है कि आगामी जनवरी में दोनों राज्य और केंद्र सरकार समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेंगे।
बैठक में गत 27 सितंबर को हुई बैठक में तैयार किए गए समझौता ज्ञापन के ड्राफ्ट पर भी विस्तार से विचार विमर्श किया गया।
इस महत्वाकांक्षी लिंक परियोजना से ना केवल पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के निवासियों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था होगी, बल्कि सिंचाई और औद्योगिक इलाकों के लिए भी पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी। इस परियोजना से मध्य प्रदेश के मालबा और चंबल रीजन के 2.8 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई भी सम्भव हो सकेंगी। यही नहीं, संशोधित प्लान की डीपीआर भी अगले साल मार्च महीने तक तैयार कर लिए जाने की संभावना है।
उल्लेखनीय है कि भाजपा की पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के कार्यकाल में राजस्थान के 13 जिलों जयपुर, अलवर, झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, दौसा, करौली, भरतपुर और धौलपुर के लिए 37 हज़ार 247 करोड़ रु की जीवनदायिनी पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) बनाई गई थी। ईआरसीपी परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने और इसे अमलीजामा पहनाने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत के मध्य लम्बे समय से नौकझौक तथा आरोप-प्रत्यारोप चले और गहलोत सरकार ने केन्द्र से वांछित स्वीकृति नही मिलने पर परियोजना को अपने बलबूते पर क्रियान्वित करने का फैसला लेकर प्रदेश के बजट में प्रावधान रख करोड़ों रु के निर्माण कार्य शुरु कराये।
पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत और केन्द्रीय मंत्री शेखावत दोनों पिछले लंबे समय से ईआरसीपी को लागू कराने के लिए अपने अपने स्तर पर प्रयासरत रहे हैं लेकिन परियोजना की व्यावहारिकता पर विचार भिन्नता के कारण केन्द्र और राज्य कभी इस पर एक मत नही हों पायें।
केन्द्रीय मन्त्री शेखावत ने विधान सभा चुनाव के दौरान कहा था कि राजस्थान में भाजपा सरकार बनते ही इस प्रोजेक्ट को प्राथमिकता के आधार पर लागू कराया जाएगा। शेखावत का कहना है कि उन्होंने ईआरसीपी-पीकेसी लिंक प्रोजेक्ट को पांच प्राथमिकता वाले कार्यों में भी शामिल कराया था, लेकिन तत्कालीन गहलोत सरकार के हठ के कारण इसे मूर्त रूप नहीं दिया जा सका लेकिन अब चुनाव में किए वायदे के अनुसार राजस्थान और मध्यप्रदेश के लाखों निवासियों को डबल इंजन सरकार का फायदा मिलेगा।