सीता राम शर्मा ‘चेतन’
बीते आठ वर्षों में इस दुनिया में यदि कोई सबसे बड़ा और अच्छा परिवर्तन आया है तो वह है भारत का दुनिया के मानचित्र पर एक नए रंग, ओज और विश्वास के साथ उभरना, निखरना और चमकना । स्थापित होना । व्यतीत स्वर्णिम इन आठ वर्षों का यह सच दुनिया के कुछ लोग या देश स्वीकार करें ना करें, कम से कम सवा सौ करोड़ भारतीयों के साथ दुनियाभर के अरबों लोग तो अंतर्मन और विवेक से यह स्वीकार करते ही हैं । इस सच का दायरा, लाभ और इसकी वैश्विक स्वीकार्यता आने वाला समय खुद सिद्ध कर देगा, इसमें भी कोई संदेह नहीं है । संस्कारित, समृद्ध और शक्तिशाली होते भारत से सिर्फ भारतीयों को ही नहीं पूरी दुनिया को एक सभ्य, आदर्श, मानवीय और सच्चे मायने में समृद्ध, आधुनिक और शक्तिशाली व्यवस्था मिलेगी, इसमें किसी को अंश मात्र भी कोई संदेह नहीं होना चाहिए । अब बात भारत को तेजी से बदलते, आगे बढ़ाते उस महापुरुष, कर्मवीर और महान राष्ट्रभक्त की, जिसके नेतृत्व, अथक प्रयास, चिंतन, श्रम, और समर्पण से यह बदलाव संभव हुआ है । आया है । जारी है और आगे भी रहने की संभावना है । वह नाम अपने काम से आज दुनियाभर भर में लोकप्रिय है, जिसे लोग बहुत आदर, प्रेम और श्रद्धा से मोदी कहते हैं । 2014 के पहले के एक दशक की युपीए सरकार ने जिस तरह इस देश की व्यवस्था और इसके मान सम्मान का बंटाधार किया था, वह आपातकाल के बाद स्वतंत्र भारत का सबसे खराब और शर्मनाक इतिहास है । 2014 में अपने नेतृत्व से गुजरात को समृद्ध और विकसित राज्य बना चुके मोदी का जब दिल्ली अर्थात केंद्र में आगमन हुआ तब किसी ने यह कल्पना भी नहीं की थी कि भारत इतनी जल्दी, इतनी तेजी से, इतनी ताकत के साथ ना सिर्फ अपने आपको बदलेगा बल्कि दुनियाभर में अपने खोए सम्मान को वापस पाकर अपनी प्रतिष्ठा को उतनी ऊंचाई पर ले जाएगा, जहां वह आज है । मोदी या भारत के संदर्भ में लिखी कही जाने वाली ऐसी हर बात मनगढ़ंत या कोरी कल्पना नहीं शत-प्रतिशत सिद्ध सत्य है, जिसे हर भारतवासी के साथ दुनियाभर के लोग खुले दिल और दिमाग से स्वीकार कर रहे हैं । घोर संकट, आपदा और त्रासद विपरीत परिस्थितियों में भी मनुष्य चाहे तो कैसे त्वरित अपनी या अपने देश समाज की तकदीर और तस्वीर बदल सकता है, यह व्यतीत पिछले आठ वर्षों में भारतीय नेतृत्व ने सिद्ध कर दिखाया है । निःसंदेह यह मोदी के बेहतर और शानदार नेतृत्व का कमाल है । घर के भीतर बाहर की स्वच्छता से लेकर, देश समाज के सांस्कृतिक, सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक, वैधानिक और वैज्ञानिक विकास की आठ वर्षीय यह भारतीय यात्रा अद्भुत, अविश्वसनीय, उत्साहवर्धक और गर्वित करने वाली है ! इन आठ वर्षों में भारत सचमुच हर सच्चे भारतीय के साथ विकास और विश्वास से परिपूर्ण हुआ है, इसमें संदेह नहीं है । जिन्हें अविश्वास या संदेह है, वे भारतीय भारत के लिए सबसे बड़े संकट और चुनौति हैं, यह एक देश के रूप में देश की केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के साथ राष्ट्रीय व्यवस्था के जिम्मेवार हर क्षेत्र, हर विभाग, हर अधिकारी, हर कर्मचारी और हर भारतीय को समझने की जरूरत है । गौरतलब है कि विधायिका हो या कार्यपालिका, न्यायपलिका हो खबरपालिका सबके सामने आज सबसे बड़ा संकट ऐसे कुछ लोग, समूह और संस्थान हैं जो देश की तेजी से बदलती हुई इस व्यवस्था और विकास से घबराए हुए हैं । आए दिन सुधारात्मक नीतियों और कार्यों के विरोध में बेवजह बवाल कर रहे हैं । इनके द्वारा आए दिन लोकतंत्र और मानवाधिकारों की आड़ में षड्यंत्रकारी धरने-प्रदर्शनों का कुत्सित और पापी खेल जारी है । ऐसे कई लोग और समूह असामाजिक, अपराधी, अलगाववादी, आतंकवादी और षड्यंत्रकारी वेश में अपनी अमानवीय, अराजक, विघटनकारी, राष्ट्रघाती, काली करतूतों को अंजाम देने का हर संभव प्रयत्न कर रहे हैं । जिसे देश के चारों स्तंभ को बहुत गंभीरता से लेने की जरूरत है । मोदी या भाजपा सरकार के आठ वर्षों के उल्लेख या विश्लेषण में इनका जिक्र