घर से सीखे थे बॉक्सिंग के गुर, अब ओलम्पिक तक पहुंचे, जिस स्टेडियम में मां ने किया अभ्यास वहीं से निखारा बॉक्सर निशांत देव ने अपना हुनर, अब परिवार को गोल्ड का इंतजार
रविवार दिल्ली नेटवर्क
कर्णनगरी के अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज निशांत देव ने पेरिस ओलंपिक के लिए कोटा हासिल कर लिया है। निशांत ने अपनी कामयाबी का श्रेय अपने पिता पवन देव को दिया है। जिस तरह बच्चे की प्रारंभिक पाठशाला उसका परिवार होता है, उसी तरह बॉक्सिंग का पहला पाठ भी उन्होंने घर से ही सीखा। निशांत के पिता पवन कुमार अब गर्व और उम्मीद से भरे हुए हैं और उन्होंने अपने बेटे के लिए अपनी हार्दिक शुभकामनाएं साझा कीं।
उन्होंने कहा, मैं निशांत को विश्व पुरुष मुक्केबाजी चैंपियनशिप के आगामी सेमीफाइनल और फाइनल के लिए शुभकामनाएं देता हूं। उसका समर्पण, दृढ़ता और अदम्य भावना प्रेरणादायक रही है। मुझे उसकी क्षमताओं पर विश्वास है और मुझे पूरा विश्वास है कि वह स्वर्ण पदक जीतेगा। निशांत के पिता पवन देव ने बताया कि उसकी बचपन से ही मुक्केबाजी में रुचि थी। जब वह स्कूल में था तभी से उसमें खेल के प्रति जुनून दिखने लगा। निशांत ने इसी प्रतिभा को कर्ण स्टेडियम में अभ्यास कर निखारा है। उसके मुख्य कोच सुरेंद्र चौहान ने उन्हें बेहतर प्रशिक्षण दिया है। इसकी बदौलत निशांत आज इस मुकाम तक पहुंचा।
पवन देव ने बताया कि निशांत ओलंपिक में दम दिखाने के लिए पूरी तरह तैयार है। उसका पहला मुकाबला 28 जुलाई को होगा। पिता ने बताया कि ओलंपिक क्वालीफाई के दौरान दोनों बार जिन खिलाड़ियों से उनके मुकाबले हुए, वह उन्हें धूल चटा चुका है। इस बार निशांत का मुख्य लक्ष्य देश के लिए स्वर्ण पदक लाना है। ताशकंद में हुई विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप 2023 में पहले ही इतिहास रचने के बाद निशांत देव अब ओलम्पिक में पोडियम पर शीर्ष स्थान हासिल करने का लक्ष्य रखेंगे। पिछली बार निशांत दुर्घटना होने के कारण इस उपलब्धि से चूक गया था लेकिन इस बार वह ओलंपिक में अवश्य देश को पदक दिलवाएगा।
निशांत की मां प्रियंका जो खुद एक एथलीट रही हैं ने कहा कि वे चाहती है कि उनका बेटा गोल्ड लेकर आये। सारे परिवार में उसके खेल को लेकर बहुत उत्साह है। जब निशांत स्टेडियम से खेल कर आता था तो वे उसके लिए बादाम घोट कर तैयार रखती थी। प्रियंका ने बताया कि निशांत हमेशा स्कूली खेलों में प्रथम आता था। उन्होंने कहा की वे भी उसी स्टेडियम में अभ्यास करती थी जिस स्टेडियम में निशांत ने बॉक्सिंग के गुर सीखे।
वहीं निशांत के दादा कृष्णदेव ने कहा कि हमे बहुत खुशी है और निशांत से गोल्ड लाने की उम्मीद है। पूरे परिवार का आशीर्वाद उसके साथ है। मेरे बेटे पवन ने उस पर बहुत मेहनत की है। दादा कृष्णदेव ने कहा कि जाते समय निशांत वादा करके गया था कि वह गोल्ड जरूर लेकर आएगा। करनाल में पले-बढ़े निशांत का टाइम साइकल पेपर और कोट मोहल्ला की गली में टूर्नामेंट में भाग लेते हुए गुजरा, वह बचपन में अपने घर में स्केटिंग का अभ्यास भी करते थे। स्कूल-नेशनल लेवल के स्केटर निशांत ने पहली बार अपने मामा कर्मबीर सिंह के घर पर बॉक्सिंग किट देखी थी।
निशांत की मुक्केबाजी की दुनिया में यात्रा 2012 में शुरू हुई, जिसकी प्रेरणा उन्हें अपने चाचा से मिली जो विदेश में रहने वाले एक पेशेवर मुक्केबाज हैं। अपने समर्पित कोच सुरेंदर चौहान के मार्गदर्शन में उन्होंने करनाल जिले के कर्ण स्टेडियम में अपने कौशल को निखारा। निशांत का दृढ़ निश्चय और खेल के प्रति जुनून स्पष्ट था क्योंकि उन्होंने अपने पिता के साथ अथक प्रशिक्षण लिया। अपने आदर्श फ़्लॉयड मेवेदर की तरह, निशांत ने 2021 विश्व चैंपियनशिप के दौरान अपनी निडरता और असाधारण मुक्केबाजी कौशल का प्रदर्शन किया, जो उनका पहला अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट था।