
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
नवरात्री में नव दुर्गा की आराधना के साथ ही चारो ओर गुजरात के गरबा की धूम मची हुई है। वर्तमान ने गुजराती गरबा ने देश की सीमाओं को पार करते हुए वैश्विक स्वरूप ग्रहण कर लिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुरुवार को अपने गृह प्रदेश गुजरात से सटे दक्षिणी राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में थे। उन्होंने वहां माही बांध के बैकवाटर के किनारे 42 हजार करोड़ रु की लागत से बनने वाले राजस्थान के दूसरे न्यूक्लियर पॉवर प्लांट की आधारशिला रखी और राजस्थान मध्यप्रदेश और गुजरात के संगम पर स्थित नापला गाँव की जन मदनी आम सभा की शुरुआत यहां की शक्ति पीठ माने जाने वाली त्रिपुरा सुन्दरी मां के उद्बोधन से की तथा उम्मीद जाहिर की कि नवरात्रि के चौथे दिन शुरू की जा रही यह विशाल परियोजना तीनों प्रदेशों के आदिवासी अंचलों की तकदीर बदलने वाली साबित होगी ।
गरबा (या डांडिया रास) गुजरात की पारंपरिक लोक-नृत्य शैली है, जो माँ दुर्गा की उपासना के दौरान नवरात्रि के नौ दिनों में विशेष रूप से आयोजित की जाती है।“गरबा” शब्द “गर्भ” (अर्थात् जीवन या शक्ति के केंद्र) से लिया गया है। इसमें मिट्टी के गरबी/दीया के चारों ओर गोलाकार नृत्य किया जाता है।
डांडिया रास लकड़ी की छड़ियों के साथ किया जाने वाला नृत्य – भी इसी परंपरा का अंग है।
स्वतंत्रता के बाद से गुजरात के लोग बड़े पैमाने पर देश के विभिन्न हिस्सों (महाराष्ट्र, राजस्थान, दिल्ली, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बंगाल आदि) में बस गए। उनके साथ गरबा और डांडिया की परंपरा भी नए क्षेत्रों में पहुँची।1990 के दशक से टीवी, फिल्मों और पर्यटन ने भी गरबा को लोकप्रिय बनाया।विश्वविद्यालयों, सांस्कृतिक संगठनों और एनआरआई समुदायों ने भी नवरात्रि महोत्सव को बड़े पैमाने पर आयोजित करना शुरू किया।
अब नवरात्रि पर दिल्ली, मुंबई, जयपुर, भोपाल, लखनऊ, कोलकाता, यहां तक कि दक्षिण भारत के शहरों में भी गरबा और डांडिया रास के बड़े आयोजन होते हैं।कई शहरों में यह केवल धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक उत्सव बन गया है, जिसमें अलग–अलग राज्यों के लोग भाग लेते हैं।बड़े क्लब, सोसाइटी, कॉलेज और कॉर्पोरेट हाउस भी थीम आधारित गरबा नाइट्स आयोजित करते हैं।पारंपरिक पोशाक: महिलाएँ चनिया–चोली, ओढ़नी; पुरुष केडियू–धोटी या कुर्ता पहनते हैं।पारंपरिक माँ दुर्गा के गरबा गीत, ढोल, नगाड़ा, ताली और आधुनिक वाद्ययंत्रों का मिश्रण।यह नृत्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि सामूहिक उत्सव और सामाजिक एकजुटता का प्रतीक है।
अमेरिका, कनाडा, यूके, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में बसे भारतीय समुदाय ने भी बड़े पैमाने पर नवरात्रि गरबा को अपनाया है।कई शहरों में “वर्ल्ड्स लार्जेस्ट गरबा” के रिकॉर्ड बने हैं (जैसे वडोदरा, अमेरिका के न्यू जर्सी और शिकागो में बड़े आयोजन)।
गरबा गुजरात की लोक-सांस्कृतिक धरोहर है, जो नवरात्रि के अवसर पर शक्ति-पूजा के साथ सामूहिक नृत्य के रूप में होती है। समय, प्रवास और मीडिया के कारण यह परंपरा गुजरात से निकलकर पूरे भारत और दुनिया में फैल गई है, और अब यह भारतीय सांस्कृतिक पहचान का जीवंत प्रतीक बन चुकी है।