इसलिए बहुत जरूरी है कि राष्ट्रीय परिदृश्य में पिछले शानदार इन आठ वर्षों में जो कुछ दाग धब्बे दिखाई देते हैं, उनमें इनकी मुख्य भूमिका है, जिस पर बात और विचार किए बिना प्रथम दृष्टया मोदी और उनके नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की हर प्रशंसा गलत, इकतरफा और चापलूसी भरी दिखाई देगी । अब बात मोदी और उनकी सरकार की कमियों की, तो ईमानदार कटू विश्लेषण और आलोचना के महत्व की दृष्टि से इस सत्य को बहुत सहजता, सरलता और सीख के साथ स्वीकार करना होगा कि मोदी सरकार ने जिस एक क्षेत्र में बहुत ज्यादा उदासीनता और गैर जिम्मेवारी का काम किया है, जिसे राष्ट्रीय दायित्वहीनता, अपराध या छल भी कहा जा सकता है, वह राजनीतिक भ्रष्टाचार का क्षेत्र है । कहने या देने को मोदी या उनकी सरकार त्वरित यह तर्क कह और दे सकती है कि उसके इस आठ वर्षीय शासनकाल में उस राजनीतिक भ्रष्टाचार का कोई बड़ा केस सामने नहीं आया है, जिसके बूते वह 2014 में केंद्रीय सत्ता में आई थी, पर यहां उसे सबसे पहले जवाब उस भ्रष्टाचार का देना चाहिए, जिसके खिलाफ हल्ला कर वह सत्ता में आई थी । 2014 से पहले के दस वर्षीय शासनकाल में तब की युपीए सरकार ने जो भ्रष्टाचार किए थे, जिन पर भाजपा ने खूब प्रचार किया था, उसके कितने दोषियों को मोदी सरकार ने सजा दिलाई ? उस दौरान हुए भ्रष्टाचार द्वारा गबन किया गया कितना राष्ट्रीय धन इस सरकार के प्रयास से वापस राष्ट्रीय खजाने में आया ? इसने राजनीतिक भ्रष्टाचार को समूल समाप्त करन के कौन से प्रयास किए ? कदम उठाए ? सुधार किए ? सख्त नियम और कानून बनाए ? यह जानना, समझना और पूछना बहुत जरूरी है । सर्वविदित है कि अनगिनत गैर जरूरी कानूनों को खत्म करती या करने की बात करती अथवा कुछ क्षेत्र के लिए जरूरी कानून बनाती मोदी सरकार ने देश की इस सबसे बड़ी बीमारी, इस सबसे बड़े कोढ़ से मुक्ति दिलाने का कोई प्रभावी प्रयास नहीं किया ! ना ही पुराने भ्रष्टाचारियों के विरूद्ध कोई सख्त कार्रवाई की गई ! ना ही पुराने किसी बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ ! रही बात फिलहाल भ्रष्टाचार ना होने देने की तो केंद्र के अधीनस्थ भाजपाई झारखंड सरकार पर भ्रष्टाचार के कई मामले अब सामने आ रहे हैं ! कई पर तो उस शासनकाल के दौरान ही उस सरकार का महत्वपूर्ण हिस्सा रहे मंत्री ने ही खुलकर आवाज उठाई थी । पर क्या हुआ ? भ्रष्टाचार के साथ ही मुख्य रूप से यहां चर्चा उस सांसद आदर्श ग्राम योजना की भी करना जरूरी है, जो ग्राम प्रधान देश कहे जाने वाले भारत के लिए एक बेहद क्रांतिकारी योजना थी और जिसकी शुरुआत इस सरकार ने ही की थी । उस अत्यंत प्रभावशाली, बदलावकारी योजना को कितने प्रभावशाली तरीके से जमीन पर उतारा गया ? उससे देश के कितने गांव बदले ? कितने गांव आदर्श ग्राम बने ? उस योजना से, जिसके सफलतापूर्वक क्रियान्वयन और विकास से ग्रामीण भारत का संपूर्ण विकास हो सकता था ! जिससे आत्मनिर्भर भारत का मार्ग प्रशस्त हो सकता था ! जिससे इस देश की तस्वीर और तकदीर हमेशा-हमेशा के लिए बदल सकती थी ! उसका परिणाम क्या निकला ? स्पष्ट है कि इसका सीधा और बहुत स्पष्ट जवाब देने की स्थिति में मोदी सरकार नहीं है और निकट भविष्य में होने का उसका इरादा भी नहीं दिखता, बावजूद इसके समय रहते इसे उस पर सोचना चाहिए, वर्ना लाख अच्छाई के बावजूद जब भी उसके संपूर्ण कार्यकाल का कोई ईमानदार निष्पक्ष मूल्यांकन या विश्लेषण होगा तो उसकी नीति और नीयत पर कुछ ऐसे सवाल तो उठेंगे ही । उठने भी चाहिए । ये सवाल जनता, खुद इस सरकार और देश, सबके हित में हैं । फिलहाल सरकार के इन महत्वपूर्ण आठ वर्षों को अंतिम निष्कर्ष के साथ कुछ कमियों, कमजोरियों, नाकामियों, सवालों के बावजूद भारत का स्वर्णिम काल ही कहा जाएगा और इस उपलब्धि या कमाल का सबसे ज्यादा और उपयुक्त जिस एक व्यक्तित्व को श्रेय जाता है, वह इसका नेतृत्व है ! मोदी है ! जिन्हें और जिनकी टीम को इसके लिए शाबाशी, बधाई और शुभकामनाएँ तो देनी ही चाहिए !