‘खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे’

ओम प्रकाश उनियाल

आतंकियों की धरती पाकिस्तान के हालात आज एक भिखारी की तरह हो चुके हैं। वहां की अर्थव्यवस्था इस कदर लड़खड़ा चुकी है कि वह अन्य देशों के आगे भिखारियों की तरह मदद के लिए अपने हाथ पसार रहा है। ‘पाक’ के मायने पवित्र होता है। मगर इस देश में सब उल्टा है। ‘पाक’ की जगह ‘पाप’ का संबोधन उचित रहेगा। आतंकियों को पनाह देने वाला, आतंक का गढ़ पाक आज खुद ही अपने किए की सजा भुगत रहा है। मदद के लिए कोई देश तैयार नहीं है। पाक ने भारत की धरती को हमेशा खून से रंगने एवं दहशत फैलाने का काम किया। अभी भी भारत में दहशत फैलाने की साजिश रचता ही रहता है। जिन आतंकी सरगनाओं को पाक ने पनाह दी हुई वे ही एकदिन पाकिस्तान में तबाही लाएंगे। आतंकी घटनाएं पुलवामा, मुंबई की हो या अन्य, भारत कभी नहीं भूल सकता। पाक द्वारा समय-समय पर भारत को दिए गए जख्मों का बदला भारत पूरी तरह लेगा ही। भारत-पाक युद्ध 1971, सर्जिकल स्ट्राइक का आकलन तो पाक ने जरूर किया होगा। उसने कुछ न कुछ सबक लिया ही होगा। भारत की सैन्य-शक्ति के आगे भारत ने पाक को सुधरने के अनेकों अवसर दिए। फिर भी उसने कायरना हरकतें की। आज वर्तमान हुक्मरान भी मतलब के लिए भारत का गुणगान कर रहे हैं। भारत एक ऐसा देश है जिसकी पूरे विश्व में तूती बोल रही है। यह पाक को भी पता है कि यदि भारत बदला लेने पर उतरेगा तो पाक की धरती को क्षण में कब्रगाह में तब्दील कर देगा। तब चीन जैसा देश जो पाक पर नजर गड़ाए हुए है उसका साथ नहीं देगा। चीन पर पाक अति विश्वास करता है। लेकिन जो देश आर्थिक संकट के इस दौर में भी अपने हाथ पीछे खींचे हुए है उससे भला युद्ध जैसी स्थिति में क्या अपेक्षा की जा सकती है? अब पाकिस्तान अपनी गलत नीतियों के जाल में फंस चुका है। यदि उसकी नीतियां और नीयत शुरु से ही साफ होती तो आज हरेक के आगे घुटने न टेकने पड़ते। पाक के राजनैतिक दलों को अपने देश से आतंकियों को उखाड़ फेंकने की पहल करनी चाहिए। मगर क्या यह संभव होगा। या फिर ‘खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे’ वाली कहावत उस पर खरी उतरती रहेगी है?
-ओम प्रकाश उनियाल