गोदरेज फूड ट्रेंड्ज़ रिपोर्ट 2025 में मौसमी स्वाद, खाने की कहानियां और पारंपरिक रसोई की वापसी पर रोशनी

Godrej Food Trends Report 2025 highlights seasonal flavours, food stories and the return of traditional kitchens

रविवार दिल्ली नेटवर्क

गोदरेज विक्रोली कजि़ना ने फूड थियेटर के अनोखे अनुभव के ज़रिए पेश किया रिपोर्ट का आठवां संस्करण

मुंबई: मंच सजा, परदा उठा और खाने का भविष्य सबके सामने आ गया। गोदरेज विक्रोली कजि़ना ने मुंबई में बेहद अनोखे अंदाज़ में ‘गोदरेज फूड ट्रेंड्ज़ रिपोर्ट 2025’ (जीएफटीआर) का आठवां संस्करण लॉन्च किया। इस बार लॉन्च किसी आम प्रस्तुति की तरह नहीं, बल्कि फीस्‍ट फॉर द फ्यूचर नामक एक अनूठे फूड थिएटर परफॉर्मेंस के ज़रिए किया गया। इस साल की थीम थी – ‘सीज़न्स’, जिसे भाषणों या स्लाइडों के बजाय कहानियों, ह्यूमर और इंद्रियों को जगाने वाले नाट्य अनुभव के ज़रिए पेश किया गया। इसमें खाने को यादों, पहचान और भावनाओं के रूप में सराहा गया।

इस रिपोर्ट में 190 से ज़्यादा फूड एक्सपर्ट्स — जैसे कि शेफ, न्यूट्रिशनिस्ट, मिक्सोलॉजिस्ट, फूड राइटर और उद्यमियों — की राय शामिल है। 2025 एडिशन भारत में बदलते खान-पान के ट्रेंड्स को गहराई से समझाता है। रिपोर्ट में 82% विशेषज्ञों ने मौसमी और स्थानीय उपज के प्रति उपभोक्ताओं की बढ़ती रुचि को रेखांकित किया है। यह रुझान सिर्फ़ फाइन डाइनिंग तक सीमित नहीं, बल्कि घर के खाने तक असर दिखा रहा है। यह ‘अपने समय और जगह के मुताबिक खाने’ की वापसी का संकेत है।

इस थीम पर बोलते हुए, गोदरेज इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड और सहयोगी कंपनियों की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर और चीफ ब्रांड ऑफिसर, तान्या दुबाश ने कहा, “हमारे लिए गोदरेज इंडस्ट्रीज़ ग्रुप में खाना सिर्फ़ पेट भरने का ज़रिया नहीं, बल्कि संस्कृति, पहचान, यादें और संभावनाएं भी है। यही सोच हर साल बनने वाली गोदरेज फूड ट्रेंड्ज़ रिपोर्ट को दिशा देती है।

2018 से अब तक 2,000 से ज्यादा फूड एक्सपर्ट्स की मदद से इस रिपोर्ट ने हमारे बदलते खानपान की नब्ज़ को पकड़ा है — फिर चाहे वह सोच-समझकर खाना हो, बचपन की रसोई की यादें हों या फिर देसी अवयवों की वापसी।

आज ये रिपोर्ट केवल जानकारी नहीं देती, बल्कि नए प्रोडक्ट्स, मेनू और खाने की कहानियों को गढ़ने का एक रणनीतिक जरिया बन चुकी है।

इस साल हमने ‘मौसमीपन’ को थीम बनाया है। जैसे-जैसे दुनिया प्रामाणिकता और टिकाऊ विकल्पों की तरफ लौट रही है, वैसे-वैसे मौसम के हिसाब से खाना — जो पहले हमारी आदत में था — अब फिर से चलन में आ रहा है।”

गोदरेज फूड्स लिमिटेड के सीईओ अभय पर्नेकर ने कहा, “गोदरेज फूड्स लिमिटेड की ओर से हमें गर्व है कि हमने विक्रोली कजि़ना के साथ मिलकर गोदरेज फूड ट्रेंड्ज़ रिपोर्ट 2025 को इतने प्रभावशाली और सांस्कृतिक अंदाज़ में पेश किया है। एक ऐसी फूड कंपनी के रूप में, जो भारतीय रसोईघरों से गहराई से जुड़ी है, हमारे लिए उभरती उपभोक्ता पसंद को समझना बेहद जरूरी है। यह हमारी इनोवेशन की प्रक्रिया—चाहे वह नए प्रोडक्ट्स हों या ब्रांड की कहानी कहने का तरीका—का आधार बनता है।

जीएफएल में यह साझेदारी हमें न सिर्फ़ आगे रहने में मदद करती है, बल्कि हमें भारत की समृद्ध पाक विरासत को सम्मान देने और लोगों को जानकारी व प्रेरणा देने के अपने मकसद को और मज़बूती से पूरा करने में भी सहयोग देती है।”

क्रीमलाइन डेयरी प्रोडक्ट्स लिमिटेड के सीईओ भूपेंद्र सूरी ने कहा, “डेयरी कोई साधारण सामग्री नहीं, बल्कि शुद्धता का प्रतीक और हमारी रसोई परंपराओं की आत्मा है। क्रीमलाइन डेयरी प्रोडक्ट्स में हमें इस परंपरा को निभाने और यह सुनिश्चित करने पर गर्व है कि हमारी हर पेशकश उसी भरोसे और पोषण को कायम रखे, जिसे भारतीय परिवार पीढ़ियों से संजोते आए हैं। विक्रोली कजि़ना और गोदरेज फूड ट्रेंड्ज़ रिपोर्ट 2025 के साथ जुड़ना हमारे लिए सौभाग्य की बात है, क्योंकि यह साझेदारी प्रामाणिकता और सोच-समझकर खाने की संस्कृति को बढ़ावा देती है। यह न केवल खाने के सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित करती है, बल्कि आधुनिक जीवनशैली में डेयरी की भूमिका पर भी गंभीर चर्चा को आगे बढ़ाती है।”

2025 एडिशन के साथ, गोदरेज विक्रोली कजि़ना ने खान-पान को देखने और समझने का एक नया मानक स्थापित किया है। यह सिर्फ़ खाने पर बात करने तक सीमित नहीं, बल्कि उसके सामाजिक और भावनात्मक मायनों से गहराई से जुड़ने की कोशिश भी है।

जब ‘द फ्यूचर फ Feast’ का परदा गिरा, तो एक बात बिल्कुल साफ़ थी—भारत में खाने का भविष्य जितना भावुक और विचारशील है, उतना ही रंगमंचीय (नाटकीय) भी।