गुलजार को मिला 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार, मुंबई स्थित आवास पर हुआ सम्मान

Gulzar received the 58th Jnanpith Award, honored at his residence in Mumbai

रविवार दिल्ली नेटवर्क

मुंबई : भारत के प्रख्यात कवि, गीतकार और फिल्म निर्देशक गुलजार को देश के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। 90 वर्षीय गुलजार हाल ही में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के चलते नई दिल्ली में आयोजित मुख्य समारोह में शामिल नहीं हो पाए थे। ऐसे में भारतीय ज्ञानपीठ न्यास के सदस्यों ने स्वयं मुंबई जाकर उनके बांद्रा स्थित आवास पर उन्हें यह सम्मान सौंपा।

न्यास के ट्रस्टी मुदित जैन, पूर्व सचिव धर्मपाल, और महाप्रबंधक आर. एन. तिवारी ने गुलजार को प्रशस्ति पत्र, ₹11 लाख की सम्मान राशि, और वाग्देवी सरस्वती की कांस्य प्रतिमा भेंट की।

इस सम्मान समारोह के दौरान गुलजार के परिवार के सदस्य और कई साहित्य व फिल्म जगत की हस्तियाँ मौजूद रहीं, जिनमें उनके दामाद गोविंद संधू, फिल्म निर्माता विशाल भारद्वाज और उनकी पत्नी गायिका रेखा भारद्वाज शामिल थे।

कला की दुनिया में गुलजार का योगदान
संपूरण सिंह कालरा, जो दुनिया भर में ‘गुलजार’ के नाम से पहचाने जाते हैं, हिंदी सिनेमा और उर्दू कविता में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। उन्होंने ‘आंधी’, ‘माचिस’, ‘कोशिश’, ‘परिचय’ और ‘हू तू तू’ जैसी चर्चित फिल्मों का निर्देशन किया है। उनके लिखे कई गीत जैसे ‘मैंने तेरे लिए’ (आनंद), ‘दिल ढूंढता है’ (मौसम), ‘छैया छैया’ (दिल से) और ‘ऐ हैराते आशिकी’ (गुरु) आज भी श्रोताओं के दिलों में बसे हुए हैं।

पहले भी मिल चुके हैं कई प्रतिष्ठित सम्मान
गुलजार को इससे पहले साहित्य अकादमी पुरस्कार (2002), पद्म भूषण (2004), ऑस्कर व ग्रैमी अवॉर्ड (2008) और दादा साहब फाल्के पुरस्कार (2013) मिल चुके हैं। उनका रचनात्मक योगदान साहित्य और सिनेमा दोनों में अतुलनीय है।

ज्ञानपीठ पुरस्कार की स्थापना और परंपरा
ज्ञानपीठ पुरस्कार की स्थापना 1961 में साहू शांति प्रसाद जैन और रमा जैन द्वारा की गई थी। यह पुरस्कार भारतीय भाषाओं के उन साहित्यकारों को दिया जाता है, जिन्होंने साहित्य में विशेष योगदान दिया हो। अब तक यह सम्मान फिराक गोरखपुरी, महादेवी वर्मा, रामधारी सिंह ‘दिनकर’, गिरीश कर्नाड, निर्मल वर्मा और दामोदर मौजो जैसे दिग्गजों को प्राप्त हो चुका है।