गोदिया पेपर

Godia Paper

राजेन्द्र कुमार सिंह

अभी हाल-फिलहाल देश में ब्रांड गोदिया का चलन इस कदर बढ़ गया है कि लोग इस पर गदर मचाना शुरू कर दिए हैं।जीते-जागते सबूत मिलते ही उनके चेहरे पर शर्म मार्का भभूत मलते हुए चल रहे हैं।फिर भी यह बेशर्म बनकर इधर-उधर उछल कूद मचाते हुए चल रहे हैं,टहल रहे हैं।

गोदी मीडिया की तरह अभी-अभी गोदिया पेपर का दौर शुरू हुआ है या लॉन्च हुआ है।जिस तरह गोदी मीडिया है इसी लिंक पर गोदी पेपर शुरू हो गया है।यदिआप इस पर गौर करें तो मालमत्ता रूपी भत्ता पाकर सत्ता का गुण गाने के लिए अपना भाग्य आजमा रहे हैं।बढ़िया लेयर वाली मलाई खा रहे हैं।एक तो गोदी मीडिया की तरह गोदिया पेपर भी सत्ता पक्ष के साथ सटा हुआ बीमार रोगी बन गया है।

मैं अपनी अप्रकाशित रचनाओं को ईमेल से भेजकर खेल को समझने जानने की कोशिश किया।क्योंकि मेरी जो भी रचनाएं होती है सत्ता पक्ष की क्रियाकलापों से सामंजस्य बैठाकर नहीं चलती।मेरी रचनाएं सरकार की खामियां उनकी नाकामियों को उजागर करने वाली धारदार होती है।ऐसा विपक्ष वाले कहते हैं , रचनाएं पढ़कर बताते हैं।लेकिन मैं किसी पक्ष में रहकर नहीं चलता निष्पक्ष होकर काम करता हूं।क्योंकि हमेशा से जो खामियां देखा अपने रचनाओं के माध्यम से उसे उजागर किया।

मेरी रचनाएं कितनी भी अच्छी वह उम्दा किस्म की क्यों न हो कुछ ब्रांड गोदिया पेपर उसे छापने की जहमत नहीं उठाते।उनको ऐसा लगता है कि सब ठीक है लेकिन रचनाओं में रनिंग सरकार का छौंक मारा गया है।यदि छाप भी दूं तो जो मलाई खिला रहे हैं कहीं उनकी नौकरी से विदाई ना कर दे।क्योंकि आज इस तरह का खेला भरपूर मात्रा में देखा जा रहा है।इसलिए कभी-कभी पेपर वाले बड़े महोदय रचनाओं को उदय होने के पहले ध्वनी भ्रमण यंत्र के द्वारा रचनाओं में सत्ता पक्ष के खामियों के बू आने की षड्यंत्र पर कटिंग करने का हवाला देकर रचनाओं का दिवाला करने की अनुमति मांग रहे थे।और मेरा नकारात्मक जवाब सुन वह दंग रह गए।उसे लगा की रचनाओं पर मानदेय के वरीयता को देखकर मान जाएगा।लेकिन मैं क्यों ऐसा करनेवाला।

आज मुझको बड़े-बड़े अखबार जिनको पैसा बटोरने का बुखार सवार हुआ है वह भला अपने व्यवहार में कहां से सुधार लाएंगे।

एक महोदय ने तो इतना तो कह दिया-‘पेपर की गाड़ी सत्ता पक्ष के चक्का या पेट्रोल पर चलती है।इसलिएआलेख ऐसा हो उसमें से मीनमेख न निकले।लेकिन आपका आलेख तो इतना धारदार होता है कि जाकर सीधे वार करता है।मुझे नौकरी से प्यार है,आपका क्या विचार है।आलेख को चेंज कर रेंज को विपक्ष की तरफ क्यों नहीं मोड़ते हो।फायदा-ही-फायदा है।इसलिए कायदा बदलना होगा।

आज मैंने समझौता नहीं किया।आज बड़े-बड़े गोदी पेपर ब्रांड पैसे के आड़ में झूठ फैलाने का कांड कर ब्रह्मांड को शर्मसार करते हुए चल रहे हैं।