टीएमयू मेडिकल स्टुडेंट्स को बताईं गुड क्लीनिकल प्रैक्टिसेज

Good clinical practices explained to TMU medical students

रविवार दिल्ली नेटवर्क

नेशनल मेडिकल काउंसिल- एनएमसी के दिशानिर्देश पर तीर्थंकर महावीर मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर की मेडिकल एजुकेशन यूनिट की ओर से एमडी/एमएस स्टुडेंट्स ने जीसीपी के संग-संग जीएलपी के सीखे तौर-तरीके

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के तीर्थंकर महावीर मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर में गुड क्लीनिकल प्रैक्टिसेज़- जीसीपी एंड गुड लेबोरेटरी प्रैक्टिसेज़- जीएलपी पर हुई दो दिनी वर्कशॉप में नेशनल मेडिकल काउंसिल- एनएमसी के दिशानिर्देश पर टीएमयू मेडिकल कॉलेज की मेडिकल एजुकेशन यूनिट की ओर से मेडिकल के एमडी/एमएस स्टुडेंट्स को नेशनल एथिकल गाइडलाइंस, सीरियस एडवर्स इवेंट्स एंड कंपेंनसेशन गाइडलाइंस और एथिक्स कमेटी को दिए जाने वाले आवश्यक दस्तावेजों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। इसके अलावा जीसीपी गाइडलाइंस, गुड लेबोरेटरी प्रैक्टिसेज, एनडीसीटी रूल, इंर्फोम्ड कंसेंट प्रोसेस, प्रोटोकॉल वॉयलेशन के बारे में भी विस्तार से बताया गया। वर्कशॉप में पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ के डॉ. अमोल पाटिल और डॉ. आशीष कक्कर के संग-संग टीएमयू मेडिकल कॉलेज के वाइस प्रिंसिपल प्रो. प्रीथपाल सिंह मटरेजा और डॉ. गोविंदा मिश्रा मेडिकल पीजी स्टुडेंट्स को जीसीपी एंड जीएलपी के टिप्स दिए। वर्कशॉप में एमडी/एमएस के फर्स्ट एंड सेकेंड ईयर के 337 स्टुडेंट्स शामिल रहे। अंत में अतिथियों समेत सभी प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट्स देकर सम्मानित किया गया।

नेशनल एथिकल गाइडलाइंस को समझाते हुए डॉ. आशीष कक्कर ने कहा, शोधकर्ता को व्यक्ति के सम्मान, अधिकारों, सुरक्षा और कल्याण के लिए जिम्मेदार होना चाहिए। शोध पद्धति में उचित योग्यता और क्षमता होने के साथ-साथ और उन्हें शोध प्रस्ताव की वैज्ञानिक, चिकित्सा, नैतिक, कानूनी और सामाजिक आवश्यकताओं के बारे में पता होना चाहिए और उनका अनुपालन करना चाहिए। साथ ही डॉ. आशीष ने सीरियस एडवर्स इवेंट्स एंड कंपेंनसेशन गाइडलाइंस के तहत केसों को रिपोर्ट करने की प्रक्रिया को विस्तार से समझाया। डॉ. अमोल पाटिल ने कहा, इंर्फोम्ड कंसेंट प्रोसेस वह प्रक्रिया है, जिसमें हैल्थ केयर प्रोफेसनर किसी रोगी को किसी दी गई प्रक्रिया या हस्तक्षेप के जोखिम, लाभ और विकल्पों के बारे में शिक्षित करता है। पेशेंट को उन चिकित्सा प्रक्रियाओं या उपचारों के बारे में पूरी जानकारी हो, जिनसे वे गुजरने वाले हैं, जिससे वे स्वायत्त निर्णय लेने में सक्षम हो सकें। यह रोगी के अधिकारों की रक्षा, पारदर्शिता को बढ़ावा देने और स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों और रोगियों के बीच विश्वास को बढ़ावा देकर नैतिक और कानूनी दोनों उद्देश्यों को पूरा करता है। प्रोटोकॉल वॉयलेशन के तहत प्रोटोकॉल के प्रकार, उन्हें रिपोर्ट करने की समय सीमा और वॉयलेशन को कम करने की प्रक्रिया पर गहनता से चर्चा की।

टीएमयू मेडिकल कॉलेज के वाइस प्रिंसिपल प्रो. मटरेजा ने कहा, जीएलपी उन स्थितियों से संबंधित गुणवत्ता प्रणाली के लिए नियमों और मानदंडों का एक सेट हैं, जिनके तहत गैर-नैदानिक स्वास्थ्य और पर्यावरण सुरक्षा अध्ययनों की योजना, क्रियान्वयन, निगरानी, रिकॉर्ड आदि शामिल हैं। प्रो. मटरेजा ने स्टुडेंट्स को एनडीसीटी रूल के बारे में भी विस्तार से समझाया। डॉ. गोविंदा मिश्रा ने कहा, गुड क्लीनिकल प्रैक्टिस-जीसीपी मानव विषयों की भागीदारी वाले परीक्षणों को डिजाइन करने, संचालित करने, रिकॉर्ड करने और रिपोर्ट करने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय नैतिक और वैज्ञानिक गुणवत्ता मानक है। यह पेशेंट को आश्वासन प्रदान करता है कि परीक्षण विषयों के अधिकार, सुरक्षा और कल्याण सुरक्षित हैं। उन्होंने एक शोधार्थी को रिसर्च एथिक्स कमेटी को दिए जाने वाले आवश्यक दस्तावेजों – प्रोटोकॉल, सहमति पत्र आदि के बारे में स्टुडेंट्स को अवगत कराया।