सरकार, सरोकार और महिला रोजगार

Government, concerns and women's employment

प्रेम प्रकाश

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र विधानसभा के चुनावी नतीजे ने यह दिखा दिया है कि अब चुनावों का संतुलन महिलाएं साध रही है। उन्हें मिलने वाली सरकारी मदद और सरकारी योजनाएं चुनाव नतीजे को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रही है। बात चुनाव को छोड़ सामाजिक सुधार की करें तो इस मामले में सबसे आगे जो सूबा है, वह है बिहार। बिहार में सामाजिक और आर्थिक बदलाव की नई लहर उस समय शुरू हुई जब नीतीश कुमार ने राज्य की बागडोर संभाली। वे अपनी इस समझ और विवेक में बहुत साफ रहे कि अगर समाज को सशक्त बनाना है, तो महिलाओं को सिर्फ लाभार्थी नहीं, बल्कि विकास की भागीदार बनाना होगा। इसी सोच के साथ नीतीश सरकार ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अनेक योजनाएं चलाईं, जिनका उद्देश्य है महिला स्वरोजगार।

चुनाव से पूर्व होने वाली अव्यावहारिक और हवाई घोषणाओं के बीच बिहार सरकार ने कैबिनेट स्तर पर इस दौरान कई अहम फैसले लिए हैं। इस क्रम में जो बड़ा फैसला राज्य सरकार ने किया है, वह है मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना। इस निर्णय से पहले 70 हजार महिला समूहों के साथ सरकार ने महिला संवाद किया था। इस संवाद कार्यक्रम के दौरान विवाह मंडल का गठन करने के साथ ही महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने से संबंधित काफी संख्या में सुझाव आए थे। इसके मद्देनजर सरकार ने इस योजना की रूपरेख तैयार की है। एक सितंबर के बाद से राशि वितरण शुरू कर देने की योजना है। 10 हजार रुपये की पहली किस्त पाने के बाद के बाद इस योजना का सफल क्रियान्वयन करने के छह महीने बाद संबंधित महिला को 2 लाख रुपये की अतिरिक्त सहायता दी जाएगी। ग्रामीण विकास विभाग के स्तर से इस योजना की पूरी देखरेख की जा रही है। विभाग इससे संबंधित एक मार्गदर्शिक जल्द जारी करेगा। महिलाओं के स्तर से तैयार किए जाने वाले तमाम उत्पादों की बिक्री या इनके प्रदर्शन के लिए हाट बाजार बनाने की भी योजना है। इसे भी जल्द ही मूर्तरूप दे दिया जाएगा।

बात महिला सश्कतिकरण की हो रही है तो गौरतलब है कि नीतीश सरकार की सबसे सफल योजनाओं में जीविका विशेष स्थान रखती है। वर्ष 2006 में शुरू हुई इस योजना ने ग्रामीण महिलाओं को न केवल स्वरोजगार का अवसर दिया, बल्कि उन्हें नेतृत्व का अभ्यास भी कराया। आज राज्य में एक करोड़ 40 लाख से अधिक महिलाएं 11 लाख स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से जीविका दीदी के रूप में पहचान बना चुकी हैं। ये महिलाएं सिलाई, बुनाई, कृषि, पशुपालन, किराना दुकान, मसाला निर्माण, मधुमक्खी पालन, बकरी पालन जैसे छोटे-छोटे उद्योगों के जरिए न केवल अपनी आमदनी बढ़ा रही हैं, बल्कि दूसरों को भी रोजगार दे रही हैं।

दिलचस्प है कि स्वरोजगार के क्षेत्र में अब महिलाएं केवल पारंपरिक कार्यों तक सीमित नहीं रहीं। नीतीश सरकार ने महिलाओं को तकनीकी क्षेत्र में भी दक्ष बनाने के लिए ड्रोन दीदी योजना शुरू की है। इस योजना के तहत महिलाओं को ड्रोन खरीदने के लिए 80 फीसदी यानी 8 लाख रुपये तक का अनुदान दिया जा रहा है, जबकि शेष दो लाख रुपये जीविका समूह के माध्यम से उपलब्ध कराए जा रहे हैं। राज्य सरकार की तरफ से महिलाओं के बीच ड्रोन वितरण के साथ उनके 15 दिवसीय निशुल्क ड्रोन पायलट प्रशिक्षण का भी प्रावधान किया गया है। यह योजना कृषि कार्यों में आधुनिक तकनीक का उपयोग कर स्वरोजगार को नई ऊंचाई देने का उदाहरण है।

स्वरोजगार की राह में सबसे बड़ी चुनौती होती है वित्तीय सहायता। नीतीश सरकार ने इस चुनौती का समाधान भी खोजा। सहरसा जिले की रमिया देवी द्वारा दिए गए सुझाव को मानते हुए सरकार ने महिला बैंक की स्थापना की दिशा में कदम बढ़ाया है। जिन जिलों में तीन लाख या उससे अधिक जीविका दीदियां हैं, वहां महिला बैंक खोले जाएंगे। ये बैंक केवल वित्तीय लेन-देन का माध्यम नहीं होंगे, बल्कि महिलाओं को सस्ती दरों पर ऋण, उद्यमिता सलाह और प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराएंगे।

बिहार सरकार की सात निश्चय-2 योजना के अंतर्गत चल रहे सशक्त महिला, सक्षम महिला कार्यक्रम का लक्ष्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है। यह कार्यक्रम शिक्षा, स्वास्थ्य, वित्त, तकनीक और उद्यम जैसे क्षेत्रों में महिलाओं को सक्रिय भागीदारी का अवसर देता है। यहां स्वरोजगार को प्राथमिकता दी गई है ताकि महिलाएं किसी पर निर्भर न रहें, बल्कि अपने निर्णय स्वयं लें और दूसरों को प्रेरित करें।

गौरतलब है कि बिहार सरकार ने महिला सशक्तीकरण को केवल भाषणों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उसे धरातल पर उतारने के लिए ठोस योजनाएं चलाईं। स्वरोजगार को केंद्र में रखकर चल रही इन पहलों ने महिलाओं को न केवल आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि समाज में उनका सम्मान और आत्मविश्वास भी बढ़ाया है। आज बिहार की महिलाएं घर से निकलकर आर्थिक, तकनीकी और सामाजिक क्षेत्रों में नेतृत्व कर रही हैं। यही है नीतीश सरकार की सबसे बड़ी सफलता। देखना होगा कि आगामी विधानसभा चुनाव में महिला सशक्तिकरण के मोर्चे पर बिहार सरकार की दो दशक की सफलता का असर कितना और किस रूप में दिखेगा। यह बात इसलिए भी अहम है कि पिछले चुनावों में न सिर्फ देश के दूसरे सूबों बल्कि बिहार में भी महिला वोटरों की राय ने सत्ता का व्याकरण रचा है।